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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Book Reviews in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultu...Read More


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तुम यौवन की अग्निशिखा हो, तुम हो लपटों की पटरानी By Neelam Kulshreshtha

डॉ. ऋषभदेव शर्मा, हैदराबाद जीवन की तनी डोरः ये स्त्रियाँ (ले. नीलम कुलश्रेष्ठ)-- ये कृति समाज में स्त्री की दशा के संबंध में सर्वेक्षणों और स्त्री-उत्थान से जुड़ी संस्थाओं से प्रत्...

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स्टेपल्ड पर्चियाँ - प्रगति गुप्ता By राजीव तनेजा

कभी अख़बारों में छपी चंद गौर करने लायक सुर्खियाँ या तमाम मीडिया चैनल्स की हैडिंग बन चुकी कुछ चुनिंदा या ख़ास ख़बरें हमारे मन मस्तिष्क में कहीं ना कहीं स्टोर हो कर अपनी जगह..अपनी पैठ ब...

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Book Review Writing contest By Ranjana Jaiswal

संवाद करती परछाइयाँ –बालेश्वर सिंहरंजना जायसवाल के कविता –संग्रह ;मछलियाँ देखती हैं सपने की समीक्षारंजना जायसवाल के प्रथम काव्य –संग्रह के बारे में परमानंद श्रीवास्तव ने फ्लैप पर...

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वर्जिन मदर- संतोष कुमार By राजीव तनेजा

80 दशक के अंतिम सालों जैसी एक बॉलीवुड सरीखी कहानी जिसमें रेखा, जितेंद्र, राखी, बिंदु, उत्पल दत्त, चंकी पाण्डेय, गुलशन ग्रोवर इत्यादि जैसे अनेकों जाने पहचाने बिकाऊ स्टार हों और कहान...

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एकलव्य लेखनीय निष्ठा अप्रतिम-मिथिला प्रसाद त्रिपाठी By ramgopal bhavuk

हिन्दू समाज को टूटने से रोकने में उपन्यास एकलव्य मिथिला प्रसाद त्रिपाठी निदेशक कालीदास संस्कृत अकादमी म.प्र. संस्कृति परिषद, उज्जैन दिनांक-9.4 .20.07 प्रिय भावुक जी आप से ली हुई पु...

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कहानियाँ रचती रही, यात्रा भी चलती रही By Neelam Kulshreshtha

डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी ‘गंगटोक का एक भीगा-भीगा दिन’ नीलम कुलश्रेष्ठ का चौथा चर्चित कहानी संग्रह है । इसमें कुल नौ कहानियाँ शामिल हैं । एक कहानी तो वही है जिस पर कहानी संग...

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Book Review Writing contest By Ranjana Jaiswal

प्रार्थना से बाहर और अन्य कहानियां(लेखक--गीता श्री)समीक्षक-रंजना जायसवालस्त्री की आजादी -एक यक्ष प्रश्नकिसी स्त्री को एक रिश्ते से आजाद होने में कितना वक्त लगता है ?कितने फैक्टर का...

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गुलाबी नदी की मछलियाँ- सिनीवाली By राजीव तनेजा

फेसबुक पर जब मैं पहले पहल आया तो खुद ब्लॉगर होने के नाते उन्हीं ब्लॉगर्स के संग दोस्ती की। समय के अंतराल के साथ इसमें बहुत से नए पुराने लेखक और कवि भी जुड़ते चले गए। उस वक्त मुझे यह...

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सरस प्रीत -सुरेश पाण्डेय सरस By ramgopal bhavuk

सरस प्रीत के रचनाकार सुरेश पाण्डेय सरस । समीक्षात्मक टिप्पणी रामगोपाल भावुक...

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विरहणी राधा -राजा मीरेन्द्रसिंह By ramgopal bhavuk

राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव की कृति विरहणी राधा पर समीक्षात्मक पहल...

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स्त्री जीवन से गुज़रता भूमंडलीकरण -'उस महल की सरगोशियां’ By Neelam Kulshreshtha

[ महेंद्र कुमार, शोधार्थी ] इक्कीसवीं सदी के आरम्भ से ही महिला कथाकारों का मूल स्वर उभरा 'मैं जीना चाहतीं हूँ मैं भी एक मनुष्य हूँ। 'हालांकि पिछली सदी की मन्नू भंडारी की &#...

