hindi Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • बाजूबंद

    बाज़ूबंद संभव, सुहानी और झिलमिल की छोटी सी दुनिया थी। संभव और सुहानी दो...

  • इसे डॉलर मत पुकारना बे

    “इसे डॉलर कभी मत पुकारना बे” शैंकी ने अलोए ब्लेक का गाना प्ले किया, जबसे डॉलर आय...

  • सांझा

    - सेव क्या भाव हैं? मैंने एक सेव हाथ में उठाकर उसे मसलते हुए लड़के की ओर देखते ह...

इन्द्रधनुष By Prabodh Kumar Govil

आज वो कुछ अलग सा दिख रहा था। वो लंबा है, ये तो दिखता ही है, मगर उसके बाजू मछलियों से चिकने और गदराए हुए होंगे ये कभी ध्यान ही नहीं गया। जाता भी कैसे, रोज़ तो वो फॉर्मल शर्ट पहने हु...

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लेजेण्ड आफ बटालिक By Mohd Siknandar

रोम जिसे सात पहाड़ियो का देश भी कहा जाता है जिसकी पत्थरो पर आज भी तलवारों के निशान मौजूद है और उस घटना का जिक्र बार बार करते है जिसे हम भूलना भी चाहे तो इतिहास हमे भूलने नहीं देता ।...

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बाजूबंद By Rita Gupta

बाज़ूबंद संभव, सुहानी और झिलमिल की छोटी सी दुनिया थी। संभव और सुहानी दोनों अच्छी नौकरी में थे और उनकी बेटी झिलमिल स्कूल में ही पढ़ रही थी। सप्ताह भर तीनों जी तोड़ मेहनत कर...

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धरना - 4 By Deepak Bundela AryMoulik

लग भग 8 माह बाद प्रिया... प्रिया... प्रिया दौड़ती हुई सी आती हैं... आ रही हूं बाबा आ रही हूं... निखिल प्रिया को नज़र भर के देखता हैं... कोई कमी रह गयी क्या...? हा वही देख रहा था तुम्...

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इसे डॉलर मत पुकारना बे By Nirdesh Nidhi

“इसे डॉलर कभी मत पुकारना बे” शैंकी ने अलोए ब्लेक का गाना प्ले किया, जबसे डॉलर आया था तबसे उसे यह गाना बेहद पसंद आने लगा था । जैसे ही गाने का प्रेलूड शुरू हुआ टूँ टूँ टूँ टूँ ........

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सांझा By Prabodh Kumar Govil

- सेव क्या भाव हैं? मैंने एक सेव हाथ में उठाकर उसे मसलते हुए लड़के की ओर देखते हुए पूछा। - साठ रुपए किलो! कह कर उसने आंखें झुका लीं। मैं चौंक गया, क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले मैंने...

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जिदंगी कैसी है पहेली By Minni Mishra

( कहानी )* जिंदगी कैसी है पहेली * न चाहते हुए भी मेरी नजरें बारबार आकाश पर चली जा रही थीं | आज वह अकेले बेड पर पड़ा सामने दीवार को एकटक देख रहा था |इस तरह आकाश को मैंने कभी अकेले नह...

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ज्ञान की सरिता By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

ज्ञान की सरिता हर रोज की तरह आज भी सर्दी भरी रात गुजर गई सुबह के छ: बज चुके थे l अभी भी बाहर दरवाजे पर शीत लहर का प्रकोप था l सुबह सूरज की किरणें कब लौट कर आए...

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नीडी By Nirdesh Nidhi

“ नीडी ““आप, यहाँ ?”नीरू दी को अकस्मात अपने गाँव में देखकर वो विस्मित हो उठे । नीरू दी ने दृष्टि उठाई तो प्रश्न कर्ता को क्षण भर में पहचान कर बस देखती ह...

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काश वो ऐसी वैसी होती By Prabodh Kumar Govil

समय बदल गया। कोई सबूत, सनद या मिसाल मांगे तो शुभम दे सकता है। चालीस साल पहले एक दिन उसकी नई- नवेली दुल्हन ने उसकी ताज़ा खरीद कर लाई गई पत्रिका अपनी सहेली रीना को पढ़ने के लिए दे दी...

