hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • पापा मैं तारा बन गयी

    पापा मैं तारा बन गयी गुडविन मसीह आधी रात गुजर चुकी थी। आर्यन को नींद नहीं आ रही...

  • लहराता चाँद - 10

    लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 10 सूफी और अवन्तिका एक ही क्लास में पड़...

  • गूगल बॉय - 17

    गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 17 सच तो यह है कि स्वै...

बंध कमरे का चोरस By Vibha Rani

बंध कमरे का चोरस विभा रानी सुपर्णा की नींद खुली और समवेत स्‍वरों का एक लहराता झोंका खिड़की से होते हुए उसके कानों से टकराया। ढोल, कंसी, झांझ, हारमोनियम के मिले जुले स्‍वर और हरे कृ...

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पापा मैं तारा बन गयी By Goodwin Masih

पापा मैं तारा बन गयी गुडविन मसीह आधी रात गुजर चुकी थी। आर्यन को नींद नहीं आ रही थी। बेचैनी इतनी थी, कि वह बार-बार करबट बदल रहा था और सोच रहा था कि उसे नींद क्यों नहीं आ रही है ? अच...

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लहराता चाँद - 10 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 10 सूफी और अवन्तिका एक ही क्लास में पड़ते थे। पढ़ाई के लिए कभी अवन्तिका सूफी के घर तो कभी सूफी को अनन्या के घर आना जाना रहता था। दोनों के घर...

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उलझन - 13 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे तेरह बहुत दिनों बाद दादी को घर, घर जैसा लग रहा था। ऐसा उनके हाव-भाव से पता चल रहा था। सबने मिलकर खाना खाया। अभी आता हूँ दीदी जाइयेगा मत’ कहकर चाचा बाहर चले गये।...

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गूगल बॉय - 17 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 17 सच तो यह है कि स्वैच्छिक रक्तदान करने से लोगों का डर निकल गया। छात्र व युवा तो इसे सम्मान का सूचक मानने लगे। अनेक छोटी-...

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जिंदगी मेरे घर आना - 20 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग- २० अपने केबिन में आकर कुर्सी पर ढह सी ही गई. बार बार अपना दाहिना हाथ खोल कर देखती और फिर जोर से मुट्ठी बंद कर लेती मानो क्षण भर के लिए जो शरद के हाथों की नर...

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गवाक्ष - 40 By Pranava Bharti

गवाक्ष 40== कॉस्मॉस उलझन में दिखाई दे रहा था । " वह भी बता दो, संभव है मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देकर तुम्हारी संतुष्टि कर सकूँ । "मैंने महसूस किया है कि मनुष्य बहुत सी...

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इक समंदर मेरे अंदर - 22 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (22) वह न मायके जायेगी और न ससुराल जायेगी। जिसको यहां आना हो, आ जाये। उसके घर के पास ही प्राइवेट अस्पताल था। वहां उसने अपना नाम लिखवा दिया था। उन दिनो...

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आपकी आराधना - 7 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 07 मनीष ने अपना मोबाइल देखा, अरे! मम्मी के 7 मिस्ड कॉल्स, ऐसी क्या बात हो गयी ? " आराधना अब हमे चलना चाहिए, शायद घर पर सभी वेट कर रहे हैं " मनीष ने...

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अपने-अपने कारागृह - 2 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह- 1अजय को बिहार कैडर मिला था । उसकी पहली पोस्टिंग समस्तीपुर में हुई थी । समस्तीपुर पोस्टिंग के कारण वह ससुराल में कुछ ही दिन रह पाई थी । उसकी सास क्षमा ने उसे ढे...

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भूत-प्रेत By HARIYASH RAI

भूत-प्रेत कहते हैं कि ऐसा सदियों पहले होता था पर ऐसा होता आज भी है. राजस्थान का एक गांव .ऐसा गांव सब जगह है . इस गांव की छोटी झोंपड़ी , छोटे आँगन. रामानंद अपनी बीबी नाथी के स...

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जस्ट इमेजिन-लस्ट इमेजिन By S Choudhary

मन मे निश्चय किया की जल्दी सोया करेंगे, इसलिए 10 बजे ही फोन रख दिया और सोने की कोशिश करने लगे। बराबर वाले बेड पर थोड़ी देर बाद एक भाई फोन पर बात करता हुआ आया और लेट गया। फुसफुसाहट स...

