hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • एक दुनिया अजनबी - 2

    एक दुनिया अजनबी 2- छुट्टियाँ कैसे कटें? इस चक्कर में लाड़ली आर्वी के कहने पर पापा...

  • बात बस इतनी सी थी - 31

    बात बस इतनी सी थी 31. कई बार तो मंजरी मेरी किसी बात पर विचार किये बिना और कुछ सो...

  • बड़े लोग

    सीता को उस दिन काम पर जाने में देर हो गई थी। आजकल उसके सास ससुर आए हुए थे गाँव स...

एक दुनिया अजनबी - 2 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 2- छुट्टियाँ कैसे कटें? इस चक्कर में लाड़ली आर्वी के कहने पर पापा यानि शर्मा जी ने तभी वी.सी.आर का नया मॉडल भी खरीद दिया | दिन में तो कूलर में पड़े रहकर सब बच्चे फ़िल्...

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बात बस इतनी सी थी - 31 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 31. कई बार तो मंजरी मेरी किसी बात पर विचार किये बिना और कुछ सोचे-समझे बिना ही केवल मेरा विरोध करने के लिए मेरे विपक्ष में खड़ी हो जाती थी । दरअसल मंजरी इस गलतफहमी...

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बड़े लोग By Alka Agrawal

सीता को उस दिन काम पर जाने में देर हो गई थी। आजकल उसके सास ससुर आए हुए थे गाँव से, इसलिए जल्दी-जल्दी करते हुए भी समय उसके हाथ से फिसल जाता था। वह उनकी सेवा भी पूरे मन से करती थी। उ...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 1 By Pradeep Shrivastava

भाग -१ काशी नगरी के पॉश एरिया में उनका अत्याधुनिक खूबसूरत मकान है। जिसके पोर्च में उन की बड़ी सी लग्जरी कार खड़ी होती है। एक छोटा गार्डेन नीचे है, तो उससे बड़ा पहले फ्लोर पर है। जहां...

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मिशन सिफर - 4 By Ramakant Sharma

4. कादरी भाई के साथ हॉस्टल जाने से पहले उसने यह मुनासिब समझा कि वह यतीमखाने जाकर सबसे मिल आए और उनका शुक्रिया अदा करने के साथ उन्हें कादरी भाई और उनके मार्फत उसके रहने-खाने का इंतज...

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सुलझे...अनसुलझे - 7 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे ज़िंदा सूत्र ------------ आज सवेरे से ही मेरे मोबाइल पर एक ही फ़ोन नंबर से बराबर फोन आ रहा था| कई बार रिंग आने से मुझे आने वाले फ़ोन के लिए चिंता भी होने लगी थी| सिग्न...

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लहराता चाँद - 18 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 18 जब से अनन्या का किडनैप हुआ है तब से संजय ने अस्पताल जाना छोड़ दिया। रात दिन पागलों की तरह बेटी की खोज में शहरों की गलियों में ढूँढ रहा ह...

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बिछोह By Deepak sharma

बिछोह बहन मुझ से सन् १९५५ में बिछुड़ी| उस समय मैं दस वर्ष का था और बहन बारह की| “तू आज पिछाड़ी गयी थी?” एक शाम हमारे पिता की आवाज़ हम बहन-भाई के बाल-कक्ष में आन गूँजी| बहन को हवेली की...

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दो आँसू By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- दो आँसू --आर.एन. सुनगरया...

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स्लेट-बत्ती By रामगोपाल तिवारी

कहानी स्लेट-बत्ती रामगोपाल भावुक कुन्दर की शादी की तैयारियां की जा रही हैं। गाँव की औरतें पंगत के लिए गेहू...

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आपकी आराधना - 12 By Pushpendra Kumar Patel

भाग -12 आराधना अपने आप को सँभाल न सकी और उसके मन का गुब्बार फुट गया, अमित के सीने से लगकर वह फूट - फूट कर रोने लगी। अमित भी हैरान था एक के बाद एक झटके ज...

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ऐसा तो न सोचा था !! By Pranava Bharti

ऐसा तो न सोचा था !!-------------------------- यूँ उसकी रुकमा से कोई ऐसी दोस्ती नहीँ थी कि वह इतने अन्तराल के पश्चात उसेउसकी एकदम याद आ जाती । परन्तु जब मामी जी का फ़ोन आया...

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ज़िन्दगी सतरंग.. - 2 By Sarita Sharma

लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे थे और जैसे ही पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ता, तो दौड़ कर घरों में दुबक जाते..शाम के 6:30 बजे होंगे...

