hindi Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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पेट पर टिकी अक़्ल By Yogesh Kanava

अपनी ही धुन में चलना, अपने में ही खोए रहना अपने आसपास क्या हो रहा है शायद उसे जानकारी ही नहीं है। कहने को दुनिया जहान की पूरी जानकारी रखने का दम भरते हैं, क्लिंटन ने लेविंस्की से क...

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खामोशिया..... By Lotus

खामोशिया अपनी कहे किस से ...जज्बत जज्बात ही रह गए हम पास आकर भी दूर हो गए हम तो लिख कर दर्द कम करते है वो सरेआम दोस्तो मे बदनाम करते है लोग कहते है बुक लिखा करो हम क्या बता ए FB.YQ...

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रहस्यमय अंधविश्वास: अंतिम सत्य की तलाश By Kali Hari

अर्जुन, नीलम और रूपेश की जीत के बाद, वे दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का निर्णय लेते हैं। उन्होंने एक गुप्त स्थान पर गुफा चुनी है, जो अत्यंत मजबूत सुरक्षा प्रणाली से लदी हुई है।गुफा...

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कीर के उपवन की कली By DINESH KUMAR KEER

*कीर के उपवन की कली*भारत: -दिन दूर नहीं खंडित भारत को, पुनः अखंड बनाएंगे,गिलगित से गारो पर्वत तक, आजादी पर्व मनाएंगे। उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से, कमर कसें बलिदान करें,जो पाया उसमे...

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चेहरे के विपरीत चेहरा By Anant Dhish Aman

चेहरे के विपरीत चेहरा हाँ! घर से दूर बड़े महानगर में हूँ, हाँ बड़े महानगर में! देखे भी हो कभी या सिर्फ सुना और पढा हीं है। हाँ सच कह रहा हूँ महानगर में रहने आया हूँ पढने और खूब बड़ा इ...

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घुंघरू By Yogesh Kanava

घुंघरू आज ना जाने क्या हुआ था मुझे, वापस आ तो रहा था लेकिन लग रहा था कि कुछ ना कुछ पीछे छूट गया है। मैं जब गया था तो सोचा भी न था कि इस प्रकार से, इतनी बड़ी सौगात के साथ लौटूगाँ। मै...

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मुस्कान - दिल से बंधी एक डोर (भाग-2) By DINESH KUMAR KEER

रिश्तों की अहमियत.... ? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ?""चुप रहो माँ" राधिका को न जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नही लगा।फिर स्टोर रूम में पड़े सामान...

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परदेस में ज़िंदगी - भाग 2 By Ekta Vyas

कहानी:- परदेस मैं ज़िंदगी भाग - 2 अब तक आपने पढ़ा की किस प्रकार मितेश भाई के जीवन में उतार चढ़ाव आए और वो लोग हमेशा हमेशा के लिए विदेश चले गए। अब आगे विदेश का जीवन मितेश भाई के लिए...

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कोरड़ी By Yogesh Kanava

बरसाती बादलों के उमड़ आते ही पुरानी छोटे अक्सर सालती हैं । उनमें दर्द उभरता है , कुछ याद दिलाता है कि बचपन में लड़कपन में जो बार-बार पेड़ की डाल से कूदते थे , दीवार फान्दते जब अमिय...

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बूढ़ा बरगद By Yogesh Kanava

घूमने-फिरने का शौकीन संदेश आज फिर निकल गया था एक अनजानी सी डगर पर। घूमना-फिरना, नई से नई जगह देखना और उस जगह की पूरी जानकारी लेकर कुछ ना कुछ लिखना संदेश को बहुत ज्यादा पसंद था। वो...

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मुख्यधारा By Yogesh Kanava

बहुत दिनों से सन्देश कहीं जा नहीं पाया था। वो बस अपने ही कार्यालय की मारामारी में उलझा सा रह गया था। सन्देश जैसा घुम्मकड़ प्रवृति का व्यक्ति एक कुर्सी से बंधकर रह जाये तो उसके भीतर...

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सौगन्ध - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मेरी बुआ ने,जो मेरे प्रसव के समय वहाँ उपस्थित थी,कन्या को जन्म देने के पश्चात मैं अचेत हो गई और जब सचेत हुई तो मुझे ये दुखभरी सूचना मिली...वसुन्धरा बोली.... तब भूकालेश्वर जी बोले.....

