hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अय्याश--भाग(३९)

    फिर इसके बाद क्या हुआ?आपकी अम्मी का निकाह किसी ऐसे इन्सान के साथ हो गया जो उनके...

  • क्या मैं पैसे खाती हूं!

    बड़े शहर में रहने के कारण उनके खर्चे काफी बढ़ने लगे थे। कितना भी देखभाल कर खर्च...

  • निष्ठा

    शाम का वक्त था परिणीति अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने बाजार गई हुई थी। उसके पिता...

शेष जीवन (कहानियां पार्ट14) By Kishanlal Sharma

अपने दो बेटों और एक बेटी की शादी वह कर चुके थे।शादी करने से पूर्व उन्होंने अपने बच्चों की राय जानना भी जरूरी नही समझालेकिन रमेश को विश्वास था कि उसके साथ ऐसा नही होगा।उसके ऐसा सोचन...

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घुटन - भाग १९ By Ratna Pandey

जीतने के बाद तिलक फूलों के हार से लदा हुआ ओपन जीप में बैठा कॉलेज के छात्र-छात्राओं के बड़े समूह के साथ हवेली के सामने से गुजर रहा था। हवेली के सामने आते ही उनका कारवाँ रुक गया। वीर...

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अय्याश--भाग(३९) By Saroj Verma

फिर इसके बाद क्या हुआ?आपकी अम्मी का निकाह किसी ऐसे इन्सान के साथ हो गया जो उनके काबिल ना था,सत्यकाम ने पूछा।। जी!नहीं!भाईजान!हमारी अम्मीजान ने खुद से ही अपनी जिन्दगी तबाह कर ली,आलि...

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गरीब बाप - 1 By Mintu Paswan

नमस्कार दोस्तों मैं आप के बीच एक ऐसा कहा एक गरीब कि ज़िन्दगी क्या होती हैं। यह एक कहानी नहीं सच्चाई है । भारत का एक ऐसा राज्य जो गरीबों का राज्य नी लेकर आया हूँ ,जिससे पता चलता है...

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बंद हो चुकी खिड़की By Dr pradeep Upadhyay

बंद हो चुकी खिड़कीआज बत्तीस साल के बाद उससे सामना हुआ था।पहले तो सोचा भी कि उसके सामने नहीं जाऊं। फिर भी मन के किसी कोने में कहीं कोई दबी-छुपी ख्वाहिश मुझे उसके सामने जाने को विवश...

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क्या मैं पैसे खाती हूं! By Saroj Prajapati

बड़े शहर में रहने के कारण उनके खर्चे काफी बढ़ने लगे थे। कितना भी देखभाल कर खर्च करती है लेकिन महीने का अंत आते आते लाख चाहने के बाद भी बचत तो दूर खर्चे पूरे करने भी दूभर होने लगे थ...

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निष्ठा By जॉन हेम्ब्रम

शाम का वक्त था परिणीति अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने बाजार गई हुई थी। उसके पिता बचपन में ही चल बसे थे उसका एक बड़ा भाई और सिर्फ मां थी,लेकिन उसकी मां अक्सर किसी बीमारी से पीड़ित ह...

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मैं यमुनानगर हूँ By Jatin Tyagi

यमुना नगर :- हरियाणा का एक ऐसा जिला जिसे भारत विभाजन के समय लोगो ने बसाया । जिन्हें हम रिफ्यूजी कहते हैं । यमुना नगर को आजादी के समय में यमुना नगर नहीं कहा जाता था । आज मेरा शहर इत...

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फेसबुक आशिक़ी By Rama Sharma Manavi

मेरी इकलौती 19 वर्षीया बेटी शिवी बीकॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा है,बेहद चुलबुली,हमेशा खिलखिलाने वाली लेकिन पढ़ाई के प्रति पूर्ण गम्भीर,वह सीए बनना चाहती है।उसकी तीन अच्छी फ्रेंड्स हैं...