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टूटते भ्रम By Goodwin Masih

टूटते भ्रम मैं सुबह को उस गली से गुजरता, तो वह अपनी छत पर या छत पे बने कमरे की खिड़की पे खड़ी नजर आती। उसे देखकर अनायास ही मेरी दृष्टि उस पर चली जाती। एक दिन वह मुझे देखकर मुस्करायी...

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लता सांध्य-गृह - 4 By Rama Sharma Manavi

पहले की कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें।चतुर्थ अध्याय---------------गतांक से आगे…. चौथे कमरे में रहते हैं दिवाकर जी अपनी धर्मपत्नी रोहिणी जी के साथ। वे एक कस्बे से...

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गवाक्ष - 47 - अंतिम भाग By Pranava Bharti

गवाक्ष 47== कॉस्मॉस सत्यनिधि और उसका अंतिम स्पर्श भुला नहीं पा रहा था, उसकी याद उसे कहीं कोई फाँस सी चुभा जाती । कितने अच्छे मित्र बन गए थे निधी और वह छोटा सा बालक जिसका पि...

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बाजा-बजन्तर By Deepak sharma

बाजा-बजन्तर बाजा अब बजा कि बजा दोपहर में| नयी किराएदारिन को देखते ही मैं और छुटकू उछंग लेते हैं| वह किसी स्कूल में काम करती है और सुबह उसके घर छोड़ते ही बाजा बंद हो जाता है और इस सम...

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अपने-अपने कारागृह - 4 By Sudha Adesh

अपने अपने कारागृह - 3 अजय का हजारीबाग स्थानांतरण हो गया था । नक्सली एरिया था पर जब काम करना है तो कहीं भी स्थानांतरण हो जाना ही पड़ता है । वैसे भी वह सदा सुरक्षाकर्मियों के साथ ही...

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कम्मो डार्लिंग By Goodwin Masih

कम्मो डार्लिंग ‘‘नीतेश !...’’ चिर-परिचित आवाज को सुनकर नीतेश के कदम जहां-के-तहां स्थिर हो गये। पीछे घूमकर देखा, तो आश्चर्य से आँखें खुली-की-खुली रह गयीं। ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो नीते...

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अनाम रिश्ता By Akhilesh Srivastava

कहानी अनाम रिश्ता...

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जिंदगी-सुकून कहाँ है ? By S Choudhary

पिछले कुछ दिनों से मन बड़ा विचलित, दुखी सा था। मुझे कुछ नही हुआ लेकिन लोगो को देखकर मुझे चिंता हो रही थी। यहाँ हर कोई ऐसे परेशान है जैसे जिंदगी कोई बहुत भारी सामान हो। सब लोग सुकून...

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जिंदगी मेरे घर आना - 25 - अंतिम भाग By Rashmi Ravija

भाग- 25 (अंतिम भाग ) अब डैडी के लिए मन्नत वाली बात मनगढ़ंत थी, ये नेहा और शरद दोनों जानते थे पर कुछ कह नहीं सकते. लम्बी, घुमावदार, बलखाती सडक पर दौड़ती जीप और आसमान में खरगोश के छौने...

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पर उपदेश कुशल बहुतेरे By Saroj Prajapati

मीना ने आज अपने घर पर सत्यनारायण की छोटी सी पूजा रखी हुई थी। वह अभी तैयारी कर ही रही थी कि उसकी ननंद आ गई। उन्हें देखते ही वह खुश होते हुए बोली "अरे वाह दीदी, कितने सही समय पर आए...

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इतना बड़ा सच(भाग 4) By Kishanlal Sharma

"शिखा यहां रही तो हमारी बेटी रमा को भी बिगड़ देगी।बात फैले उससे पहले तलाक की अर्जी दिलवा दो।पंकज की अभी उम्र ही क्या है।इसके लिए अभी बहुत रिश्ते मिल जाएंगे।""तुम्हारे बेटे की तो दूस...

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दुनिया में शादी की कुछ विचित्र रस्में By S Sinha

आलेख - दुनिया में शादी की कुछ विचित्र रस्में पूरे विश्व में शादी को एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक और पारिव...

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उलझन - 18 - अंतिम भाग By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे अठारह तब तक घर आ गया था। अंशिका अपने घर चली गयी। पापा ने गाड़ी मोड़कर आॅफिस के लिए निकलने से पहले सौमित्र से कहा - ‘जानते हो सोमू आजकल एन0सी0इ0आर0टी0, मानव संसाधन...

