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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Book Reviews in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultu...Read More


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मेघना- कुसुम गोस्वामी By राजीव तनेजा

मीडिया और मनोरंजन के तमाम जनसुलभ साधनों की सहज उपलब्धता से पहले एक समय ऐसा था जब हमारे यहाँ लुगदी साहित्य की तूती बोलती थी। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और मोहल्ले की पत्र पत्रिकाओं क...

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डॉमनिक की वापसी - विवेक मिश्र By राजीव तनेजा

आमतौर पर किताबों के बारे में लिखते हुए मुझे कुछ ज़्यादा या खास सोचना..समझना नहीं पड़ता। बस किताब को थोड़ा सा ध्यान से पढ़ने के बाद उसके मूल तत्व को ज़हन में रखते हुए, उसकी खासियतों एवं...

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राजनटनी- गीताश्री By राजीव तनेजा

बचपन से ही आमतौर पर ऐसे किस्से या कहानियाँ हमारे आकर्षण, उत्सुकता एवं जिज्ञासा का सदा से ही केंद्र बनते रहे हैं जिनमें किसी राजा की अद्वितीय प्रेम कहानी अथवा शौर्य गाथा का विशुद्ध...

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जुहू चौपाटी- साधना जैन By राजीव तनेजा

मायानगरी बॉलीवुड और उससे जुड़ी कहानियाँ सदा से ही हमारे चेतन/अवचेतन में आकर्षण का केंद्र रही हैं। फिल्मी सितारों का लक्ज़रियस जीवन, लैविश रहनसहन, लंबी चौड़ी गाड़ियाँ, उनकी मस्ती, नोक झ...

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एकलव्य - पुस्तक समीक्षा By Kumar Ajit

पुस्तक का नाम: एकलव्य लेखक: रामगोपाल भावुक ASIN B077BYR6Y3 कुल पृष्ठ: 88 भाषा: हिंदी श्रेणी: उपन्यास समीक्षक: कुमार अजित लेखक के बारे में: रामगोपाल भावुक ग्वालियर के भवभू...

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लाइफ आजकल- आलोक कुमार By राजीव तनेजा

कहते हैं कि किसी भी चीज़ के होने ना होने का पहले से तय एक मुक़र्रर वक्त होता है। किताबों के संदर्भ में भी यही बात लागू होती है। कुछ किताबों को पढ़ने की इच्छा से आप मँगवा तो लेते हैं म...

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हिंदी कथा साहित्य में पाश्चात्य प्रभाव By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

कथा साहित्य में पाश्चात्य प्रभावभारतीय समाज पश्चिम के संपर्क में यूं तो पहले ही आ गया था पर उसकी जीवन शैली, उसकी विचारधारा, उसकी कला और उसके साहित्य पर पश्चिमी प्रभाव वर्तमान स्थित...

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काली धूप- सुभाष नीरव (अनुवाद) By राजीव तनेजा

जब किसी दुख भरी कहानी को पढ़ कर आप उस दुःख.. उस दर्द..उस वेदना को स्वयं महसूस करने लगें। पढ़ते वक्त चल रहे हालातों को ना बदल पाने की अपनी बेबसी पर कुंठित हो..कभी आप तिलमिला उठें छटप...

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साँझी छत- छाया सिंह By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी का शुरुआती लेखन अगर पढ़ने को मिले तो उसमें से उसकी अनगढ़ता या सोंधी महक लिए कच्चापन स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। मगर सुखद आश्चर्य के रूप में कई बार किसी का शुरुआती...

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यह सड़क मेरे गांव को नही जाती By डॉ0 व्योमेश चित्रवंश, एडवोकेट

यह सड़क मेरे गांव को नही जाती : बदलते ग्रामीण परिवेश पर व्योमेश चित्रवंश की एक बेहतरीन किताब एक लंबे अंतराल के बाद एक किताब पढ़ने को मिली जिसने गांव की यात्रा करवाई,जिसका...

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ठरकी- मुकेश गाते By राजीव तनेजा

ज़्यादातर कहानियों के प्लॉट..किस्से या किरदार हमारे ही आसपास के माहौल में..हमारे ही इर्दगिर्द जाने कब से बिखरे पड़े होते हैं मगर हमें उनका पता तक नहीं चलता। उन्हें तब तक अहमियत नहीं...

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3020 ई.- राकेश शंकर भारती By राजीव तनेजा

खगोल विज्ञान शुरू से ही हमारी उत्सुकता, जिज्ञासा, दिलचस्पी एवं उत्कंठा का विषय रहा है। बचपन में खुले आसमान में चाँद तारों को देख उन दिनों हम कई तरह की कल्पनाओं में खो जाया करते थे।...

