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अक्टूबर की एक खुशनुमा शाम थी, जब देहरादून की सर्द हवाओं में, निशांत और रिया पहली...
️ Scene 1: वही पुरानी सड़क, नई उम्मीदबारिश फिर से उसी शाम को आई थी। जान्हवी ने स...
एक तलवार और साफ़ा सामने रखे वाणी ने घरचोलु ओढ़ा हुआ था। रूप और गुण में कोई भी खा...
ग्रामीण छवि और शहरी सिबू की प्रेम कहानीयह कहानी एक छोटे से गाँव की मासूम लड़की,...
वो जो चुपके से देखा करता था..." भाग 2: "वो फिर से मिला... पर अब सब बदल गया था"...
Superhero Series | Season 1 | Part 20: "त्रैत्य बनाम अर्णव – निर्णायक द्वंद्व"Su...
* जीवन की दूसरी पारी खेलते हुए रामेश्वरी नादान के लिखे “दूसरी पारी” उपन्यास को प...
यह रहा कहानी का अगला भाग —“रात की रानी” का रोमांचक और भावनात्मक अंतिम अध्याय:---...
रांची का एक छोटा शहर, जहां क्रिकेट एक सपना था — वहीं एक लड़का, लंबे बालों और शां...
भगत सिंह और आजाद के प्रति दुर्व्यवहार लोगों द्वारा गांधी और वायसराय इरविन के बीच...
प्रात: काल सभी यमन बाशियो के कानों मे एक मधुर भजन सुनाई देता है जिससे सभी लोग मंदिर में आकर उपस्थित हो जाते हैं ( जी हाँ ये ही है हमारी कहानी की मुख्य नायिका महारानी यकछीका ) एक लड...
एक समय की बात है। एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था। एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार में दिया। राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न...
एक बहुत बड़ा बेंकबेट हॉल जो बहुत ही बड़ा और भव्य था , जहा पर एक बहुत ही बड़ी और आलीशान पार्टी हो रही थी , इस पार्टी मे शहर के सभी रहीस फेमिली आई हुयी थी , और सभी अपने आप मे तो कुछ...
जिंदगी किस मोड़ पर कैसे और कब बदल जाए ये कह नही सकते, ऐसा ही कुछ राजपुरोहित जी के साथ हुआ। हीरालाल जी बहुत ही संपन्न और प्रतिष्ठित कारोबारी थे। हर ओर उनकी प्रतिष्ठा, वैभवता की ख्या...
आनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जय...
(1) लाइक एंड कॉमेंट्स रात के लगभग साढ़े ग्यारह बजे रामलाल जी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। उनका बड़ा बेटा शंकरलाल गाँव से सैकड़ों मील दूर एक शहर में अफसर था। छोटे बेटे भोल...
"सुनो, कहां हो तुम"? "सुबह घर से निकलते वक्त बता कर आया था , भूल गई "? "सीधे सीधे जवाब देने में दिक्कत है क्या कोई "? "आज अचानक से मेरी जासूसी...
अखिर क्या व्याख्या है हमारे मुंबई की। मेरे मुंबई को यू तो सपनों की नगरी से जाना जाता है। ये नगरी में इंसान कभी भूखा नहीं रहेगा लेकिन रहने को छत नहीं है।यहां की मानो बाकी शहरों क...
जीवन की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि में भिन्न होती है। आज के परिवेश में हम दौड़भाग में इतने व्यस्त हैं की स्वयं के लिए समय ही नहीं है। अर्थात हम स्वयं से कभी ये भी नहीं पूछ प...
भट्टी में डाली गई लकड़ी कोयला बनकर अंगारों का रूप धारण कर चुकी हैं। थोड़ी देर पहले तक इसमें कल की जली हुई लकड़ियों की राख बिखरी थी। पर अब ये आग का कुआँ बन चुकी हैं। इस कुएँ के मुहाने...
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