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कतरा भर ज़िन्दगी By Goodwin Masih

कतरा भर ज़िन्दगी आईटी मास्टर माइंड के नाम से जाना जाने वाला अविनाश इनफाॅरमेशन टेक्नाॅलोजी की हर सीढ़ी पर चढ़ने के लिए आतुर था। इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद जब उसने इनफाॅरमेशन टेक्...

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संदूक में सपना By Poonam Gujrani Surat

कहानी - संदूक में सपनासंदूक में सपनामैं कब से अनमनी सी बैठी कभी अतीत की झांकियों में खो रही थी, कभी वर्तमान में लौट रही थी तो कभी भविष्य का सपना देखने की कोशिश कर रही थी पर कहीं ‌भ...

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एक दुनिया अजनबी - 2 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 2- छुट्टियाँ कैसे कटें? इस चक्कर में लाड़ली आर्वी के कहने पर पापा यानि शर्मा जी ने तभी वी.सी.आर का नया मॉडल भी खरीद दिया | दिन में तो कूलर में पड़े रहकर सब बच्चे फ़िल्...

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बात बस इतनी सी थी - 31 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 31. कई बार तो मंजरी मेरी किसी बात पर विचार किये बिना और कुछ सोचे-समझे बिना ही केवल मेरा विरोध करने के लिए मेरे विपक्ष में खड़ी हो जाती थी । दरअसल मंजरी इस गलतफहमी...

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बड़े लोग By Alka Agrawal

सीता को उस दिन काम पर जाने में देर हो गई थी। आजकल उसके सास ससुर आए हुए थे गाँव से, इसलिए जल्दी-जल्दी करते हुए भी समय उसके हाथ से फिसल जाता था। वह उनकी सेवा भी पूरे मन से करती थी। उ...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 1 By Pradeep Shrivastava

भाग -१ काशी नगरी के पॉश एरिया में उनका अत्याधुनिक खूबसूरत मकान है। जिसके पोर्च में उन की बड़ी सी लग्जरी कार खड़ी होती है। एक छोटा गार्डेन नीचे है, तो उससे बड़ा पहले फ्लोर पर है। जहां...

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मिशन सिफर - 4 By Ramakant Sharma

4. कादरी भाई के साथ हॉस्टल जाने से पहले उसने यह मुनासिब समझा कि वह यतीमखाने जाकर सबसे मिल आए और उनका शुक्रिया अदा करने के साथ उन्हें कादरी भाई और उनके मार्फत उसके रहने-खाने का इंतज...

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सुलझे...अनसुलझे - 7 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे ज़िंदा सूत्र ------------ आज सवेरे से ही मेरे मोबाइल पर एक ही फ़ोन नंबर से बराबर फोन आ रहा था| कई बार रिंग आने से मुझे आने वाले फ़ोन के लिए चिंता भी होने लगी थी| सिग्न...

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लहराता चाँद - 18 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 18 जब से अनन्या का किडनैप हुआ है तब से संजय ने अस्पताल जाना छोड़ दिया। रात दिन पागलों की तरह बेटी की खोज में शहरों की गलियों में ढूँढ रहा ह...

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बिछोह By Deepak sharma

बिछोह बहन मुझ से सन् १९५५ में बिछुड़ी| उस समय मैं दस वर्ष का था और बहन बारह की| “तू आज पिछाड़ी गयी थी?” एक शाम हमारे पिता की आवाज़ हम बहन-भाई के बाल-कक्ष में आन गूँजी| बहन को हवेली की...

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दो आँसू By Ramnarayan Sungariya

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आपकी आराधना - 12 By Pushpendra Kumar Patel

भाग -12 आराधना अपने आप को सँभाल न सकी और उसके मन का गुब्बार फुट गया, अमित के सीने से लगकर वह फूट - फूट कर रोने लगी। अमित भी हैरान था एक के बाद एक झटके ज...

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ऐसा तो न सोचा था !!-------------------------- यूँ उसकी रुकमा से कोई ऐसी दोस्ती नहीँ थी कि वह इतने अन्तराल के पश्चात उसेउसकी एकदम याद आ जाती । परन्तु जब मामी जी का फ़ोन आया...

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लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे थे और जैसे ही पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ता, तो दौड़ कर घरों में दुबक जाते..शाम के 6:30 बजे होंगे...

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टूटते भ्रम By Goodwin Masih

टूटते भ्रम मैं सुबह को उस गली से गुजरता, तो वह अपनी छत पर या छत पे बने कमरे की खिड़की पे खड़ी नजर आती। उसे देखकर अनायास ही मेरी दृष्टि उस पर चली जाती। एक दिन वह मुझे देखकर मुस्करायी...