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बहेलिया विपिन कुमार शर्मा By ramgopal bhavuk

बहेलिया विपिन कुमार शर्मा प्रयोगात्मक पहल कहानी संग्रह रामगो...

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रंग लिफाफे- मनीष भार्गव By राजीव तनेजा

कई बार कुछ पढ़ते हुए अचानक नॉस्टेल्जिया के ज़रिए हम उस वक्त..उस समय..उस माहौल में पहुँच जाते हैं कि पुरानी यादें फिर से ताज़ा हो..सर उठाने को आमादा होने लगती हैं। दोस्तों..आज मैं बात...

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दुमछल्ला- निशान्त जैन By राजीव तनेजा

ऐसा नहीं है कि कोई भी व्यक्ति हमेशा अच्छा या फिर हमेशा बुरा ही हो। अपने व्यक्तिगत हितों को साधने..संवारने..सहेजने और बचा कर रखने के प्रयास में वो वक्त ज़रूरत के हिसाब से अच्छा या बु...

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दहशत By Neelam Kulshreshtha

समीक्षा दहशत शहर के वीभत्स पर्दे के पीछे के अपराध में जीवन का स्पंदन डॉ. ऋतु भनोट, मोहाली अंग्रेजी साहित्य में जासूसी और नेगेटिव शेड्स वाले थ्रिलर उपन्यास का चलन हिन्दी की तुलना मे...

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नीली तस्वीरें- सुरेन्द्र मोहन पाठक By राजीव तनेजा

1980 और इससे पहले के दशक में जब हमारे यहाँ मनोरंजन के साधनों के नाम पर लुगदी साहित्य की तूती बोला करती थी। एक तरफ़ सामाजिक उपन्यासों पर जहाँ लगातार फिल्में बन रही थी तो वहीं दूसरी त...

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आजाद रामपुरी -कृतित्व और व्यक्तित्व By ramgopal bhavuk

आजाद रामपुरी कृतित्व और व्यक्तित्व कथाकार के आइने में रामगोपाल भावुक आपका मूल नाम तो पं. शिवदयाल शर्मा...

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शहरीकरण के धब्बे By Neelam Kulshreshtha

समीक्षा शहरीकरण के धब्बे [ लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, कवि व लेखक, हैदरबाद ] मैं कहानी का बहुत अच्छा पाठक नहीं हूं। कारण ये है कि हिन्दी कहाँनियों में संवेदना का समावेश बहुत ज्यादा रहत...

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गाँव गुवाड़- डॉ. नरेन्द्र पारीक By राजीव तनेजा

स्मृतियों के जंगल से जब कभी भी गुज़रना होता है तो अनायास ही मैं फतेहाबाद(हरियाणा) के नज़दीक अपनी नानी के गाँव 'बीघड़' में पहुँच जाता हूँ। जहाँ कभी मेरी नानी गोबर और मिट्टी के...

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आर. पी सक्सैना‘रज्जन’ का समग्र साहित्य By ramgopal bhavuk

आर. पी सक्सैना‘रज्जन’ का समग्र साहित्य मेरी दृष्टि में रामगोपाल भावुक कभी कभी हम समय की पर्वाह नहीं करते तो हाथ मल...

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औपनिवेशिक मानसिकता - भारत के विकास में चुनौती - 1 By KHEMENDRA SINGH

उपनिवेशवाद उपनिवेश (कालोनी) किसी राज्य के निवासियों द्वारा अलग (अपने देश के बाहर) किसी दूरस्थ स्थान पर बसाई गई बस्ती को कहते हैं । किसी पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न राज्य (सावरेन स्टेट)...

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जनता स्टोर- नवीन चौधरी By राजीव तनेजा

ये उस वक्त की बात है जब दसवीं पास करने के बाद कई राज्यों में ग्यारहवीं के लिए सीधे कॉलेज में एडमिशन लेना होता था। दसवीं पास करने के बाद जब गौहाटी (गुवाहाटी) के गौहाटी कॉमर्स कॉलेज...

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डॉक्टर साहिब के डॉगीज़ बीमार हैं- सूरज प्रकाश By राजीव तनेजा

मूलतः खुद भी एक हास्य-व्यंग्यकार होने के नाते मुझे शुरू से हास्य और व्यंग्य से संबंधित रचनाएँ पढ़ने और लिखने में ज़्यादा आनंद आता है। मगर अब इसे मेरी खूबी कह लें या फिर कमी कि मैं कभ...