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असल जिंदगी.. By Tarun Kumar Saini

हैं अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आयेगा..... सुनियेगा एक बार गाना और बोल पर थोड़ा ध्यान दीजियेगा । ज़िंदगी और आवारापन बहुत कम लोग "जी" पाते हैं । दिल तो मानो अब एक बाय-पास या ओपनहा...

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मंज़िलों का दलदल - 2 By Deepak Bundela AryMoulik

गुंजन का रुदन तेज़ होते जा रहा था शायद उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था... शायद वो ये सोच रही थी इन आसुओं से उसका किया गया गुनाह धुल जाएगा.... तभी सीला ने गुस्से में गुंजन को चां...

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ममता की छाँव - 2 By Sarita Sharma

हर रविवार छुट्टी के दिन मौली अपने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के साथ जानवरों को जंगल छोड़ने जाते और दिन तक घर आ जाते थे..आज भी जब पड़ोस में रहने वाली खुशी जो मौली की उम्र की है आवाज दी...

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तेरे नाम से शुरू तेरे नाम पर खत्म By Divya Sharma

___________________________“क्या देख रहे हो!हाँ जानती हूँ थोड़ी मोटी हो गई हूँ पर उम्र भी तो देखो पूरी पैंतालीस साल की हूँ।आप भी ना!आँखों से ही सारी बात समझा देते हो।”कह कर स्मृति व...

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सरनेम गांधी By Shikha Kaushik

''पिया गांधी ...'' उपस्थिति दर्ज़ करती मैडम ने कक्षा में ज्यों ही पिया का नाम पुकारा ग्यारहवी की छात्रा पिया हल्का सा हाथ उठाकर ''यस मैडम '' कहते हु...

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थोड़ी देर और ठहर By Prabodh Kumar Govil

लम्बी कहानी-"थोड़ी देर और ठहर" -नहीं-नहीं, जेब में चूहा मुझसे नहीं रखा जायेगा. मर गया तो? बदन में सुरसुरी सी होती रहेगी. काट लेगा, इतनी देर चुपचाप थोड़े ही रहेगा? सारे में बदब...

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अब लौट चले -10 (अंतिम भाग) By Deepak Bundela AryMoulik

अब लौट चले -10सामने के दरवाजे से रवि, अरविन्द और संजना अंदर आ रहें थे. सहमे और डरे हुए से रवि अपना सर झुकाये चुप चाप मनु के सामने खड़ा हो गया था... बैठिये आप लोग... नो सर थेंक्स.......

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हड़बड़ी में उगा सूरज By Prabodh Kumar Govil

हड़बड़ी में उगा सूरजक्रिस्टीना से मेरी पहचान कब से है ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसके बहुत सारे उत्तर हो जाएंगे, और ताज़्जुब मुझे बहुत सारे उत्तर हो जाने का नहीं होगा,बल्कि इस बात का ह...

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काश... By Saurabh kumar Thakur

अक्सर सोचा करता हूँ कि मैं आखिर पढ़ता कब हूँ ।रात को बारह बजे मोबाइल में नेट आता है,सुबह से शाम तीन बजे तक मोबाइल चलाते रहता हूँ ।फिर कोचिंग जाता हूँ ।शाम में सात बजे वापस आता हूँ ।...

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चलन By राजनारायण बोहरे

कहानी--- राजनारायण बोहरे चलन...

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सबेरे सबेरे By r k lal

सबेरे सबेरेआर 0 के 0 लालसंजीव अपने बॉस के कमरे से निकल कर कार्यालय के हाल में आया तो उसने सबको बताया कि आज बॉस का मूड बहुत खराब है, बहुत चिड़चिड़ा रहे हैं, आप लोग जरा बहुत संभाल कर...

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मैडम का मन जीत लिया By Monty Khandelwal

3 दिन पहले की ही बात है | मुझे मारवाड़ जाना है| जिसकी टिकट निकलने के लिए में रेलवे स्टेशन गया था | जहाँ पे रिजर्वेशन टिकट मिलती है | वहां पर लंबी सी लाइन लगी हुई थी मैं भी अपना...