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राजनारायण बोहरे - आलोचना की अदालत By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

राजनारायण बोहरे की कहानियां यानी हमारी आत्म कथाएं केबीएल पांडे विगत दशकों में कहानी ने जितने रूप गढे हैं वे रचना शीलता का आह्लाद उत्पन्न करते हैं पर इसके साथ ही पाठ की प्रतिक्रिया...

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अवध बिहारी पाठक-समीक्षा-आलोचना एक और पाठ By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आलोचना की जड़ता को तोड़ता विमर्श -अवध बिहारी पाठक प्रसिद्ध आलोचक शंभुनाथ ने एक जगह कहा है कि "आलोचना का पहला काम पीछे लौटती सभ्यताओं के छली बिम्बों पर प्रति आक्रमण तेज करते हुए उस...

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कविता की ओर कुछ कदम-रमाशंकर राय By ramgopal bhavuk

कविता की ओर कुछ कदम के आइने में रमाशंकर राय जी का व्यक्तित्व रामगोपाल भावुक...

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भवभूति का साक्षात्कार -प्रभुदयाल मिश्र By ramgopal bhavuk

पुस्तक – महाकवि भवभूति’ लेखक- रामगोपाल भावुक प्रकाशक- कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन मूल्य – रुपये – 250/ भवभूति का साक्षात्कार -प्रभुदयाल मिश्र रत्नावली,...

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कहानियों में कथ्य और कलात्मक संतुलन By ramgopal bhavuk

कहानियों में कथ्य और कलात्मक संतुलन प्रश्नोत्तर- महावीर अग्रवाल कीं रामगोपाल भावुक से वार्ता- 1 महावीर अग्रवाल- अब तक छपी कहानियों में कौन सी कहानी आपको अधिक प्रिय है और क्...

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मेरी लघुकथाएँ- उमेश मोहन धवन By राजीव तनेजा

यूँ तो परिचय के नाम पर उमेश मोहन धवन जी से मेरा बस इतना परिचय है कि हम दोनों कई सालों से फेसबुक पर एक दूसरे की चुहलबाज़ीयों का मज़ा लेते रहे हैं। व्यंग्य मिश्रित हास्य की अच्छी समझ र...

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पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार By ramgopal bhavuk

पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार रामगोपाल भावुक...

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बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय -के.बी.एल. पाण्डेय संस्कृति जीवन के परिष्कार के उद्देश्य से मानवीय रचनाशीलता की वह निष्पत्ति है जिसमें जीवन के व्यापक आयतन में निर्मि...

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राजा मीरेन्द्र सिंह जू देव‘ प्रेमानन्द’ By ramgopal bhavuk

राजा मीरेन्द्र सिंह जू देव‘ प्रेमानन्द’ चर्चित कवि के साथ कथाकार रामगोपाल भावुक राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव ‘प्रेमानन्द’- वे इस क्षेत्र की मगरौरा गढ़...

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रामधारीसिंह 'दिनकर' की सांस्कृतिक चेतना By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

संस्कृति के चार अध्यायः रामधारीसिंह 'दिनकर' की सांस्कृतिक चेतना डॉ. के0वी०एल० पाण्डेय ओज, राष्ट्रीयता और निर्भीक वैचारिकता के कवि दिनकर अपनी कविता में भावपरकरता के आधार पर जिस सांस...

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तक़दीर का तोहफ़ा- सुरेन्द्र मोहन पाठक By राजीव तनेजा

यूँ तो अब तक के जीवन में कई तरह की किताबें पढ़ने का मौका मिलता रहा है मगर वो कहते हैं कि वक्त से पहले और किस्मत से ज़्यादा कभी किसी को कुछ नहीं मिलता। अगर तक़दीर मेहरबान हो तो तय वक्त...

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स्वतंत्र सक्सैना -सरल नहीं था यह काम By ramgopal bhavuk

सरल नहीं था यह काम जो डॉ. स्वतंत्र ने कर दिखया। समीक्षक-रामगोपाल भावुक सरल नहीं था यह काम जो डॉ. स्वतंत्र सक्सैना ने इस काव्य संकलन के माध्यम से कर दिखया है। वे अपनी बात में कहते ह...

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अक्टूबर जंक्शन- दिव्य प्रकाश दुबे By राजीव तनेजा

कई बार हमारे द्वारा कुछ काम बिना किसी खास मकसद या उद्देश्य के खामखाह भी कर लिए जाते हैं। आमतौर पर ऐसा हम बिना किसी के प्रभाव या दबाव में आए अपनी मनमर्ज़ी से करते हैं कि इससे हमारे अ...

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पं0 जवाहर लाल नेहरू का लेखन By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

पं0 जवाहर लाल नेहरू का लेखन, ज्ञान और संवेदना का रचनात्मक संयोग डा0 के0बी०एल० पाण्डेय आधुनिक भारत के प्रमुख शिल्पी युग पुरुष पं० जवाहर लाल नेहरू अन्तर्राष्ट्रीय जगत् के शीर्ष राजने...