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रेत बँधे पानी -श्याम विहारी श्रीवास्तव By ramgopal bhavuk

रेत बँधे पानी का प्रवाह रामगोपाल भावुक डॉ. श्याम विहारी श्रीवास्तव की कृति ‘रेत बँधे पानी’ के प्रवाह का अवलोकन करते हुए मैंने जैस...

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तिड़क कर टूटना-अनीता श्रीवास्तव By राजनारायण बोहरे

पुस्तक समीक्षास्वागत पहले कदम काराजनारायण बोहरे'तिड़क कर टूटना' कहानी संग्रह सनातन प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित है, इसकी लेखिका अनीता श्रीवास्तव यद्यपि शुरू से विज्ञान की विद्...

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कनबतियाँ और जोग लिखी-महेश अनघ By ramgopal bhavuk

कनबतियाँ और जोग लिखी एक कथाकार के आइने में रामगोपाल भावुक महेश अनघ जी का नवगीत संग्रह साभिप्राय कनबतियाँ पढ़ने का सौ...

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जन जातियों का पक्षधर है ‘एकलव्य’-डॉ. कामिनी By ramgopal bhavuk

शोषित जन जातियों का पक्षधर है ‘एकलव्य’ उपन्यास पुस्तक- ‘एकलव्य’ उपन्यास लेखक- रामगोपाल भावुक प्रकाशक- अनुभव प्रकाशन,ई.28 लाजपत नगर साहिबा बाद,गाजियाबाद-5 समीक्षक- डॉ. कामिनी पृष्ठ-...

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गीली पाँक- उषाकिरण खान By राजीव तनेजा

कई बार बड़े नाम..बड़े कैनवस वाली फिल्में भी अपने भीतर तमाम ज़रूरी..गैरज़रूरी मसालों के सही अनुपात में मौजूद होने के बावजूद भी महज़ इस वजह से बॉक्सऑफिस पर औंधे मुँह धराशायी हो ..धड़ाम गिर...

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नीलम कुलश्रेष्ठ का गुजरात-दर्शन By Neelam Kulshreshtha

डॉ. किशोर काबरा प्रत्येक साहित्यकार को स्वान्तःसुखाय लिखे जानेवाले साहित्य के समानान्तर समाजोन्मुखी लेखन से भी जुड़ाव रखना पड़ता है । देश, काल और पात्र इसके कारक हैं । निर्भीक कहान...

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वाग्दत्ता- मंजू मिश्रा By राजीव तनेजा

आमतौर पर जब भी कोई नया नया लिखना शुरू करता है तो उसके मन में सहज ही यह बात अपना घर बना लेती है कि उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक इस प्रकार पहुँचना है कि सब उसकी लेखनी को जानें..समझे...

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हौसले की उड़ान- सुरेंद्र मोहन By राजीव तनेजा

इसमें कोई दो राय नहीं कि एक ही सोच..विषय एवं एक ही ध्येय को ले कर हर एक की अपनी अपनी समझ..मत..सोच..विचार एवं अप्रोच हो सकती है। इसी तरह upsc के अभ्यर्थियों के संघर्ष..सफलता..असफलता...

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आदम ग्रहण- हरकीरत कौर चहल, सुभाष नीरव(अनुवाद) By राजीव तनेजा

"कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता/कहीं ज़मीं नहीं मिलती..कहीं आसमां नहीं मिलता"ज़िन्दगी में हर चीज़ अगर हर बार परफैक्ट तरीके से..एकदम सही से..बिना किसी नुक्स..कमी या कोताही के एक्य...

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खुल्लम खुल्ला- ऋषि कपूर By राजीव तनेजा

सफ़ल फिल्मी सितारों की अगर बात करें तो उनकी आने वाली पीढ़ी एक तरह से कह सकते हैं कि..अपने 'मुँह में चाँदी का चम्मच ले कर' पैदा होती है। उन्हें वह सब ऐशोआराम और विलासिता भरा ज...

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स्वर्ग का अंतिम उतार- लक्ष्मी शर्मा By राजीव तनेजा

अमूमन सनातन धर्म को मानने वाले हर छोटे बड़े प्राणी के मन में कहीं ना कहीं यह इच्छा दबी रहती है कि कम से कम एक बार तो वह चार धाम की तीर्थ यात्रा पर जा कर अपना जन्म ज़रूर सफ़ल कर ले। भल...