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गुलाम भारत में खुली एक छोटी सी दुकान कैसे बनी आजाद भारत का नंबर वन ब्रांड By Jatin Tyagi

हल्दीराम के प्रोडक्ट्स लगभग हर घर में इस्तेमाल किए जाते हैं. वहीं किसी भी पार्टी में नाश्ते के तौर पर लगाई जाने वाली नमकीन बिना हल्दीराम के अधूरी सी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि...

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कितना बदल गया इंसान By S Sinha

                                                    लेख -  कितना बदल गया इंसान    आज हम दशकों बाद  अपने बीते दिनों , ख़ास कर बचपन की धूमिल यादों को  ,  साफ़ साफ़ देखने का प्रयास कर रह...

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मजदूर की बेटी By Kumar Kishan Kirti

मैं प्रतिदिन उसे शाम के वक्त पसीने से लथपथ होकर अपने घर की तरफ लौटता देखता।सिर पर मैला-कुचैला पगड़ी बांधे, शरीर पर धूलकण,पैबंद लगी पुरानी धोती पहने हुए वह अपने कंधे पर कुदाल लेकर लौ...

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परवाह By Saroj Prajapati

"क्या सिर्फ दो परांठे! एक और ले!!" मीनल की मां उससे आग्रह करते हुए बोली।" क्या मम्मी पहले भी तो दो ही पराठे खाती थी। अब शादी हो गई ।इसका मतलब यह तो नहीं कि मेरी भूख बढ़ जाएगी!! आप...

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खोखले रिश्ते By Rama Sharma Manavi

आराध्या अनमनी सी सोफे पर बैठी विगत जगत में विचरण कर रही थी, सामने टेबल पर रखी चाय भाप उड़ाकर कोल्ड टी में बदल चुकी थी।अभी 14 दिन पहले तो सब ठीक ही प्रतीत हो रहा था या शायद सामान्य र...

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क्यों झूठ बोलते हो साहब कि चरखे से आजादी मिली By Jatin Tyagi

45 साल के गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भ...

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गरीबी मजबूरी - 3 By आरोही" देसाई

राजु यूपीएससी परीक्षा की तैयारियां कर रहा था और उसने परीक्षा भी दी थी। मगर उसमें वो पास ना हो सका ।उसका फर्स्ट अटेंप था । इसलिए उसके माता पिता ने भी कुछ नहीं बोला और उसे समझाने की...

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट14) By Kishanlal Sharma

अपने दो बेटों और एक बेटी की शादी वह कर चुके थे।शादी करने से पूर्व उन्होंने अपने बच्चों की राय जानना भी जरूरी नही समझालेकिन रमेश को विश्वास था कि उसके साथ ऐसा नही होगा।उसके ऐसा सोचन...

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घुटन - भाग १९ By Ratna Pandey

जीतने के बाद तिलक फूलों के हार से लदा हुआ ओपन जीप में बैठा कॉलेज के छात्र-छात्राओं के बड़े समूह के साथ हवेली के सामने से गुजर रहा था। हवेली के सामने आते ही उनका कारवाँ रुक गया। वीर...

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अय्याश--भाग(३९) By Saroj Verma

फिर इसके बाद क्या हुआ?आपकी अम्मी का निकाह किसी ऐसे इन्सान के साथ हो गया जो उनके काबिल ना था,सत्यकाम ने पूछा।। जी!नहीं!भाईजान!हमारी अम्मीजान ने खुद से ही अपनी जिन्दगी तबाह कर ली,आलि...

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गरीब बाप - 1 By Mintu Paswan

नमस्कार दोस्तों मैं आप के बीच एक ऐसा कहा एक गरीब कि ज़िन्दगी क्या होती हैं। यह एक कहानी नहीं सच्चाई है । भारत का एक ऐसा राज्य जो गरीबों का राज्य नी लेकर आया हूँ ,जिससे पता चलता है...

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बंद हो चुकी खिड़की By Dr pradeep Upadhyay

बंद हो चुकी खिड़कीआज बत्तीस साल के बाद उससे सामना हुआ था।पहले तो सोचा भी कि उसके सामने नहीं जाऊं। फिर भी मन के किसी कोने में कहीं कोई दबी-छुपी ख्वाहिश मुझे उसके सामने जाने को विवश...