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मिथिलेश कुमारी मिश्रा-उपन्यास के कबीर By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मिथिलेश कुमारी मिश्रा के उपन्यास के कबीर -डॉ के.बी.एल. पाण्डेय हिन्दी के जीवनीपरक उपन्यासों में एक उपविधा यह विकसित हुई है जिसमें कवियों की जीवनी को आधार बनाया गया है। जीवनीपरक उपन...

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प्रेम नाम है मेरा..प्रेम चोपड़ा- रकिता नंदा By राजीव तनेजा

"प्रेम नाम है मेरा..प्रेम चोपड़ा।"इस संवाद के ज़हन में आते ही जिस अभिनेता का नाम हमारे दिलोदिमाग में आता है..वह एक घने बालों वाला..हीरो माफ़िक सुन्दर कदकाठी लिए हुए व्यक्ति का चेहरा ह...

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महेश कटारे सुगम की कविता By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

महेश कटारे सुगम की कविता : हमारे समय का यथार्थ के0बी0एल0 पाण्डेय कहानी, गीत, नवगीत, गजल और समकालीन कविता के अन्यतम रचनाकार महेश कटारे सुगम की रचनाओं के साथ होना अपने समय के साथ होन...

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भली लड़कियाँ.. बुरी लड़कियाँ - अनु सिंह चौधरी By राजीव तनेजा

कहते हैं कि दुनिया गोल है और संयोगों से भरी इस अजब ग़ज़ब दुनिया में अगर एक तरफ़ भले लोग हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ बुरे भी कम नहीं हैं। मगर सवाल ये उठता है कि जो अच्छा है..क्या वो सभी के ल...

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जहीर कुरैशी का गजल संसार By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

जहीर कुरैशी का गजल संसार किस्से नहीं हैं ये किसी विरहन की पीर के। ये शेर हैं अँधेरों से लड़ते जहीर के।चिन्तन ने कोई गीत लिखा या ग़ज़ल कही ?जन्मे हैं अपने आप ही दोहे कबीर के। गीत और...

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मदन मोहन दानिश-शुभकामनाओं का विनम्र पाठ By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मदन मोहन यानि की कविताः शुभकामनाओं का विनम्र पाठ के.बी.एल.पाण्डेय मैक्सिको के ऑक्टागवियो पाज की एक कविता की पंक्तियाँ है.. हमें तब तक गाना है जब हमारा गीत जड़ों ,तनों, शाखाओं, चिड़िय...

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ख़्वाहिशों का खाण्डववन- योगिता यादव By राजीव तनेजा

कहते हैं कि हर चीज़ का कभी ना कभी अंत हो जाता है लेकिन ख्वाहिशों..इच्छाओं का कोई अंत नहीं है। एक इच्छा के पूरी होने से पहले ही दूसरी बलवती हो..सिर उठा अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने को झट...

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काली बकसिया- आभा श्रीवास्तव By राजीव तनेजा

ऐसा बहुत कम होता है कि किसी का लिखा आप पहली बार पढ़ें और पहली बार में ही उसके लेखन के इस हद तक मुरीद हो जाएँ कि लव एट फर्स्ट रीड वाली बात हो जाए। आमतौर पर ऐसा देखने को मिलता है कि ल...

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मैत्रैयी पुष्पा अल्मा कबूतरी By राज बोहरे

मैत्रैयी पुष्पा . अल्मा कबूतरी पुस्तक समीक्षा- अल्मा कबूतरीरू कुछ सवाल, कुछ बातें पुस्तक - अल्मा कबूतरी लेखिका - मैत्रैयी पुष्पा हमारे यहा जब किसी व्यक्ति जांच परख की जाती...

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बद्री नारायण: शब्दपदीयम् By राज बोहरे

बद्री नारायण: शब्दपदीयम् पुस्तक समीक्षा- ’ बद्री नारायण हिन्दी के एकमात्र ऐसे कवि है जो उलटबांसी नुमा कविता नहीं लिखते । वे जो लिखते है वह आम पाठक भी समझ लेता है । शब्दपदीयम्’ उनका...

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नौशाद - भूमिका द्विवेदी अश्क By राजीव तनेजा

कई बार हम चाह कर भी अपने जज़्बातों पर काबू नहीं रख पाते और ज़हन में भारी कशमकश और हाँ.. ना से निरंतर जूझते हुए दिल के हाथों मजबूर हो कर ठीक उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं जो हमारे लिए हित...