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चन्द्र प्रकाश पटसारिया-विज्ञान कवि By ramgopal bhavuk

विज्ञान कविताओं के कवि चन्द्र प्रकाश पटसारिया का कृतित्व रामगोपाल भावुक विज्ञान कविताओं के कवि चन्द्रप्रकाश पटसारिया का नाम चर्चा में आ चुका था।...

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कातिल मोहब्बत (शायरी मेरी कलम से) By निखिल ठाकुर

कातिल मोहब्बत ( शायरी मेरी कलम से) लेखक:- निखिल ठाकुर...

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डॉ. राधेश्याम गृप्ता - कृतित्व एवं व्यक्तित्व By ramgopal bhavuk

डॉ. राधेश्याम गृप्ता जी का कृत्त्वि एवं व्यक्तित्व रामगोपाल भावुक मुक्त मनीषा के डॉ. राधेश्याम गुप्ता जी स्मृति अंक उनकी प्रथम पुण्य तिथि 9 सितम्वर 1995 को...

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सीताराम चतुर्वेदी अटल-विद्वान कवि By ramgopal bhavuk

सीताराम चतुर्वेदी अटल जी का कृतित्व और व्यक्तित्व समीक्षक रामगोपाल भावुक सीताराम चतुर्वेदी अटल जी के पुत्र साकेत सुमन चतुर्वेदी से मिलीं पांच पुस्तकें अर्चना...

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आड़ा वक्त-राजनारायण बौहरे By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आड़ा वक्त (उपन्यास) कथाकार- श्री राजनारायण बौहरे...

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मैं किन सपनों की बात करूँ - श्याम सुन्दर तिवारी By ramgopal bhavuk

मैं किन सपनों की बात करूँ समीक्षक- रामगोपाल भावुक श्याम सुन्दर तिवारी की कृति ‘मैं किन सपनों की बात करूँ शिवना...

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रत्नावली - समीक्षक - कमलेशमिश्रा By ramgopal bhavuk

रत्नावली उपन्यास समीक्षक- कमलेशमिश्रा (मेपल...

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रत्नावली - रामगोपाल ‘भावुक‘ By ramgopal bhavuk

रत्नावली उपन्यास समीक्षक- कमलेशमिश्रा (मेपल...

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साहित्य की धरोहर-दादा श्री सीता किशोर खरे By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

साहित्य की धरोहर-दादा श्री सीता किशोर खरे- (भाव सुमन) वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा(ग्वा.)म.प्र...

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना के विचार-गोस्टा समीक्षा By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

गोस्‍टा तथा अन्‍य कहानियां लेखक –श्री राजनारायण बोहरे एक पाठक की प्रतिक्रिया स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना कहानी सं...

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वह जो नहीं कहा - समीक्षा By Sneh Goswami

बहुत कुछ कहता 'वह जो नहीं कहा' (लघुकथा संग्रह : स्नेह गोस्वामी )==========================================000 ॥ पूर्वकथन : नई किताबें डाक में मेरे पास बहुत आती हैं। नये और उदयी...

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अक्टूबर जंक्शन-दिव्य प्रकाश दुबे By राज बोहरे

अक्टूबर जंक्शन उपन्यास दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखा गया चर्चित उंपन्यास “अक्टूबर जंक्शन”हिंद युग्म द्वारा प्रकाशित है। इस उपन्यास में मूल कहानी एक युवक और युवती की मित्रता की है ।...

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बाली का बेटा - राज बोहरे By ramgopal bhavuk

राज बोहरे- उपन्यास बाली का बेटा बाल मन की नजर से समीक्षा समीक्षक -रामगोपाल भावुक गोस्वामी तुलसीदासजी...

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आड़ा वख्‍त -राज नारायण बोहरे By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

समीक्षा आड़ा वख्‍त उपन्‍यास लेखक श्री राज नारायण बोहरे उपन्‍यास ग्रामीण पृष्‍ठ भूमि पर एक किसान शिवस्‍वरूप व उनके छोटे भाई स्‍वरूप के बारे में है। शिवस...

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पूनम शुक्ला- उन्हीं में पलता रहा प्रेम By राज बोहरे

पूनम शुक्ला के सँग्रह की समीक्षा पूनम शुक्ला का कविता संग्रह " उन्हीं में पलता रहा प्रेम " आर्य प्रकाशन मंडल नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है। इस संग्रह में पूनम जी की लगभग 62 कविताएं...