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और मैं वही का ककनूस हूं By Yogesh Kanava

बुझते हुए उजालों में दूर तक केवल धूल का ही राज लगता है दूर जहां आसमान धरती से आलिंगन करता जान पड़ रहा है और लाज की मारी धरती बस सुरमई हो गई सी लगती है पर यह गुबार उसे किस कदर मटमैल...

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बिसायती बाबा By Yogesh Kanava

पीठ पर गठरी लादे, सफेद ट्रीम की हुई दाढ़ी वाला बाबा महीने में एक बार उस गांव में आ ही जाता था। जब भी आता था गांवभर की औरतें उसे घेर लेती और अपनी-अपनी पसंद का सामान पूछती थी उससे। पू...

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आलू के परोंठे By Yogesh Kanava

मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हां मेरी बड़ी बेटी) को आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर देखने के लिए कहा । वो अपने म्यूजिक में मस्त थी और उसे म्यूजिक सुनते समय...

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कंकड़ कंकड़ शंकर By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष इंग्लिश, संस्कृत हिन्दी में स्नातकोत्तर कर चुका था और मैथ से स्नाकोत्तर की तैयारी में जुटा था उंसे माँ बाप परिवार को छोड़े सत्रह वर्ष हो चुके थे वह कभी कभी एकांत में रहता तो मा...

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होमो सेपियन्स By Guri baba

होमो सेपियन्स , पहला आधुनिक मानव, 200,000 और 300,000 साल पहले के बीच अपने शुरुआती होमिनिड पूर्ववर्तियों से विकसित हुआ। उन्होंने लगभग 50,000 साल पहले भाषा के लिए क्षमता विकसित की थी...

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दादा जी By Ashok Kaushik

एक ज़माने पहले जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो बच्चों को गर्मी की छुट्टियों का इंतजार उसी वक्त से शुरू हो जाता था जब मार्च में वार्षिक परीक्षा चल रही होती थी | उन दिनों में गर्मी की छुट...

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भगवान परशुराम जी By Guri baba

महर्षि ऋचीक ने महर्षि अगत्स्य के अनुरोध पर जमदग्नि को महर्षि अगत्स्य के साथ दक्षिण में कोंकण प्रदेश मे धर्म प्रचार का कार्य करने लगे। कोंकण प्रदेश का राजा जमदग्नि की विद्वता पर इतन...

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एक निज़ाम की सच्ची कहानी (निज़ाम शाह की कहानी) By Saroj Verma

मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर मे...

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अंधे बाबा अब्दुल्ला की कहानी By Ravinder Sharma

बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैं...

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अंधेरा बंगला - 9 By Mansi

Chep 9 अब तक आपने देखा कि गुड़िया ने कहा कि अंधेरे बंगले के अंदर उसी की उम्र की एक बच्ची ने उसके साथ खूब खेला अभी आगे की कहानी देखते है। सब लोग गुड़िया की तरफ देखने लगते है तब ही म...

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छोटी जो बड़ी वो By Smile Smile

छोटी जो बड़ी वो रिनछिन के पेंसिल बॉक्स में रबर, शार्पनर और पेंसिल थींं। रिनछिन ने दो और नई पेंसिलें खरीदीं। नई पेंसिलों को भी उसने बॉक्स में रख दिया। एक नई पेंसिल बोली, “मैं लाली हू...

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नारियल के जन्म की कहानी By Sagar Sonawane

प्राचीन काल में सत्यव्रत नाम के एक राजा राज करते थे। वह प्रतिदिन पूजा-पाठ किया करते थे। उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। वह धन दौलत से लेकर हर प्रकार की सुविधा से समृद्ध थे। हा...

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला की कहानी By Smile Smile

दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती ह...

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प्रतिभोज By ANKIT YADAV

गांव का नाम बताने की जरूरत नही। भारत के सभी गांवो का लगभग यही हाल है।शादी का मंच सजा है। दुल्हा-दुल्हन के लिए सोफे लगे हैं। मेहमानों के लिए सामने ही कुर्सियां लगी है। और वही ढोल नग...

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खोए हुए दृश्य By ANKIT YADAV

देखो तो इन हरामजादों को, कैसे हाथ में हाथ मिलाए घूमे जा रहे हैं। ना मां-बाप का डर है ना समाज का। शाम हुई नहीं कि यह दृश्य देखते रहते है। इन भालमानस को कौन समझाए अब कि पढ़ाई कितनी ज...

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स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर By Anant Dhish Aman

"स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर"भारत जो एक लंबे समय तक पराधीनता के भाव और स्वभाव में जो जकङीत रह चूका था उसके लिए यह सफर तय कर पाना आसान नहीं था या यूँ कहे एक गुलामी के दर्द को...