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जितेन्द्र विसारिया-हादसा- राज बोहरे By राज बोहरे

जितेन्द्र विसारिया-हादसा- राज बोहरे पुस्तक समीक्षा: अपने समय से मुठभेड़ करती राजनारायण बोहरे की कहानियाँ -जितेन्द्र विसारिया पुस्तक: हादसा...

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हिंदी साहित्य की पुरस्कार परंपरा By Suryabala

सूर्यबाला हिंदी साहित्य के लेखकों को दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है - एक, पुरस्कृत लेखक और दुसरा, अपुरस्कृत लेखक। मोटे तौर पर पुरस्कृत लेखक वे होते हैं गालियाँ लिख...

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हिन्दी उपन्यास और समाज -ड़ा0 ओमप्रकाश शर्मा By राज बोहरे

हिन्दी उपन्यास और समाज -ड़ा0 ओमप्रकाश शर्मा पुस्तक समीक्षा- पुस्तक-हिन्दी उपन्यास और समाज प्रकाशक-अरावली...

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ऐसा क्यों होता है समीक्षा-राज बोहरे By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

के बी एल पांडे हिंदी के प्रसिद्ध वैचारिक गीत कार राजनारायण बोहरे हिंदी के प्रसिद्ध गीत कारों की चर्चा चलने पर बहुत से ऐसे नाम अचर्चित रह जाते हैं , जिन पर कभी ध्यान नहीं गया| इन...

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पवनकरण का ‘काव्य संग्रह‘ इस तरह मैं By राज बोहरे

पवनकरण का ‘काव्य संग्रह‘ इस तरह मैं पुस्तक समीक्षा- सहज और उम्दा कविताऐंः इस तरह मैं राजनारायण बोहरे पुस्तक-इस तरह मैं ‘काव्य संग्रह‘ कवि-पव...

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सूरज प्रकाश की 10 चर्चित कहानियाँ- सूरज प्रकाश By राजीव तनेजा

कई बार किसी का परिपक्व एवं बहुचर्चित लेखन पढ़ने को मिल जाता है कि पढ़ने के बाद आप निशब्द हो..असमंजस एवं संकोच में पड़ जाते हैं कि इस पर क्या लिखें और क्या ना लिखें। उस पर बात करना सू...

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अनिल करमेले (कविता संग्रह) ईश्वर के नाम पर By राज बोहरे

अनिल करमेले (कविता संग्रह) ईश्वर के नाम पर पुस्तक समीक्षा- ईश्वर के नाम पर: द्वंद्व की कवितायें राजनारायण बोहरे पुस्तक-ईश्वर के नाम पर (कविता संग्रह)...

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आखिरी जवाब -महेश राही By राजनारायण बोहरे

कहानी संग्रह आखिरी जवाब महेश राही अलग शिल्प की कहानियाँ परिवेश विचार मंच मुरादाबाद-रामपुर ने कहानीकार महेश राही का कहानी संग्रह “आखिरी जवा...

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मन्नत टेलर्स:प्रज्ञा By राज बोहरे

मन्नत टेलर्स:प्रज्ञा हुनरमंद लोगों का दर्द: पुस्तक-मन्नत टेलर्स लेखिका-प्रज्ञा प्रकाशक-साहित्य भण्डार इलाहाबाद "मन्नत टेलर्स " देहली की बेहद सचेष्ट कहानीकार प्रज्ञा की ग्यारह कहान...

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उसके हिस्से का पुरूष- पुष्पा सक्सैना By राजनारायण बोहरे

पुस्तक समीक्षा- उसके हिस्से का पुरूष- पुष्पा सक्सैना उसके हिस्से का पुरूष कहानी संग्रह अनिधा पुस्तक योजना दिल्ली से प्रकाशित पुष्पा सक्सैना...

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एस.आर. हरनोट-दारोश तथा अन्य कहानियां By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा- दारोश तथा अन्य कहानियां-एस.आर.हरनोट लेखकों मे कुछ लोग अपने कोई पेन नेम या दुख सुख से जुडें नाम नही रखते, ऐसे लोगों का यह कदम उनके...

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उफ़्फ़ कोलकाता- सत्य व्यास By राजीव तनेजा

हर इनसान मुख्य रूप से कुछ बेसिक अनुभूतियों जैसे खुशी..दुख..प्रेम..बिछोह..डर और रोमांच से अपने जीवन में कहीं ना कहीं..कभी ना कभी रूबरू होता ही रहता है। इन्हीं अनुभूतियों का कॉकटेल म...

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गोस्टा तथा अन्य कहानियाँ - रामगोपाल भावुक By राज बोहरे

समीक्षा - गोस्टा तथा अन्य कहानियाँ रामगोपाल भावुक कहानियाँ काल विशेष की धरोहर होतीं है। उन्हें जब हम पढ़ते हैं तो वर्तमान को सामने रखकर पढ़ना शुरू करते हैं। राजनारायण बोहरे का कथा सं...