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बघेली संस्कृति और प्रेम तपस्वी By राज बोहरे

बघेली संस्कृति और प्रेम तपस्वी राजनारायण बोहरे रेजा (उंपन्यास) लेखक- स्वर्ण सिंह रघुवंशी प्रकाशक-राजेश्वरी प्रकाशन गुना मूल्य-200/- रुपये रेजा नामक उपन्यास पिछले दिनों पढ़ने क...

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तुम यौवन की अग्निशिखा हो, तुम हो लपटों की पटरानी By Neelam Kulshreshtha

डॉ. ऋषभदेव शर्मा, हैदराबाद जीवन की तनी डोरः ये स्त्रियाँ (ले. नीलम कुलश्रेष्ठ)-- ये कृति समाज में स्त्री की दशा के संबंध में सर्वेक्षणों और स्त्री-उत्थान से जुड़ी संस्थाओं से प्रत्...

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स्टेपल्ड पर्चियाँ - प्रगति गुप्ता By राजीव तनेजा

कभी अख़बारों में छपी चंद गौर करने लायक सुर्खियाँ या तमाम मीडिया चैनल्स की हैडिंग बन चुकी कुछ चुनिंदा या ख़ास ख़बरें हमारे मन मस्तिष्क में कहीं ना कहीं स्टोर हो कर अपनी जगह..अपनी पैठ ब...

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Book Review Writing contest By Ranjana Jaiswal

संवाद करती परछाइयाँ –बालेश्वर सिंहरंजना जायसवाल के कविता –संग्रह ;मछलियाँ देखती हैं सपने की समीक्षारंजना जायसवाल के प्रथम काव्य –संग्रह के बारे में परमानंद श्रीवास्तव ने फ्लैप पर...

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वर्जिन मदर- संतोष कुमार By राजीव तनेजा

80 दशक के अंतिम सालों जैसी एक बॉलीवुड सरीखी कहानी जिसमें रेखा, जितेंद्र, राखी, बिंदु, उत्पल दत्त, चंकी पाण्डेय, गुलशन ग्रोवर इत्यादि जैसे अनेकों जाने पहचाने बिकाऊ स्टार हों और कहान...

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एकलव्य लेखनीय निष्ठा अप्रतिम-मिथिला प्रसाद त्रिपाठी By ramgopal bhavuk

हिन्दू समाज को टूटने से रोकने में उपन्यास एकलव्य मिथिला प्रसाद त्रिपाठी निदेशक कालीदास संस्कृत अकादमी म.प्र. संस्कृति परिषद, उज्जैन दिनांक-9.4 .20.07 प्रिय भावुक जी आप से ली हुई पु...

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कहानियाँ रचती रही, यात्रा भी चलती रही By Neelam Kulshreshtha

डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी ‘गंगटोक का एक भीगा-भीगा दिन’ नीलम कुलश्रेष्ठ का चौथा चर्चित कहानी संग्रह है । इसमें कुल नौ कहानियाँ शामिल हैं । एक कहानी तो वही है जिस पर कहानी संग...

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प्रार्थना से बाहर और अन्य कहानियां(लेखक--गीता श्री)समीक्षक-रंजना जायसवालस्त्री की आजादी -एक यक्ष प्रश्नकिसी स्त्री को एक रिश्ते से आजाद होने में कितना वक्त लगता है ?कितने फैक्टर का...

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गुलाबी नदी की मछलियाँ- सिनीवाली By राजीव तनेजा

फेसबुक पर जब मैं पहले पहल आया तो खुद ब्लॉगर होने के नाते उन्हीं ब्लॉगर्स के संग दोस्ती की। समय के अंतराल के साथ इसमें बहुत से नए पुराने लेखक और कवि भी जुड़ते चले गए। उस वक्त मुझे यह...

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सरस प्रीत -सुरेश पाण्डेय सरस By ramgopal bhavuk

सरस प्रीत के रचनाकार सुरेश पाण्डेय सरस । समीक्षात्मक टिप्पणी रामगोपाल भावुक...

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विरहणी राधा -राजा मीरेन्द्रसिंह By ramgopal bhavuk

राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव की कृति विरहणी राधा पर समीक्षात्मक पहल...