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बाँझ By Mirza Hafiz Baig

बांझ1.शाम. . .खिड़की से बाहर देखते हुए, अपनी आत्मा के दर्द को महसूस करना जैसे उसके जीवन का ढर्रा बन गया था। शाम, रात में बदलने लगी थी। उसने एक गहरी सांस के साथ महसूस किया कि उसकी जि...

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अम्मा By Ila Singh

अम्मा ******* “आज हमसे खाना नही बनेगा भाई !”भाभी ने रोटी सेकते-सेकते झटके से आटे की परात अपने आगे से सरका दी और झल्लाते हुए लकड़ी के पटरे को पैर से ठेल कर चूल्हे के पास से उठ खड़ी...

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हीरो By Saurabh kumar Thakur

बात है,बिहार के एक ऐसे जिला जहाँ नक्सली हमले होते रहते हैं,और ज्यादा नक्सली वहीं होते हैं । उस जिले में बारह दोस्त रहते थे,पहले का नाम सौरभ,दूसरे का नाम चंदन,तीसरे का नाम गोलू,चौथे...

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इन्कार By Mukteshwar Prasad Singh

इन्कार​आज राजा देवकीनन्दन एण्ड डायमंड जुबली महाविद्यालय ,मुंगेर के कैम्पस में नयी चहल-पहल थी। ऐसी चहल पहल प्रायः प्रतिवर्ष देखी जाती है जब इन्टरमीडिएट कक्षाओं क...

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दास्तान-ए-अश्क - 30 - लास्ट पार्ट By SABIRKHAN

कहते हैं ना मजबूरी इंसान को बहुत कुछ करवाती है जिंदगी में पहली बार उसने अपने भाइयों से मदद मांगी.. मरने से तो यह रास्ता उचित ही था l अब घर की चिंता नहीं थी मगर एक बात थी जो उसको खा...

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गांव की पंडिताइन By r k lal

"गांव की पंडिताइन" आर0 के0 लाल विजयदशमी के अवसर पर पंडिताइन ने अपने घर में भंडारा किया। कई गांवों के लोगों को निमंत्रण दिया था। बड़ी संख्या में लोग आए थे। पंडिताइन बड़े रोब के...

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मेरा गाँव मेरा देश By Mukteshwar Prasad Singh

मेरा गाँव मेरा देश​नैनसी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ’एम फील’ की परीक्षा उत्तीर्ण कर गयी। उसका शोध का विषय था ’’इण्डियन कल्चर ड्यूरिंग ब्रिटिश राइन’’। शोध-पत्र तैयार...

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एक और मौत By Deepak Bundela AryMoulik

रुपहले पर्दे के पीछे का सच मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई.... कौन हैं....? मेम मै सुमित.... आपको स्क्रिप्ट देने आया हूं मेम.... ! ओह सु...

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अतीत By Mukteshwar Prasad Singh

अतीतलगभग एक घंटा से स्थापना समिति की बैठक समाहर्ता कक्ष में चल रही थी।ज़िला के आला अधिकारी इसमें शामिल थे।प्रमुख प्रस्तावों में स्थानान्तरण-पदस्थापन एवं प्रोन...

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रिश्ता अपनो से By Manjeet Singh Gauhar

आपने अब तक शायद सिर्फ़ ऐसे लोगों को ही देखा होगा जो ये कहते हैं कि ' मेरे परिवार में तो चार सदस्य हैं या पाँच सदस्य हैं या आठ, दस, बारह हैं।' जो परिवार के सदस्यों की गिनती...

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अनुराग By Mukteshwar Prasad Singh

अनुरागचारों ओर कितने परिवर्तन हो चुके थे। हों भी क्यों नही पूरा एक दशक जो बीत गया था। मुकुन्द डाक्टर बन गया था। जिन्दगी की दौड़ में वह उस मुकाम पर पहुँच गया...

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टूटी चप्पल By Manjeet Singh Gauhar

बहुत समय पहले की बात है। जबकि तब हमारे देश में मुग़ल बादशाह शाहजँहा का शासन हुआ करता था।उस समय हमारे देश हिन्दूस्तान में कुछ विदेशी लोग घूमने आएे हुए थे।हमारे देश उस समय कुछ ज़्याद...