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लता सांध्य-गृह - 4 By Rama Sharma Manavi

पहले की कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें।चतुर्थ अध्याय---------------गतांक से आगे…. चौथे कमरे में रहते हैं दिवाकर जी अपनी धर्मपत्नी रोहिणी जी के साथ। वे एक कस्बे से...

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गवाक्ष - 47 - अंतिम भाग By Pranava Bharti

गवाक्ष 47== कॉस्मॉस सत्यनिधि और उसका अंतिम स्पर्श भुला नहीं पा रहा था, उसकी याद उसे कहीं कोई फाँस सी चुभा जाती । कितने अच्छे मित्र बन गए थे निधी और वह छोटा सा बालक जिसका पि...

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बाजा-बजन्तर By Deepak sharma

बाजा-बजन्तर बाजा अब बजा कि बजा दोपहर में| नयी किराएदारिन को देखते ही मैं और छुटकू उछंग लेते हैं| वह किसी स्कूल में काम करती है और सुबह उसके घर छोड़ते ही बाजा बंद हो जाता है और इस सम...

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अपने-अपने कारागृह - 4 By Sudha Adesh

अपने अपने कारागृह - 3 अजय का हजारीबाग स्थानांतरण हो गया था । नक्सली एरिया था पर जब काम करना है तो कहीं भी स्थानांतरण हो जाना ही पड़ता है । वैसे भी वह सदा सुरक्षाकर्मियों के साथ ही...

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कम्मो डार्लिंग By Goodwin Masih

कम्मो डार्लिंग ‘‘नीतेश !...’’ चिर-परिचित आवाज को सुनकर नीतेश के कदम जहां-के-तहां स्थिर हो गये। पीछे घूमकर देखा, तो आश्चर्य से आँखें खुली-की-खुली रह गयीं। ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो नीते...

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अनाम रिश्ता By Akhilesh Srivastava

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जिंदगी-सुकून कहाँ है ? By S Choudhary

पिछले कुछ दिनों से मन बड़ा विचलित, दुखी सा था। मुझे कुछ नही हुआ लेकिन लोगो को देखकर मुझे चिंता हो रही थी। यहाँ हर कोई ऐसे परेशान है जैसे जिंदगी कोई बहुत भारी सामान हो। सब लोग सुकून...

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जिंदगी मेरे घर आना - 25 - अंतिम भाग By Rashmi Ravija

भाग- 25 (अंतिम भाग ) अब डैडी के लिए मन्नत वाली बात मनगढ़ंत थी, ये नेहा और शरद दोनों जानते थे पर कुछ कह नहीं सकते. लम्बी, घुमावदार, बलखाती सडक पर दौड़ती जीप और आसमान में खरगोश के छौने...

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पर उपदेश कुशल बहुतेरे By Saroj Prajapati

मीना ने आज अपने घर पर सत्यनारायण की छोटी सी पूजा रखी हुई थी। वह अभी तैयारी कर ही रही थी कि उसकी ननंद आ गई। उन्हें देखते ही वह खुश होते हुए बोली "अरे वाह दीदी, कितने सही समय पर आए...

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इतना बड़ा सच(भाग 4) By Kishanlal Sharma

"शिखा यहां रही तो हमारी बेटी रमा को भी बिगड़ देगी।बात फैले उससे पहले तलाक की अर्जी दिलवा दो।पंकज की अभी उम्र ही क्या है।इसके लिए अभी बहुत रिश्ते मिल जाएंगे।""तुम्हारे बेटे की तो दूस...

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दुनिया में शादी की कुछ विचित्र रस्में By S Sinha

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उलझन - 18 - अंतिम भाग By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे अठारह तब तक घर आ गया था। अंशिका अपने घर चली गयी। पापा ने गाड़ी मोड़कर आॅफिस के लिए निकलने से पहले सौमित्र से कहा - ‘जानते हो सोमू आजकल एन0सी0इ0आर0टी0, मानव संसाधन...

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कतरा भर ज़िन्दगी By Goodwin Masih

कतरा भर ज़िन्दगी आईटी मास्टर माइंड के नाम से जाना जाने वाला अविनाश इनफाॅरमेशन टेक्नाॅलोजी की हर सीढ़ी पर चढ़ने के लिए आतुर था। इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद जब उसने इनफाॅरमेशन टेक्...

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संदूक में सपना By Poonam Gujrani Surat

कहानी - संदूक में सपनासंदूक में सपनामैं कब से अनमनी सी बैठी कभी अतीत की झांकियों में खो रही थी, कभी वर्तमान में लौट रही थी तो कभी भविष्य का सपना देखने की कोशिश कर रही थी पर कहीं ‌भ...

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