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स्त्री जीवन से गुज़रता भूमंडलीकरण -'उस महल की सरगोशियां’ By Neelam Kulshreshtha

[ महेंद्र कुमार, शोधार्थी ] इक्कीसवीं सदी के आरम्भ से ही महिला कथाकारों का मूल स्वर उभरा 'मैं जीना चाहतीं हूँ मैं भी एक मनुष्य हूँ। 'हालांकि पिछली सदी की मन्नू भंडारी की &#...

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बहेलिया विपिन कुमार शर्मा By ramgopal bhavuk

बहेलिया विपिन कुमार शर्मा प्रयोगात्मक पहल कहानी संग्रह रामगो...

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दुमछल्ला- निशान्त जैन By राजीव तनेजा

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दहशत By Neelam Kulshreshtha

समीक्षा दहशत शहर के वीभत्स पर्दे के पीछे के अपराध में जीवन का स्पंदन डॉ. ऋतु भनोट, मोहाली अंग्रेजी साहित्य में जासूसी और नेगेटिव शेड्स वाले थ्रिलर उपन्यास का चलन हिन्दी की तुलना मे...

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नीली तस्वीरें- सुरेन्द्र मोहन पाठक By राजीव तनेजा

1980 और इससे पहले के दशक में जब हमारे यहाँ मनोरंजन के साधनों के नाम पर लुगदी साहित्य की तूती बोला करती थी। एक तरफ़ सामाजिक उपन्यासों पर जहाँ लगातार फिल्में बन रही थी तो वहीं दूसरी त...

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आजाद रामपुरी -कृतित्व और व्यक्तित्व By ramgopal bhavuk

आजाद रामपुरी कृतित्व और व्यक्तित्व कथाकार के आइने में रामगोपाल भावुक आपका मूल नाम तो पं. शिवदयाल शर्मा...

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शहरीकरण के धब्बे By Neelam Kulshreshtha

समीक्षा शहरीकरण के धब्बे [ लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, कवि व लेखक, हैदरबाद ] मैं कहानी का बहुत अच्छा पाठक नहीं हूं। कारण ये है कि हिन्दी कहाँनियों में संवेदना का समावेश बहुत ज्यादा रहत...

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गाँव गुवाड़- डॉ. नरेन्द्र पारीक By राजीव तनेजा

स्मृतियों के जंगल से जब कभी भी गुज़रना होता है तो अनायास ही मैं फतेहाबाद(हरियाणा) के नज़दीक अपनी नानी के गाँव 'बीघड़' में पहुँच जाता हूँ। जहाँ कभी मेरी नानी गोबर और मिट्टी के...

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आर. पी सक्सैना‘रज्जन’ का समग्र साहित्य By ramgopal bhavuk

आर. पी सक्सैना‘रज्जन’ का समग्र साहित्य मेरी दृष्टि में रामगोपाल भावुक कभी कभी हम समय की पर्वाह नहीं करते तो हाथ मल...

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औपनिवेशिक मानसिकता - भारत के विकास में चुनौती - 1 By KHEMENDRA SINGH

उपनिवेशवाद उपनिवेश (कालोनी) किसी राज्य के निवासियों द्वारा अलग (अपने देश के बाहर) किसी दूरस्थ स्थान पर बसाई गई बस्ती को कहते हैं । किसी पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न राज्य (सावरेन स्टेट)...

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जनता स्टोर- नवीन चौधरी By राजीव तनेजा

ये उस वक्त की बात है जब दसवीं पास करने के बाद कई राज्यों में ग्यारहवीं के लिए सीधे कॉलेज में एडमिशन लेना होता था। दसवीं पास करने के बाद जब गौहाटी (गुवाहाटी) के गौहाटी कॉमर्स कॉलेज...

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डॉक्टर साहिब के डॉगीज़ बीमार हैं- सूरज प्रकाश By राजीव तनेजा

मूलतः खुद भी एक हास्य-व्यंग्यकार होने के नाते मुझे शुरू से हास्य और व्यंग्य से संबंधित रचनाएँ पढ़ने और लिखने में ज़्यादा आनंद आता है। मगर अब इसे मेरी खूबी कह लें या फिर कमी कि मैं कभ...

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रेत बँधे पानी -श्याम विहारी श्रीवास्तव By ramgopal bhavuk

रेत बँधे पानी का प्रवाह रामगोपाल भावुक डॉ. श्याम विहारी श्रीवास्तव की कृति ‘रेत बँधे पानी’ के प्रवाह का अवलोकन करते हुए मैंने जैस...