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पलायन By Mukteshwar Prasad Singh

" पलायन "​गंगा दियारा के गाँव रामपुर में आग लग गयी थी। कुछ ही देर में गाँव के कई घरों से तेज लपटें उठने लगी। आकाश में लाल लपटें और धुएं के गुबार ने भयावह दृश्य पै...

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इन्द्रधनुष By Prabodh Kumar Govil

आज वो कुछ अलग सा दिख रहा था। वो लंबा है, ये तो दिखता ही है, मगर उसके बाजू मछलियों से चिकने और गदराए हुए होंगे ये कभी ध्यान ही नहीं गया। जाता भी कैसे, रोज़ तो वो फॉर्मल शर्ट पहने हु...

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लेजेण्ड आफ बटालिक By Mohd Siknandar

रोम जिसे सात पहाड़ियो का देश भी कहा जाता है जिसकी पत्थरो पर आज भी तलवारों के निशान मौजूद है और उस घटना का जिक्र बार बार करते है जिसे हम भूलना भी चाहे तो इतिहास हमे भूलने नहीं देता ।...

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बाजूबंद By Rita Gupta

बाज़ूबंद संभव, सुहानी और झिलमिल की छोटी सी दुनिया थी। संभव और सुहानी दोनों अच्छी नौकरी में थे और उनकी बेटी झिलमिल स्कूल में ही पढ़ रही थी। सप्ताह भर तीनों जी तोड़ मेहनत कर...

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धरना - 4 By Deepak Bundela AryMoulik

लग भग 8 माह बाद प्रिया... प्रिया... प्रिया दौड़ती हुई सी आती हैं... आ रही हूं बाबा आ रही हूं... निखिल प्रिया को नज़र भर के देखता हैं... कोई कमी रह गयी क्या...? हा वही देख रहा था तुम्...

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इसे डॉलर मत पुकारना बे By Nirdesh Nidhi

“इसे डॉलर कभी मत पुकारना बे” शैंकी ने अलोए ब्लेक का गाना प्ले किया, जबसे डॉलर आया था तबसे उसे यह गाना बेहद पसंद आने लगा था । जैसे ही गाने का प्रेलूड शुरू हुआ टूँ टूँ टूँ टूँ ........

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सांझा By Prabodh Kumar Govil

- सेव क्या भाव हैं? मैंने एक सेव हाथ में उठाकर उसे मसलते हुए लड़के की ओर देखते हुए पूछा। - साठ रुपए किलो! कह कर उसने आंखें झुका लीं। मैं चौंक गया, क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले मैंने...

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जिदंगी कैसी है पहेली By Minni Mishra

( कहानी )* जिंदगी कैसी है पहेली * न चाहते हुए भी मेरी नजरें बारबार आकाश पर चली जा रही थीं | आज वह अकेले बेड पर पड़ा सामने दीवार को एकटक देख रहा था |इस तरह आकाश को मैंने कभी अकेले नह...

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ज्ञान की सरिता By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

ज्ञान की सरिता हर रोज की तरह आज भी सर्दी भरी रात गुजर गई सुबह के छ: बज चुके थे l अभी भी बाहर दरवाजे पर शीत लहर का प्रकोप था l सुबह सूरज की किरणें कब लौट कर आए...

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नीडी By Nirdesh Nidhi

“ नीडी ““आप, यहाँ ?”नीरू दी को अकस्मात अपने गाँव में देखकर वो विस्मित हो उठे । नीरू दी ने दृष्टि उठाई तो प्रश्न कर्ता को क्षण भर में पहचान कर बस देखती ह...

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काश वो ऐसी वैसी होती By Prabodh Kumar Govil

समय बदल गया। कोई सबूत, सनद या मिसाल मांगे तो शुभम दे सकता है। चालीस साल पहले एक दिन उसकी नई- नवेली दुल्हन ने उसकी ताज़ा खरीद कर लाई गई पत्रिका अपनी सहेली रीना को पढ़ने के लिए दे दी...

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असल जिंदगी.. By Tarun Kumar Saini

हैं अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आयेगा..... सुनियेगा एक बार गाना और बोल पर थोड़ा ध्यान दीजियेगा । ज़िंदगी और आवारापन बहुत कम लोग "जी" पाते हैं । दिल तो मानो अब एक बाय-पास या ओपनहा...