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पेट पर टिकी अक़्ल By Yogesh Kanava

अपनी ही धुन में चलना, अपने में ही खोए रहना अपने आसपास क्या हो रहा है शायद उसे जानकारी ही नहीं है। कहने को दुनिया जहान की पूरी जानकारी रखने का दम भरते हैं, क्लिंटन ने लेविंस्की से क...

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खामोशिया..... By Lotus

खामोशिया अपनी कहे किस से ...जज्बत जज्बात ही रह गए हम पास आकर भी दूर हो गए हम तो लिख कर दर्द कम करते है वो सरेआम दोस्तो मे बदनाम करते है लोग कहते है बुक लिखा करो हम क्या बता ए FB.YQ...

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रहस्यमय अंधविश्वास: अंतिम सत्य की तलाश By Kali Hari

अर्जुन, नीलम और रूपेश की जीत के बाद, वे दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का निर्णय लेते हैं। उन्होंने एक गुप्त स्थान पर गुफा चुनी है, जो अत्यंत मजबूत सुरक्षा प्रणाली से लदी हुई है।गुफा...

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कीर के उपवन की कली By DINESH KUMAR KEER

*कीर के उपवन की कली*भारत: -दिन दूर नहीं खंडित भारत को, पुनः अखंड बनाएंगे,गिलगित से गारो पर्वत तक, आजादी पर्व मनाएंगे। उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से, कमर कसें बलिदान करें,जो पाया उसमे...

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चेहरे के विपरीत चेहरा By Anant Dhish Aman

चेहरे के विपरीत चेहरा हाँ! घर से दूर बड़े महानगर में हूँ, हाँ बड़े महानगर में! देखे भी हो कभी या सिर्फ सुना और पढा हीं है। हाँ सच कह रहा हूँ महानगर में रहने आया हूँ पढने और खूब बड़ा इ...

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घुंघरू By Yogesh Kanava

घुंघरू आज ना जाने क्या हुआ था मुझे, वापस आ तो रहा था लेकिन लग रहा था कि कुछ ना कुछ पीछे छूट गया है। मैं जब गया था तो सोचा भी न था कि इस प्रकार से, इतनी बड़ी सौगात के साथ लौटूगाँ। मै...

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मुस्कान - दिल से बंधी एक डोर (भाग-2) By DINESH KUMAR KEER

रिश्तों की अहमियत.... ? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ?""चुप रहो माँ" राधिका को न जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नही लगा।फिर स्टोर रूम में पड़े सामान...

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परदेस में ज़िंदगी - भाग 2 By Ekta Vyas

कहानी:- परदेस मैं ज़िंदगी भाग - 2 अब तक आपने पढ़ा की किस प्रकार मितेश भाई के जीवन में उतार चढ़ाव आए और वो लोग हमेशा हमेशा के लिए विदेश चले गए। अब आगे विदेश का जीवन मितेश भाई के लिए...

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बरसाती बादलों के उमड़ आते ही पुरानी छोटे अक्सर सालती हैं । उनमें दर्द उभरता है , कुछ याद दिलाता है कि बचपन में लड़कपन में जो बार-बार पेड़ की डाल से कूदते थे , दीवार फान्दते जब अमिय...

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बूढ़ा बरगद By Yogesh Kanava

घूमने-फिरने का शौकीन संदेश आज फिर निकल गया था एक अनजानी सी डगर पर। घूमना-फिरना, नई से नई जगह देखना और उस जगह की पूरी जानकारी लेकर कुछ ना कुछ लिखना संदेश को बहुत ज्यादा पसंद था। वो...

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बहुत दिनों से सन्देश कहीं जा नहीं पाया था। वो बस अपने ही कार्यालय की मारामारी में उलझा सा रह गया था। सन्देश जैसा घुम्मकड़ प्रवृति का व्यक्ति एक कुर्सी से बंधकर रह जाये तो उसके भीतर...

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सौगन्ध - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मेरी बुआ ने,जो मेरे प्रसव के समय वहाँ उपस्थित थी,कन्या को जन्म देने के पश्चात मैं अचेत हो गई और जब सचेत हुई तो मुझे ये दुखभरी सूचना मिली...वसुन्धरा बोली.... तब भूकालेश्वर जी बोले.....

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और मैं वही का ककनूस हूं By Yogesh Kanava

बुझते हुए उजालों में दूर तक केवल धूल का ही राज लगता है दूर जहां आसमान धरती से आलिंगन करता जान पड़ रहा है और लाज की मारी धरती बस सुरमई हो गई सी लगती है पर यह गुबार उसे किस कदर मटमैल...