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तिड़क कर टूटना-अनीता श्रीवास्तव By राजनारायण बोहरे

पुस्तक समीक्षास्वागत पहले कदम काराजनारायण बोहरे'तिड़क कर टूटना' कहानी संग्रह सनातन प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित है, इसकी लेखिका अनीता श्रीवास्तव यद्यपि शुरू से विज्ञान की विद्...

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कनबतियाँ और जोग लिखी-महेश अनघ By ramgopal bhavuk

कनबतियाँ और जोग लिखी एक कथाकार के आइने में रामगोपाल भावुक महेश अनघ जी का नवगीत संग्रह साभिप्राय कनबतियाँ पढ़ने का सौ...

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जन जातियों का पक्षधर है ‘एकलव्य’-डॉ. कामिनी By ramgopal bhavuk

शोषित जन जातियों का पक्षधर है ‘एकलव्य’ उपन्यास पुस्तक- ‘एकलव्य’ उपन्यास लेखक- रामगोपाल भावुक प्रकाशक- अनुभव प्रकाशन,ई.28 लाजपत नगर साहिबा बाद,गाजियाबाद-5 समीक्षक- डॉ. कामिनी पृष्ठ-...

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गीली पाँक- उषाकिरण खान By राजीव तनेजा

कई बार बड़े नाम..बड़े कैनवस वाली फिल्में भी अपने भीतर तमाम ज़रूरी..गैरज़रूरी मसालों के सही अनुपात में मौजूद होने के बावजूद भी महज़ इस वजह से बॉक्सऑफिस पर औंधे मुँह धराशायी हो ..धड़ाम गिर...

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नीलम कुलश्रेष्ठ का गुजरात-दर्शन By Neelam Kulshreshtha

डॉ. किशोर काबरा प्रत्येक साहित्यकार को स्वान्तःसुखाय लिखे जानेवाले साहित्य के समानान्तर समाजोन्मुखी लेखन से भी जुड़ाव रखना पड़ता है । देश, काल और पात्र इसके कारक हैं । निर्भीक कहान...

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वाग्दत्ता- मंजू मिश्रा By राजीव तनेजा

आमतौर पर जब भी कोई नया नया लिखना शुरू करता है तो उसके मन में सहज ही यह बात अपना घर बना लेती है कि उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक इस प्रकार पहुँचना है कि सब उसकी लेखनी को जानें..समझे...

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हौसले की उड़ान- सुरेंद्र मोहन By राजीव तनेजा

इसमें कोई दो राय नहीं कि एक ही सोच..विषय एवं एक ही ध्येय को ले कर हर एक की अपनी अपनी समझ..मत..सोच..विचार एवं अप्रोच हो सकती है। इसी तरह upsc के अभ्यर्थियों के संघर्ष..सफलता..असफलता...

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आदम ग्रहण- हरकीरत कौर चहल, सुभाष नीरव(अनुवाद) By राजीव तनेजा

"कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता/कहीं ज़मीं नहीं मिलती..कहीं आसमां नहीं मिलता"ज़िन्दगी में हर चीज़ अगर हर बार परफैक्ट तरीके से..एकदम सही से..बिना किसी नुक्स..कमी या कोताही के एक्य...

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खुल्लम खुल्ला- ऋषि कपूर By राजीव तनेजा

सफ़ल फिल्मी सितारों की अगर बात करें तो उनकी आने वाली पीढ़ी एक तरह से कह सकते हैं कि..अपने 'मुँह में चाँदी का चम्मच ले कर' पैदा होती है। उन्हें वह सब ऐशोआराम और विलासिता भरा ज...

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स्वर्ग का अंतिम उतार- लक्ष्मी शर्मा By राजीव तनेजा

अमूमन सनातन धर्म को मानने वाले हर छोटे बड़े प्राणी के मन में कहीं ना कहीं यह इच्छा दबी रहती है कि कम से कम एक बार तो वह चार धाम की तीर्थ यात्रा पर जा कर अपना जन्म ज़रूर सफ़ल कर ले। भल...

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चन्द्र प्रकाश पटसारिया-विज्ञान कवि By ramgopal bhavuk

विज्ञान कविताओं के कवि चन्द्र प्रकाश पटसारिया का कृतित्व रामगोपाल भावुक विज्ञान कविताओं के कवि चन्द्रप्रकाश पटसारिया का नाम चर्चा में आ चुका था।...