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मंज़िलों का दलदल - 2 By Deepak Bundela AryMoulik

गुंजन का रुदन तेज़ होते जा रहा था शायद उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था... शायद वो ये सोच रही थी इन आसुओं से उसका किया गया गुनाह धुल जाएगा.... तभी सीला ने गुस्से में गुंजन को चां...

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ममता की छाँव - 2 By Sarita Sharma

हर रविवार छुट्टी के दिन मौली अपने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के साथ जानवरों को जंगल छोड़ने जाते और दिन तक घर आ जाते थे..आज भी जब पड़ोस में रहने वाली खुशी जो मौली की उम्र की है आवाज दी...

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तेरे नाम से शुरू तेरे नाम पर खत्म By Divya Sharma

___________________________“क्या देख रहे हो!हाँ जानती हूँ थोड़ी मोटी हो गई हूँ पर उम्र भी तो देखो पूरी पैंतालीस साल की हूँ।आप भी ना!आँखों से ही सारी बात समझा देते हो।”कह कर स्मृति व...

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सरनेम गांधी By Shikha Kaushik

''पिया गांधी ...'' उपस्थिति दर्ज़ करती मैडम ने कक्षा में ज्यों ही पिया का नाम पुकारा ग्यारहवी की छात्रा पिया हल्का सा हाथ उठाकर ''यस मैडम '' कहते हु...

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थोड़ी देर और ठहर By Prabodh Kumar Govil

लम्बी कहानी-"थोड़ी देर और ठहर" -नहीं-नहीं, जेब में चूहा मुझसे नहीं रखा जायेगा. मर गया तो? बदन में सुरसुरी सी होती रहेगी. काट लेगा, इतनी देर चुपचाप थोड़े ही रहेगा? सारे में बदब...

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अब लौट चले -10 (अंतिम भाग) By Deepak Bundela AryMoulik

अब लौट चले -10सामने के दरवाजे से रवि, अरविन्द और संजना अंदर आ रहें थे. सहमे और डरे हुए से रवि अपना सर झुकाये चुप चाप मनु के सामने खड़ा हो गया था... बैठिये आप लोग... नो सर थेंक्स.......

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हड़बड़ी में उगा सूरज By Prabodh Kumar Govil

हड़बड़ी में उगा सूरजक्रिस्टीना से मेरी पहचान कब से है ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसके बहुत सारे उत्तर हो जाएंगे, और ताज़्जुब मुझे बहुत सारे उत्तर हो जाने का नहीं होगा,बल्कि इस बात का ह...

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काश... By Saurabh kumar Thakur

अक्सर सोचा करता हूँ कि मैं आखिर पढ़ता कब हूँ ।रात को बारह बजे मोबाइल में नेट आता है,सुबह से शाम तीन बजे तक मोबाइल चलाते रहता हूँ ।फिर कोचिंग जाता हूँ ।शाम में सात बजे वापस आता हूँ ।...

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चलन By राजनारायण बोहरे

कहानी--- राजनारायण बोहरे चलन...

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सबेरे सबेरे By r k lal

सबेरे सबेरेआर 0 के 0 लालसंजीव अपने बॉस के कमरे से निकल कर कार्यालय के हाल में आया तो उसने सबको बताया कि आज बॉस का मूड बहुत खराब है, बहुत चिड़चिड़ा रहे हैं, आप लोग जरा बहुत संभाल कर...

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मैडम का मन जीत लिया By Monty Khandelwal

3 दिन पहले की ही बात है | मुझे मारवाड़ जाना है| जिसकी टिकट निकलने के लिए में रेलवे स्टेशन गया था | जहाँ पे रिजर्वेशन टिकट मिलती है | वहां पर लंबी सी लाइन लगी हुई थी मैं भी अपना...

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बाँझ By Mirza Hafiz Baig

बांझ1.शाम. . .खिड़की से बाहर देखते हुए, अपनी आत्मा के दर्द को महसूस करना जैसे उसके जीवन का ढर्रा बन गया था। शाम, रात में बदलने लगी थी। उसने एक गहरी सांस के साथ महसूस किया कि उसकी जि...