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मेला By Alok Mishra

अब उसने मेलों में जाने से ही तौबा कर ली थी। शहर में लगने वाले मेले और प्रदर्शनियाँ जैसे उसे मुँह निढ़ाते है। वो अक्सर ऐसे मेलों और प्रदर्शनियो...

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 7 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (7) धरम अपने बारे में बता रहा था। नींद कब लगी उसे स्वयं पता नहीं चला। टीना भी गहरी नींद में चली गयी। सुबह हो चूकी थी। धरम ने आंखें ख...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 27 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 27 by Shuchita Meetal शुचिता मीतल गवाही दे रहा है चांद आशा चौंककर अपने मन की भूलभुलैया से बाहर आई। ''हां, क्या कह रही...

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बात बस इतनी सी थी - 22 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 22. घरेलू हिंसा के तहत चल रहा हमारा केस दोनों को साद-साथ रहकर एक-दूसरे को समझने की नसीहत देकर कुछ महीने के लिए फाइलों में दबकर बन्द हो गया था । सामने वाले की शर्त...

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हमसफर- (भाग 2) By Kishanlal Sharma

उसका देखा सुनहरा सपना भी आज टूट गया था।काफी दिनों से सजोये सपने के टूटने से वह हताश था और हारे हुए जुआरी की तरह ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन लौट रहा था।उसे दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़नी थ...

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आपके वास्‍ते By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- आपके वास्‍ते --आर. एन. सुनगरया दो महिने से शशि मोहल्‍ले वालों की चर्चा का विषय बनी हुई है। आज भी राधा, विम...

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हीरों का हार By Mukesh Verma

हीरों का हार श्रीमती अरुणा पॉल समझदार महिला हैं। न केवल अक्ल में बल्कि शक्ल में और उसके भरपूर रखरखाव में भी। वे हर बात पर गंभीरतापूर्वक विचार करतीं। नतीजन, अपने छोटे से शोभित मुख स...

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छल-बल By Deepak sharma

छल-बल आज से साठ साल पहले उस सन् १९५८ के उन दिनों बिट्टो की अम्मा की गर्भावस्था का नवमा महीना चल रहा था| एक दिन बिट्टो के स्कूल जाते समय उसके हाथ में उसके बाबूजी की चाभी रख कर बोलीं...

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किराए का कांधा By Goodwin Masih

किराए का कांधा गुडविन मसीह स्वाति, जब तक तुम्हें मेरा पत्र मिलेगा, हो सकता है, तब तक मैं इस दुनिया से ही कूच कर जाऊं, क्योंकि मुझे फेफड़ों का संक्रमण हो गया है। डाॅक्टरों का कहना है...

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वो लोग : ये लोग By Mukesh Verma

(एक जुड़वा कहानी.) वो लोग : ये लोग — मुकेष वर्मा. वे लोग मेरे पिता शहर की सहकारी पेढ़ी के हैड मुनीम थे। सब लोग उन्हें हैड साब कहकर पुकारते। अमूमन पुलिस के सिपाहियों को इस नाम से जाना...

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आवारा अदाकार - 6 - अंतिम भाग By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (6) उस दिन मेरी उससे आखिरी मुलाकात हुई। फिर वह मुम्बई चला गया। जितना उसने मुम्बई के बारे में सुना था उससे कहीं भयानक लगा। दादर स्टेशन पर उतरते ही उसने वहाँ...

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कोख By padma sharma

कोख समता उठी तो दिन कुछ ज्यादा ही चढ़ आया था। सास नयनादेवी रसोई की तरफ जा रही थी। समता ने जल्दी से उनके पैर छुए। नयनादेवी ने अपनी भृकुटी केा तनिक ढीला छोड़ते हुए धीरे-धीरे बुदबुदान...

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लता सांध्य-गृह - 1 By Rama Sharma Manavi

प्रथम अध्याय----------------- आज मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ क्योंकि मैंने अपनी पत्नी लता के एक अहम स्वप्न को साकार रूप दे दिया है।आज हमारे वृद्धराश्रम का आधिकारिक रूप से शुभारंभ ह...

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अनाथ बेटी By पार्थविका की दुनियां

अनाथ बेटी रात के सात – साड़े सात के करीब खुले स्ट्रेट किए बाल, ओठों पर हल्की सी मरून सलवार कमीज़ से मिलती लिपस्टिक लगाएँ। कंधे पर लेडिज पर्स हाथ मे लैपटॉपबेग, कलाई में मेटल वॉच ड़ाले,...