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मेघना- कुसुम गोस्वामी By राजीव तनेजा

मीडिया और मनोरंजन के तमाम जनसुलभ साधनों की सहज उपलब्धता से पहले एक समय ऐसा था जब हमारे यहाँ लुगदी साहित्य की तूती बोलती थी। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और मोहल्ले की पत्र पत्रिकाओं क...

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डॉमनिक की वापसी - विवेक मिश्र By राजीव तनेजा

आमतौर पर किताबों के बारे में लिखते हुए मुझे कुछ ज़्यादा या खास सोचना..समझना नहीं पड़ता। बस किताब को थोड़ा सा ध्यान से पढ़ने के बाद उसके मूल तत्व को ज़हन में रखते हुए, उसकी खासियतों एवं...

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राजनटनी- गीताश्री By राजीव तनेजा

बचपन से ही आमतौर पर ऐसे किस्से या कहानियाँ हमारे आकर्षण, उत्सुकता एवं जिज्ञासा का सदा से ही केंद्र बनते रहे हैं जिनमें किसी राजा की अद्वितीय प्रेम कहानी अथवा शौर्य गाथा का विशुद्ध...

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जुहू चौपाटी- साधना जैन By राजीव तनेजा

मायानगरी बॉलीवुड और उससे जुड़ी कहानियाँ सदा से ही हमारे चेतन/अवचेतन में आकर्षण का केंद्र रही हैं। फिल्मी सितारों का लक्ज़रियस जीवन, लैविश रहनसहन, लंबी चौड़ी गाड़ियाँ, उनकी मस्ती, नोक झ...

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एकलव्य - पुस्तक समीक्षा By Kumar Ajit

पुस्तक का नाम: एकलव्य लेखक: रामगोपाल भावुक ASIN B077BYR6Y3 कुल पृष्ठ: 88 भाषा: हिंदी श्रेणी: उपन्यास समीक्षक: कुमार अजित लेखक के बारे में: रामगोपाल भावुक ग्वालियर के भवभू...

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लाइफ आजकल- आलोक कुमार By राजीव तनेजा

कहते हैं कि किसी भी चीज़ के होने ना होने का पहले से तय एक मुक़र्रर वक्त होता है। किताबों के संदर्भ में भी यही बात लागू होती है। कुछ किताबों को पढ़ने की इच्छा से आप मँगवा तो लेते हैं म...

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हिंदी कथा साहित्य में पाश्चात्य प्रभाव By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

कथा साहित्य में पाश्चात्य प्रभावभारतीय समाज पश्चिम के संपर्क में यूं तो पहले ही आ गया था पर उसकी जीवन शैली, उसकी विचारधारा, उसकी कला और उसके साहित्य पर पश्चिमी प्रभाव वर्तमान स्थित...

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काली धूप- सुभाष नीरव (अनुवाद) By राजीव तनेजा

जब किसी दुख भरी कहानी को पढ़ कर आप उस दुःख.. उस दर्द..उस वेदना को स्वयं महसूस करने लगें। पढ़ते वक्त चल रहे हालातों को ना बदल पाने की अपनी बेबसी पर कुंठित हो..कभी आप तिलमिला उठें छटप...

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साँझी छत- छाया सिंह By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी का शुरुआती लेखन अगर पढ़ने को मिले तो उसमें से उसकी अनगढ़ता या सोंधी महक लिए कच्चापन स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। मगर सुखद आश्चर्य के रूप में कई बार किसी का शुरुआती...

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यह सड़क मेरे गांव को नही जाती By डॉ0 व्योमेश चित्रवंश, एडवोकेट

यह सड़क मेरे गांव को नही जाती : बदलते ग्रामीण परिवेश पर व्योमेश चित्रवंश की एक बेहतरीन किताब एक लंबे अंतराल के बाद एक किताब पढ़ने को मिली जिसने गांव की यात्रा करवाई,जिसका...

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ठरकी- मुकेश गाते By राजीव तनेजा

ज़्यादातर कहानियों के प्लॉट..किस्से या किरदार हमारे ही आसपास के माहौल में..हमारे ही इर्दगिर्द जाने कब से बिखरे पड़े होते हैं मगर हमें उनका पता तक नहीं चलता। उन्हें तब तक अहमियत नहीं...

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3020 ई.- राकेश शंकर भारती By राजीव तनेजा

खगोल विज्ञान शुरू से ही हमारी उत्सुकता, जिज्ञासा, दिलचस्पी एवं उत्कंठा का विषय रहा है। बचपन में खुले आसमान में चाँद तारों को देख उन दिनों हम कई तरह की कल्पनाओं में खो जाया करते थे।...