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अम्मा By Ila Singh

अम्मा ******* “आज हमसे खाना नही बनेगा भाई !”भाभी ने रोटी सेकते-सेकते झटके से आटे की परात अपने आगे से सरका दी और झल्लाते हुए लकड़ी के पटरे को पैर से ठेल कर चूल्हे के पास से उठ खड़ी...

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हीरो By Saurabh kumar Thakur

बात है,बिहार के एक ऐसे जिला जहाँ नक्सली हमले होते रहते हैं,और ज्यादा नक्सली वहीं होते हैं । उस जिले में बारह दोस्त रहते थे,पहले का नाम सौरभ,दूसरे का नाम चंदन,तीसरे का नाम गोलू,चौथे...

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इन्कार By Mukteshwar Prasad Singh

इन्कार​आज राजा देवकीनन्दन एण्ड डायमंड जुबली महाविद्यालय ,मुंगेर के कैम्पस में नयी चहल-पहल थी। ऐसी चहल पहल प्रायः प्रतिवर्ष देखी जाती है जब इन्टरमीडिएट कक्षाओं क...

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दास्तान-ए-अश्क - 30 - लास्ट पार्ट By SABIRKHAN

कहते हैं ना मजबूरी इंसान को बहुत कुछ करवाती है जिंदगी में पहली बार उसने अपने भाइयों से मदद मांगी.. मरने से तो यह रास्ता उचित ही था l अब घर की चिंता नहीं थी मगर एक बात थी जो उसको खा...

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गांव की पंडिताइन By r k lal

"गांव की पंडिताइन" आर0 के0 लाल विजयदशमी के अवसर पर पंडिताइन ने अपने घर में भंडारा किया। कई गांवों के लोगों को निमंत्रण दिया था। बड़ी संख्या में लोग आए थे। पंडिताइन बड़े रोब के...

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मेरा गाँव मेरा देश By Mukteshwar Prasad Singh

मेरा गाँव मेरा देश​नैनसी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ’एम फील’ की परीक्षा उत्तीर्ण कर गयी। उसका शोध का विषय था ’’इण्डियन कल्चर ड्यूरिंग ब्रिटिश राइन’’। शोध-पत्र तैयार...

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एक और मौत By Deepak Bundela AryMoulik

रुपहले पर्दे के पीछे का सच मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई.... कौन हैं....? मेम मै सुमित.... आपको स्क्रिप्ट देने आया हूं मेम.... ! ओह सु...

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अतीत By Mukteshwar Prasad Singh

अतीतलगभग एक घंटा से स्थापना समिति की बैठक समाहर्ता कक्ष में चल रही थी।ज़िला के आला अधिकारी इसमें शामिल थे।प्रमुख प्रस्तावों में स्थानान्तरण-पदस्थापन एवं प्रोन...

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रिश्ता अपनो से By Manjeet Singh Gauhar

आपने अब तक शायद सिर्फ़ ऐसे लोगों को ही देखा होगा जो ये कहते हैं कि ' मेरे परिवार में तो चार सदस्य हैं या पाँच सदस्य हैं या आठ, दस, बारह हैं।' जो परिवार के सदस्यों की गिनती...

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अनुराग By Mukteshwar Prasad Singh

अनुरागचारों ओर कितने परिवर्तन हो चुके थे। हों भी क्यों नही पूरा एक दशक जो बीत गया था। मुकुन्द डाक्टर बन गया था। जिन्दगी की दौड़ में वह उस मुकाम पर पहुँच गया...

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टूटी चप्पल By Manjeet Singh Gauhar

बहुत समय पहले की बात है। जबकि तब हमारे देश में मुग़ल बादशाह शाहजँहा का शासन हुआ करता था।उस समय हमारे देश हिन्दूस्तान में कुछ विदेशी लोग घूमने आएे हुए थे।हमारे देश उस समय कुछ ज़्याद...

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पलायन By Mukteshwar Prasad Singh

" पलायन "​गंगा दियारा के गाँव रामपुर में आग लग गयी थी। कुछ ही देर में गाँव के कई घरों से तेज लपटें उठने लगी। आकाश में लाल लपटें और धुएं के गुबार ने भयावह दृश्य पै...

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