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कातिल मोहब्बत (शायरी मेरी कलम से) By निखिल ठाकुर

कातिल मोहब्बत ( शायरी मेरी कलम से) लेखक:- निखिल ठाकुर...

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डॉ. राधेश्याम गृप्ता - कृतित्व एवं व्यक्तित्व By ramgopal bhavuk

डॉ. राधेश्याम गृप्ता जी का कृत्त्वि एवं व्यक्तित्व रामगोपाल भावुक मुक्त मनीषा के डॉ. राधेश्याम गुप्ता जी स्मृति अंक उनकी प्रथम पुण्य तिथि 9 सितम्वर 1995 को...

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सीताराम चतुर्वेदी अटल-विद्वान कवि By ramgopal bhavuk

सीताराम चतुर्वेदी अटल जी का कृतित्व और व्यक्तित्व समीक्षक रामगोपाल भावुक सीताराम चतुर्वेदी अटल जी के पुत्र साकेत सुमन चतुर्वेदी से मिलीं पांच पुस्तकें अर्चना...

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आड़ा वक्त-राजनारायण बौहरे By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आड़ा वक्त (उपन्यास) कथाकार- श्री राजनारायण बौहरे...

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मैं किन सपनों की बात करूँ - श्याम सुन्दर तिवारी By ramgopal bhavuk

मैं किन सपनों की बात करूँ समीक्षक- रामगोपाल भावुक श्याम सुन्दर तिवारी की कृति ‘मैं किन सपनों की बात करूँ शिवना...

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रत्नावली - समीक्षक - कमलेशमिश्रा By ramgopal bhavuk

रत्नावली उपन्यास समीक्षक- कमलेशमिश्रा (मेपल...

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रत्नावली - रामगोपाल ‘भावुक‘ By ramgopal bhavuk

रत्नावली उपन्यास समीक्षक- कमलेशमिश्रा (मेपल...

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साहित्य की धरोहर-दादा श्री सीता किशोर खरे By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

साहित्य की धरोहर-दादा श्री सीता किशोर खरे- (भाव सुमन) वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा(ग्वा.)म.प्र...

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना के विचार-गोस्टा समीक्षा By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

गोस्‍टा तथा अन्‍य कहानियां लेखक –श्री राजनारायण बोहरे एक पाठक की प्रतिक्रिया स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना कहानी सं...

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वह जो नहीं कहा - समीक्षा By Sneh Goswami

बहुत कुछ कहता 'वह जो नहीं कहा' (लघुकथा संग्रह : स्नेह गोस्वामी )==========================================000 ॥ पूर्वकथन : नई किताबें डाक में मेरे पास बहुत आती हैं। नये और उदयी...

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अक्टूबर जंक्शन-दिव्य प्रकाश दुबे By राज बोहरे

अक्टूबर जंक्शन उपन्यास दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखा गया चर्चित उंपन्यास “अक्टूबर जंक्शन”हिंद युग्म द्वारा प्रकाशित है। इस उपन्यास में मूल कहानी एक युवक और युवती की मित्रता की है ।...

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बाली का बेटा - राज बोहरे By ramgopal bhavuk

राज बोहरे- उपन्यास बाली का बेटा बाल मन की नजर से समीक्षा समीक्षक -रामगोपाल भावुक गोस्वामी तुलसीदासजी...

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आड़ा वख्‍त -राज नारायण बोहरे By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

समीक्षा आड़ा वख्‍त उपन्‍यास लेखक श्री राज नारायण बोहरे उपन्‍यास ग्रामीण पृष्‍ठ भूमि पर एक किसान शिवस्‍वरूप व उनके छोटे भाई स्‍वरूप के बारे में है। शिवस...

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पूनम शुक्ला- उन्हीं में पलता रहा प्रेम By राज बोहरे

पूनम शुक्ला के सँग्रह की समीक्षा पूनम शुक्ला का कविता संग्रह " उन्हीं में पलता रहा प्रेम " आर्य प्रकाशन मंडल नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है। इस संग्रह में पूनम जी की लगभग 62 कविताएं...

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बघेली संस्कृति और प्रेम तपस्वी By राज बोहरे

बघेली संस्कृति और प्रेम तपस्वी राजनारायण बोहरे रेजा (उंपन्यास) लेखक- स्वर्ण सिंह रघुवंशी प्रकाशक-राजेश्वरी प्रकाशन गुना मूल्य-200/- रुपये रेजा नामक उपन्यास पिछले दिनों पढ़ने क...

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