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बिसायती बाबा By Yogesh Kanava

पीठ पर गठरी लादे, सफेद ट्रीम की हुई दाढ़ी वाला बाबा महीने में एक बार उस गांव में आ ही जाता था। जब भी आता था गांवभर की औरतें उसे घेर लेती और अपनी-अपनी पसंद का सामान पूछती थी उससे। पू...

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आलू के परोंठे By Yogesh Kanava

मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हां मेरी बड़ी बेटी) को आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर देखने के लिए कहा । वो अपने म्यूजिक में मस्त थी और उसे म्यूजिक सुनते समय...

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कंकड़ कंकड़ शंकर By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष इंग्लिश, संस्कृत हिन्दी में स्नातकोत्तर कर चुका था और मैथ से स्नाकोत्तर की तैयारी में जुटा था उंसे माँ बाप परिवार को छोड़े सत्रह वर्ष हो चुके थे वह कभी कभी एकांत में रहता तो मा...

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होमो सेपियन्स By Guri baba

होमो सेपियन्स , पहला आधुनिक मानव, 200,000 और 300,000 साल पहले के बीच अपने शुरुआती होमिनिड पूर्ववर्तियों से विकसित हुआ। उन्होंने लगभग 50,000 साल पहले भाषा के लिए क्षमता विकसित की थी...

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दादा जी By Ashok Kaushik

एक ज़माने पहले जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो बच्चों को गर्मी की छुट्टियों का इंतजार उसी वक्त से शुरू हो जाता था जब मार्च में वार्षिक परीक्षा चल रही होती थी | उन दिनों में गर्मी की छुट...

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भगवान परशुराम जी By Guri baba

महर्षि ऋचीक ने महर्षि अगत्स्य के अनुरोध पर जमदग्नि को महर्षि अगत्स्य के साथ दक्षिण में कोंकण प्रदेश मे धर्म प्रचार का कार्य करने लगे। कोंकण प्रदेश का राजा जमदग्नि की विद्वता पर इतन...

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एक निज़ाम की सच्ची कहानी (निज़ाम शाह की कहानी) By Saroj Verma

मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर मे...

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अंधे बाबा अब्दुल्ला की कहानी By Ravinder Sharma

बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैं...

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अंधेरा बंगला - 9 By Mansi

Chep 9 अब तक आपने देखा कि गुड़िया ने कहा कि अंधेरे बंगले के अंदर उसी की उम्र की एक बच्ची ने उसके साथ खूब खेला अभी आगे की कहानी देखते है। सब लोग गुड़िया की तरफ देखने लगते है तब ही म...

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छोटी जो बड़ी वो By Smile Smile

छोटी जो बड़ी वो रिनछिन के पेंसिल बॉक्स में रबर, शार्पनर और पेंसिल थींं। रिनछिन ने दो और नई पेंसिलें खरीदीं। नई पेंसिलों को भी उसने बॉक्स में रख दिया। एक नई पेंसिल बोली, “मैं लाली हू...

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नारियल के जन्म की कहानी By Sagar Sonawane

प्राचीन काल में सत्यव्रत नाम के एक राजा राज करते थे। वह प्रतिदिन पूजा-पाठ किया करते थे। उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। वह धन दौलत से लेकर हर प्रकार की सुविधा से समृद्ध थे। हा...

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला की कहानी By Smile Smile

दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती ह...

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गांव का नाम बताने की जरूरत नही। भारत के सभी गांवो का लगभग यही हाल है।शादी का मंच सजा है। दुल्हा-दुल्हन के लिए सोफे लगे हैं। मेहमानों के लिए सामने ही कुर्सियां लगी है। और वही ढोल नग...

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खोए हुए दृश्य By ANKIT YADAV

देखो तो इन हरामजादों को, कैसे हाथ में हाथ मिलाए घूमे जा रहे हैं। ना मां-बाप का डर है ना समाज का। शाम हुई नहीं कि यह दृश्य देखते रहते है। इन भालमानस को कौन समझाए अब कि पढ़ाई कितनी ज...

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स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर By Anant Dhish Aman

"स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर"भारत जो एक लंबे समय तक पराधीनता के भाव और स्वभाव में जो जकङीत रह चूका था उसके लिए यह सफर तय कर पाना आसान नहीं था या यूँ कहे एक गुलामी के दर्द को...

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