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क्या मैं पैसे खाती हूं! By Saroj Prajapati

बड़े शहर में रहने के कारण उनके खर्चे काफी बढ़ने लगे थे। कितना भी देखभाल कर खर्च करती है लेकिन महीने का अंत आते आते लाख चाहने के बाद भी बचत तो दूर खर्चे पूरे करने भी दूभर होने लगे थ...

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निष्ठा By जॉन हेम्ब्रम

शाम का वक्त था परिणीति अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने बाजार गई हुई थी। उसके पिता बचपन में ही चल बसे थे उसका एक बड़ा भाई और सिर्फ मां थी,लेकिन उसकी मां अक्सर किसी बीमारी से पीड़ित ह...

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मैं यमुनानगर हूँ By Jatin Tyagi

यमुना नगर :- हरियाणा का एक ऐसा जिला जिसे भारत विभाजन के समय लोगो ने बसाया । जिन्हें हम रिफ्यूजी कहते हैं । यमुना नगर को आजादी के समय में यमुना नगर नहीं कहा जाता था । आज मेरा शहर इत...

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फेसबुक आशिक़ी By Rama Sharma Manavi

मेरी इकलौती 19 वर्षीया बेटी शिवी बीकॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा है,बेहद चुलबुली,हमेशा खिलखिलाने वाली लेकिन पढ़ाई के प्रति पूर्ण गम्भीर,वह सीए बनना चाहती है।उसकी तीन अच्छी फ्रेंड्स हैं...

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गुलाम भारत में खुली एक छोटी सी दुकान कैसे बनी आजाद भारत का नंबर वन ब्रांड By Jatin Tyagi

हल्दीराम के प्रोडक्ट्स लगभग हर घर में इस्तेमाल किए जाते हैं. वहीं किसी भी पार्टी में नाश्ते के तौर पर लगाई जाने वाली नमकीन बिना हल्दीराम के अधूरी सी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि...

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कितना बदल गया इंसान By S Sinha

                                                    लेख -  कितना बदल गया इंसान    आज हम दशकों बाद  अपने बीते दिनों , ख़ास कर बचपन की धूमिल यादों को  ,  साफ़ साफ़ देखने का प्रयास कर रह...

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मजदूर की बेटी By Kumar Kishan Kirti

मैं प्रतिदिन उसे शाम के वक्त पसीने से लथपथ होकर अपने घर की तरफ लौटता देखता।सिर पर मैला-कुचैला पगड़ी बांधे, शरीर पर धूलकण,पैबंद लगी पुरानी धोती पहने हुए वह अपने कंधे पर कुदाल लेकर लौ...

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परवाह By Saroj Prajapati

"क्या सिर्फ दो परांठे! एक और ले!!" मीनल की मां उससे आग्रह करते हुए बोली।" क्या मम्मी पहले भी तो दो ही पराठे खाती थी। अब शादी हो गई ।इसका मतलब यह तो नहीं कि मेरी भूख बढ़ जाएगी!! आप...

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खोखले रिश्ते By Rama Sharma Manavi

आराध्या अनमनी सी सोफे पर बैठी विगत जगत में विचरण कर रही थी, सामने टेबल पर रखी चाय भाप उड़ाकर कोल्ड टी में बदल चुकी थी।अभी 14 दिन पहले तो सब ठीक ही प्रतीत हो रहा था या शायद सामान्य र...

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क्यों झूठ बोलते हो साहब कि चरखे से आजादी मिली By Jatin Tyagi

45 साल के गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भ...

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गरीबी मजबूरी - 3 By आरोही" देसाई

राजु यूपीएससी परीक्षा की तैयारियां कर रहा था और उसने परीक्षा भी दी थी। मगर उसमें वो पास ना हो सका ।उसका फर्स्ट अटेंप था । इसलिए उसके माता पिता ने भी कुछ नहीं बोला और उसे समझाने की...

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