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राजनारायण बोहरे - आलोचना की अदालत By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

राजनारायण बोहरे की कहानियां यानी हमारी आत्म कथाएं केबीएल पांडे विगत दशकों में कहानी ने जितने रूप गढे हैं वे रचना शीलता का आह्लाद उत्पन्न करते हैं पर इसके साथ ही पाठ की प्रतिक्रिया...

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अवध बिहारी पाठक-समीक्षा-आलोचना एक और पाठ By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आलोचना की जड़ता को तोड़ता विमर्श -अवध बिहारी पाठक प्रसिद्ध आलोचक शंभुनाथ ने एक जगह कहा है कि "आलोचना का पहला काम पीछे लौटती सभ्यताओं के छली बिम्बों पर प्रति आक्रमण तेज करते हुए उस...

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कविता की ओर कुछ कदम-रमाशंकर राय By ramgopal bhavuk

कविता की ओर कुछ कदम के आइने में रमाशंकर राय जी का व्यक्तित्व रामगोपाल भावुक...

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भवभूति का साक्षात्कार -प्रभुदयाल मिश्र By ramgopal bhavuk

पुस्तक – महाकवि भवभूति’ लेखक- रामगोपाल भावुक प्रकाशक- कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन मूल्य – रुपये – 250/ भवभूति का साक्षात्कार -प्रभुदयाल मिश्र रत्नावली,...

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कहानियों में कथ्य और कलात्मक संतुलन By ramgopal bhavuk

कहानियों में कथ्य और कलात्मक संतुलन प्रश्नोत्तर- महावीर अग्रवाल कीं रामगोपाल भावुक से वार्ता- 1 महावीर अग्रवाल- अब तक छपी कहानियों में कौन सी कहानी आपको अधिक प्रिय है और क्...

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मेरी लघुकथाएँ- उमेश मोहन धवन By राजीव तनेजा

यूँ तो परिचय के नाम पर उमेश मोहन धवन जी से मेरा बस इतना परिचय है कि हम दोनों कई सालों से फेसबुक पर एक दूसरे की चुहलबाज़ीयों का मज़ा लेते रहे हैं। व्यंग्य मिश्रित हास्य की अच्छी समझ र...

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पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार By ramgopal bhavuk

पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार रामगोपाल भावुक...

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बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय -के.बी.एल. पाण्डेय संस्कृति जीवन के परिष्कार के उद्देश्य से मानवीय रचनाशीलता की वह निष्पत्ति है जिसमें जीवन के व्यापक आयतन में निर्मि...

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राजा मीरेन्द्र सिंह जू देव‘ प्रेमानन्द’ By ramgopal bhavuk

राजा मीरेन्द्र सिंह जू देव‘ प्रेमानन्द’ चर्चित कवि के साथ कथाकार रामगोपाल भावुक राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव ‘प्रेमानन्द’- वे इस क्षेत्र की मगरौरा गढ़...

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रामधारीसिंह 'दिनकर' की सांस्कृतिक चेतना By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

संस्कृति के चार अध्यायः रामधारीसिंह 'दिनकर' की सांस्कृतिक चेतना डॉ. के0वी०एल० पाण्डेय ओज, राष्ट्रीयता और निर्भीक वैचारिकता के कवि दिनकर अपनी कविता में भावपरकरता के आधार पर जिस सांस...

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तक़दीर का तोहफ़ा- सुरेन्द्र मोहन पाठक By राजीव तनेजा

यूँ तो अब तक के जीवन में कई तरह की किताबें पढ़ने का मौका मिलता रहा है मगर वो कहते हैं कि वक्त से पहले और किस्मत से ज़्यादा कभी किसी को कुछ नहीं मिलता। अगर तक़दीर मेहरबान हो तो तय वक्त...

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स्वतंत्र सक्सैना -सरल नहीं था यह काम By ramgopal bhavuk

सरल नहीं था यह काम जो डॉ. स्वतंत्र ने कर दिखया। समीक्षक-रामगोपाल भावुक सरल नहीं था यह काम जो डॉ. स्वतंत्र सक्सैना ने इस काव्य संकलन के माध्यम से कर दिखया है। वे अपनी बात में कहते ह...

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अक्टूबर जंक्शन- दिव्य प्रकाश दुबे By राजीव तनेजा

कई बार हमारे द्वारा कुछ काम बिना किसी खास मकसद या उद्देश्य के खामखाह भी कर लिए जाते हैं। आमतौर पर ऐसा हम बिना किसी के प्रभाव या दबाव में आए अपनी मनमर्ज़ी से करते हैं कि इससे हमारे अ...

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पं0 जवाहर लाल नेहरू का लेखन By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

पं0 जवाहर लाल नेहरू का लेखन, ज्ञान और संवेदना का रचनात्मक संयोग डा0 के0बी०एल० पाण्डेय आधुनिक भारत के प्रमुख शिल्पी युग पुरुष पं० जवाहर लाल नेहरू अन्तर्राष्ट्रीय जगत् के शीर्ष राजने...