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मंगलकामना By Shaily Khadkotkar

मंगलकामना ‘टिन-टिन,टिन-टिन, जय गणेश…. जय गणेश...!’ ऊपर के फ्लैट से हवा में तैरती मद्धम स्वर लहरियाँ श्रद्धा के कानों में पड़ी और उसके हाथों ने काम की रफ्तार बढ़ा दी| अब मातारानी, भोल...

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अन्तिम इच्छा By Goodwin Masih

अन्तिम इच्छा गुडविन मसीह सत्तर की आयु पार करते ही देवधर के शरीर ने साथ देना छोड़ दिया। दमे की शिकायत तो उन्हें काफी समय पहले से थी। सर्दी के दिनों में जब उनकी सांस उखड़ जाती तो खांसत...

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क्या नाम दूँ ..! - 4 - अंतिम भाग By Ajay Shree

क्या नाम दूँ ..! अजयश्री चतुर्थ अध्याय “मैं कब कहती हूँ कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते, उसी प्यार का वास्ता ; मुझसे सचमुच प्यार करते हो तो अम्मा-बाबूजी को बता दो और दूसरी शादी कर लो...

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बंध कमरे का चोरस By Vibha Rani

बंध कमरे का चोरस विभा रानी सुपर्णा की नींद खुली और समवेत स्‍वरों का एक लहराता झोंका खिड़की से होते हुए उसके कानों से टकराया। ढोल, कंसी, झांझ, हारमोनियम के मिले जुले स्‍वर और हरे कृ...

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पापा मैं तारा बन गयी By Goodwin Masih

पापा मैं तारा बन गयी गुडविन मसीह आधी रात गुजर चुकी थी। आर्यन को नींद नहीं आ रही थी। बेचैनी इतनी थी, कि वह बार-बार करबट बदल रहा था और सोच रहा था कि उसे नींद क्यों नहीं आ रही है ? अच...

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लहराता चाँद - 10 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 10 सूफी और अवन्तिका एक ही क्लास में पड़ते थे। पढ़ाई के लिए कभी अवन्तिका सूफी के घर तो कभी सूफी को अनन्या के घर आना जाना रहता था। दोनों के घर...

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उलझन - 13 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे तेरह बहुत दिनों बाद दादी को घर, घर जैसा लग रहा था। ऐसा उनके हाव-भाव से पता चल रहा था। सबने मिलकर खाना खाया। अभी आता हूँ दीदी जाइयेगा मत’ कहकर चाचा बाहर चले गये।...

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गूगल बॉय - 17 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 17 सच तो यह है कि स्वैच्छिक रक्तदान करने से लोगों का डर निकल गया। छात्र व युवा तो इसे सम्मान का सूचक मानने लगे। अनेक छोटी-...

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जिंदगी मेरे घर आना - 20 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग- २० अपने केबिन में आकर कुर्सी पर ढह सी ही गई. बार बार अपना दाहिना हाथ खोल कर देखती और फिर जोर से मुट्ठी बंद कर लेती मानो क्षण भर के लिए जो शरद के हाथों की नर...

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गवाक्ष - 40 By Pranava Bharti

गवाक्ष 40== कॉस्मॉस उलझन में दिखाई दे रहा था । " वह भी बता दो, संभव है मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देकर तुम्हारी संतुष्टि कर सकूँ । "मैंने महसूस किया है कि मनुष्य बहुत सी...

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इक समंदर मेरे अंदर - 22 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (22) वह न मायके जायेगी और न ससुराल जायेगी। जिसको यहां आना हो, आ जाये। उसके घर के पास ही प्राइवेट अस्पताल था। वहां उसने अपना नाम लिखवा दिया था। उन दिनो...

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आपकी आराधना - 7 By Pushpendra Kumar Patel

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अपने-अपने कारागृह - 2 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह- 1अजय को बिहार कैडर मिला था । उसकी पहली पोस्टिंग समस्तीपुर में हुई थी । समस्तीपुर पोस्टिंग के कारण वह ससुराल में कुछ ही दिन रह पाई थी । उसकी सास क्षमा ने उसे ढे...

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भूत-प्रेत By HARIYASH RAI

भूत-प्रेत कहते हैं कि ऐसा सदियों पहले होता था पर ऐसा होता आज भी है. राजस्थान का एक गांव .ऐसा गांव सब जगह है . इस गांव की छोटी झोंपड़ी , छोटे आँगन. रामानंद अपनी बीबी नाथी के स...