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मिथिलेश कुमारी मिश्रा-उपन्यास के कबीर By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मिथिलेश कुमारी मिश्रा के उपन्यास के कबीर -डॉ के.बी.एल. पाण्डेय हिन्दी के जीवनीपरक उपन्यासों में एक उपविधा यह विकसित हुई है जिसमें कवियों की जीवनी को आधार बनाया गया है। जीवनीपरक उपन...

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प्रेम नाम है मेरा..प्रेम चोपड़ा- रकिता नंदा By राजीव तनेजा

"प्रेम नाम है मेरा..प्रेम चोपड़ा।"इस संवाद के ज़हन में आते ही जिस अभिनेता का नाम हमारे दिलोदिमाग में आता है..वह एक घने बालों वाला..हीरो माफ़िक सुन्दर कदकाठी लिए हुए व्यक्ति का चेहरा ह...

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महेश कटारे सुगम की कविता By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

महेश कटारे सुगम की कविता : हमारे समय का यथार्थ के0बी0एल0 पाण्डेय कहानी, गीत, नवगीत, गजल और समकालीन कविता के अन्यतम रचनाकार महेश कटारे सुगम की रचनाओं के साथ होना अपने समय के साथ होन...

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भली लड़कियाँ.. बुरी लड़कियाँ - अनु सिंह चौधरी By राजीव तनेजा

कहते हैं कि दुनिया गोल है और संयोगों से भरी इस अजब ग़ज़ब दुनिया में अगर एक तरफ़ भले लोग हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ बुरे भी कम नहीं हैं। मगर सवाल ये उठता है कि जो अच्छा है..क्या वो सभी के ल...

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जहीर कुरैशी का गजल संसार By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

जहीर कुरैशी का गजल संसार किस्से नहीं हैं ये किसी विरहन की पीर के। ये शेर हैं अँधेरों से लड़ते जहीर के।चिन्तन ने कोई गीत लिखा या ग़ज़ल कही ?जन्मे हैं अपने आप ही दोहे कबीर के। गीत और...

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मदन मोहन दानिश-शुभकामनाओं का विनम्र पाठ By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मदन मोहन यानि की कविताः शुभकामनाओं का विनम्र पाठ के.बी.एल.पाण्डेय मैक्सिको के ऑक्टागवियो पाज की एक कविता की पंक्तियाँ है.. हमें तब तक गाना है जब हमारा गीत जड़ों ,तनों, शाखाओं, चिड़िय...

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ख़्वाहिशों का खाण्डववन- योगिता यादव By राजीव तनेजा

कहते हैं कि हर चीज़ का कभी ना कभी अंत हो जाता है लेकिन ख्वाहिशों..इच्छाओं का कोई अंत नहीं है। एक इच्छा के पूरी होने से पहले ही दूसरी बलवती हो..सिर उठा अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने को झट...

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काली बकसिया- आभा श्रीवास्तव By राजीव तनेजा

ऐसा बहुत कम होता है कि किसी का लिखा आप पहली बार पढ़ें और पहली बार में ही उसके लेखन के इस हद तक मुरीद हो जाएँ कि लव एट फर्स्ट रीड वाली बात हो जाए। आमतौर पर ऐसा देखने को मिलता है कि ल...

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मैत्रैयी पुष्पा अल्मा कबूतरी By राज बोहरे

मैत्रैयी पुष्पा . अल्मा कबूतरी पुस्तक समीक्षा- अल्मा कबूतरीरू कुछ सवाल, कुछ बातें पुस्तक - अल्मा कबूतरी लेखिका - मैत्रैयी पुष्पा हमारे यहा जब किसी व्यक्ति जांच परख की जाती...

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बद्री नारायण: शब्दपदीयम् By राज बोहरे

बद्री नारायण: शब्दपदीयम् पुस्तक समीक्षा- ’ बद्री नारायण हिन्दी के एकमात्र ऐसे कवि है जो उलटबांसी नुमा कविता नहीं लिखते । वे जो लिखते है वह आम पाठक भी समझ लेता है । शब्दपदीयम्’ उनका...

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नौशाद - भूमिका द्विवेदी अश्क By राजीव तनेजा

कई बार हम चाह कर भी अपने जज़्बातों पर काबू नहीं रख पाते और ज़हन में भारी कशमकश और हाँ.. ना से निरंतर जूझते हुए दिल के हाथों मजबूर हो कर ठीक उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं जो हमारे लिए हित...

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जितेन्द्र विसारिया-हादसा- राज बोहरे By राज बोहरे

जितेन्द्र विसारिया-हादसा- राज बोहरे पुस्तक समीक्षा: अपने समय से मुठभेड़ करती राजनारायण बोहरे की कहानियाँ -जितेन्द्र विसारिया पुस्तक: हादसा...

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हिंदी साहित्य की पुरस्कार परंपरा By Suryabala

सूर्यबाला हिंदी साहित्य के लेखकों को दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है - एक, पुरस्कृत लेखक और दुसरा, अपुरस्कृत लेखक। मोटे तौर पर पुरस्कृत लेखक वे होते हैं गालियाँ लिख...

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हिन्दी उपन्यास और समाज -ड़ा0 ओमप्रकाश शर्मा By राज बोहरे

हिन्दी उपन्यास और समाज -ड़ा0 ओमप्रकाश शर्मा पुस्तक समीक्षा- पुस्तक-हिन्दी उपन्यास और समाज प्रकाशक-अरावली...

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ऐसा क्यों होता है समीक्षा-राज बोहरे By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

के बी एल पांडे हिंदी के प्रसिद्ध वैचारिक गीत कार राजनारायण बोहरे हिंदी के प्रसिद्ध गीत कारों की चर्चा चलने पर बहुत से ऐसे नाम अचर्चित रह जाते हैं , जिन पर कभी ध्यान नहीं गया| इन...

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पवनकरण का ‘काव्य संग्रह‘ इस तरह मैं By राज बोहरे

पवनकरण का ‘काव्य संग्रह‘ इस तरह मैं पुस्तक समीक्षा- सहज और उम्दा कविताऐंः इस तरह मैं राजनारायण बोहरे पुस्तक-इस तरह मैं ‘काव्य संग्रह‘ कवि-पव...

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सूरज प्रकाश की 10 चर्चित कहानियाँ- सूरज प्रकाश By राजीव तनेजा

कई बार किसी का परिपक्व एवं बहुचर्चित लेखन पढ़ने को मिल जाता है कि पढ़ने के बाद आप निशब्द हो..असमंजस एवं संकोच में पड़ जाते हैं कि इस पर क्या लिखें और क्या ना लिखें। उस पर बात करना सू...

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अनिल करमेले (कविता संग्रह) ईश्वर के नाम पर By राज बोहरे

अनिल करमेले (कविता संग्रह) ईश्वर के नाम पर पुस्तक समीक्षा- ईश्वर के नाम पर: द्वंद्व की कवितायें राजनारायण बोहरे पुस्तक-ईश्वर के नाम पर (कविता संग्रह)...

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आखिरी जवाब -महेश राही By राजनारायण बोहरे

कहानी संग्रह आखिरी जवाब महेश राही अलग शिल्प की कहानियाँ परिवेश विचार मंच मुरादाबाद-रामपुर ने कहानीकार महेश राही का कहानी संग्रह “आखिरी जवा...

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मन्नत टेलर्स:प्रज्ञा By राज बोहरे

मन्नत टेलर्स:प्रज्ञा हुनरमंद लोगों का दर्द: पुस्तक-मन्नत टेलर्स लेखिका-प्रज्ञा प्रकाशक-साहित्य भण्डार इलाहाबाद "मन्नत टेलर्स " देहली की बेहद सचेष्ट कहानीकार प्रज्ञा की ग्यारह कहान...

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उसके हिस्से का पुरूष- पुष्पा सक्सैना By राजनारायण बोहरे

पुस्तक समीक्षा- उसके हिस्से का पुरूष- पुष्पा सक्सैना उसके हिस्से का पुरूष कहानी संग्रह अनिधा पुस्तक योजना दिल्ली से प्रकाशित पुष्पा सक्सैना...

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एस.आर. हरनोट-दारोश तथा अन्य कहानियां By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा- दारोश तथा अन्य कहानियां-एस.आर.हरनोट लेखकों मे कुछ लोग अपने कोई पेन नेम या दुख सुख से जुडें नाम नही रखते, ऐसे लोगों का यह कदम उनके...

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उफ़्फ़ कोलकाता- सत्य व्यास By राजीव तनेजा

हर इनसान मुख्य रूप से कुछ बेसिक अनुभूतियों जैसे खुशी..दुख..प्रेम..बिछोह..डर और रोमांच से अपने जीवन में कहीं ना कहीं..कभी ना कभी रूबरू होता ही रहता है। इन्हीं अनुभूतियों का कॉकटेल म...

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गोस्टा तथा अन्य कहानियाँ - रामगोपाल भावुक By राज बोहरे

समीक्षा - गोस्टा तथा अन्य कहानियाँ रामगोपाल भावुक कहानियाँ काल विशेष की धरोहर होतीं है। उन्हें जब हम पढ़ते हैं तो वर्तमान को सामने रखकर पढ़ना शुरू करते हैं। राजनारायण बोहरे का कथा सं...

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