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जस्ट इमेजिन-लस्ट इमेजिन By S Choudhary

मन मे निश्चय किया की जल्दी सोया करेंगे, इसलिए 10 बजे ही फोन रख दिया और सोने की कोशिश करने लगे। बराबर वाले बेड पर थोड़ी देर बाद एक भाई फोन पर बात करता हुआ आया और लेट गया। फुसफुसाहट स...

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मेला By Alok Mishra

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 7 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (7) धरम अपने बारे में बता रहा था। नींद कब लगी उसे स्वयं पता नहीं चला। टीना भी गहरी नींद में चली गयी। सुबह हो चूकी थी। धरम ने आंखें ख...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 27 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 27 by Shuchita Meetal शुचिता मीतल गवाही दे रहा है चांद आशा चौंककर अपने मन की भूलभुलैया से बाहर आई। ''हां, क्या कह रही...

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बात बस इतनी सी थी - 22 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 22. घरेलू हिंसा के तहत चल रहा हमारा केस दोनों को साद-साथ रहकर एक-दूसरे को समझने की नसीहत देकर कुछ महीने के लिए फाइलों में दबकर बन्द हो गया था । सामने वाले की शर्त...

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हमसफर- (भाग 2) By Kishanlal Sharma

उसका देखा सुनहरा सपना भी आज टूट गया था।काफी दिनों से सजोये सपने के टूटने से वह हताश था और हारे हुए जुआरी की तरह ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन लौट रहा था।उसे दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़नी थ...

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हीरों का हार By Mukesh Verma

हीरों का हार श्रीमती अरुणा पॉल समझदार महिला हैं। न केवल अक्ल में बल्कि शक्ल में और उसके भरपूर रखरखाव में भी। वे हर बात पर गंभीरतापूर्वक विचार करतीं। नतीजन, अपने छोटे से शोभित मुख स...

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छल-बल By Deepak sharma

छल-बल आज से साठ साल पहले उस सन् १९५८ के उन दिनों बिट्टो की अम्मा की गर्भावस्था का नवमा महीना चल रहा था| एक दिन बिट्टो के स्कूल जाते समय उसके हाथ में उसके बाबूजी की चाभी रख कर बोलीं...

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किराए का कांधा By Goodwin Masih

किराए का कांधा गुडविन मसीह स्वाति, जब तक तुम्हें मेरा पत्र मिलेगा, हो सकता है, तब तक मैं इस दुनिया से ही कूच कर जाऊं, क्योंकि मुझे फेफड़ों का संक्रमण हो गया है। डाॅक्टरों का कहना है...

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वो लोग : ये लोग By Mukesh Verma

(एक जुड़वा कहानी.) वो लोग : ये लोग — मुकेष वर्मा. वे लोग मेरे पिता शहर की सहकारी पेढ़ी के हैड मुनीम थे। सब लोग उन्हें हैड साब कहकर पुकारते। अमूमन पुलिस के सिपाहियों को इस नाम से जाना...

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आवारा अदाकार - 6 - अंतिम भाग By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (6) उस दिन मेरी उससे आखिरी मुलाकात हुई। फिर वह मुम्बई चला गया। जितना उसने मुम्बई के बारे में सुना था उससे कहीं भयानक लगा। दादर स्टेशन पर उतरते ही उसने वहाँ...

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कोख By padma sharma

कोख समता उठी तो दिन कुछ ज्यादा ही चढ़ आया था। सास नयनादेवी रसोई की तरफ जा रही थी। समता ने जल्दी से उनके पैर छुए। नयनादेवी ने अपनी भृकुटी केा तनिक ढीला छोड़ते हुए धीरे-धीरे बुदबुदान...

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लता सांध्य-गृह - 1 By Rama Sharma Manavi

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अनाथ बेटी By पार्थविका की दुनियां

अनाथ बेटी रात के सात – साड़े सात के करीब खुले स्ट्रेट किए बाल, ओठों पर हल्की सी मरून सलवार कमीज़ से मिलती लिपस्टिक लगाएँ। कंधे पर लेडिज पर्स हाथ मे लैपटॉपबेग, कलाई में मेटल वॉच ड़ाले,...

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मंगलकामना By Shaily Khadkotkar

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अन्तिम इच्छा By Goodwin Masih

अन्तिम इच्छा गुडविन मसीह सत्तर की आयु पार करते ही देवधर के शरीर ने साथ देना छोड़ दिया। दमे की शिकायत तो उन्हें काफी समय पहले से थी। सर्दी के दिनों में जब उनकी सांस उखड़ जाती तो खांसत...

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क्या नाम दूँ ..! - 4 - अंतिम भाग By Ajay Shree

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