hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • क्षितिज पार

    क्षितिज पार घर में घुसते ही मिसेज सिंह ने महिम के गालों पर झन्नाटेदार थप्पड़ रसी...

  • गूगल बॉय - 2

    गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 2 आज रविवार है अर्थात्...

  • एनीमल फॉर्म - 4

    एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (4) गर्मियों के बीतते न बीतते बाड़े...

क्षितिज पार By Priyadarshini

क्षितिज पार घर में घुसते ही मिसेज सिंह ने महिम के गालों पर झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया जिससे दूध का पूरा गिलास उसके नन्हें हाथों से छिटक कर दूर जा गिरा । और समूचा संगमरमरी फर्श...

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समय के गर्भ में By Rajesh Malik

समय के गर्भ में राजेश मलिक पृथ्वी की डोर आसमान के हाथ में थी। वह जिसे चाहे इधर और जिसे चाहे उधर कर दें। पृण्य घट और पाप बढ़ रहा था। मुल्क, ज़मीन, परिवार कई हिस्सों मेंबट गये थे। चारो...

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गूगल बॉय - 2 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 2 आज रविवार है अर्थात् अवकाश का दिन। छुट्टी सबको अच्छी लगती है। चाहे कितना भी कमेरा व्यक्ति हो, परन्तु छ: दिन की बंधी हुई...

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एनीमल फॉर्म - 4 By Suraj Prakash

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (4) गर्मियों के बीतते न बीतते बाड़े में हुई घटना का समाचार देश के आधे भाग तक फैल चुका था। हर दिन स्नोबॉल और नेपोलियन कबूतरों के झुण्डों...

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इक समंदर मेरे अंदर - 7 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (7) उस चाल में वर्माजी का ही पूरा परिवार था...बाकी लोगों के परिवार गांव में थे। वे लोग यहां अकेले रहकर मिलों में और इधर उधर छोटे मोटे काम करते और हर म...

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जिंदगी मेरे घर आना - 5 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – ५ कार स्टार्ट होने की आवाज आई तो नेहा झपटकर ड्राइंगरूम में आ गई। ऐसी चाय, भला चुपचाप पीने का मजा क्या ? जल्दी से ढूढ़-ढ़ाँढ़ कर एक शास्त्रीय संगीत का सी.डी.लग...

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पूर्ण-विराम से पहले....!!! - 20 By Pragati Gupta

पूर्ण-विराम से पहले....!!! 20. समीर की सभी टेस्ट रेपोर्ट्स आने पर डॉक्टर सुबोध ने प्रखर और शिखा को अपने चैम्बर में बुलाया और उनको बताया कि उसका ई.सी.जी. काफ़ी ऐब्नॉर्मल आया है| हार्...

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गवाक्ष - 25 By Pranava Bharti

गवाक्ष 25== अचानक कॉस्मॉस की दृष्टि एक श्वेत रंग के चार-पहिया वाहन पर पड़ी, जिसने उसे आकर्षित किया और वह उस वाहन के पीछे अपने अदृश्य रूप में चल दिया। एक लंबे-चौड़े अहाते में...

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आपकी आराधना - 2 By Pushpendra Kumar Patel

अतीत के कुछ अनसुलझे रहस्य जो बदल देंगे आराधना की जिन्दगी.....

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अनोखी परंपरा By sudha bhargava

कहानी अनोखी परंपरा सुधा भार्गव पति के सेवानिवृत होने के बाद रुकमनी ने बड़े शौक से विशाल बंगला बनवाया । साथ मैं बहू बेटे रहते थे। रिश्तों में आनंदधारा अविरल बहती थी। मुश्किल से...

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बड़े और छोटे लोगों की पार्टियां By r k lal

बड़े और छोटे लोगों की पार्टियां आर० के० लाल “अरे सुनती हो! आज बड़े साहब शर्माजी के यहां उनकी बेटी की बर्थडे पार्टी है। हम लोगों को भी जाना है। तुम तैयारी कर लो, बड़े...

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ज़लज़ला By Sudha Adesh

ज़लज़लानीला ने जब आँखें खोली तो विकास को अपने पास ही बैठे पाया । नीला को होश में आते देखकर विकास ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए चिरपरिचित अंदाज में कहा, ‘बधाई हो नीला, आपरेशन सफ़ल...

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अपने-अपने इन्द्रधनुष - 3 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (3) कई दिनों के पश्चात् आज काॅलेज के काॅरीडोर में विक्रान्त मिल गया। वह बाहर जा रहा था। उसे देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह जल्दी में हो। मुझे देखते ही व...

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गोधूलि - 1 By Priyamvad

गोधूलि (1) उस साल ऋतुएं थोड़ा पहले आ गयीं थीं। इतना पहले कि वसंत अभी कोहरे में ही था। इसकी सफेदी और ठंडी नमी ने पेड़ों के पीले पत्तों को गिरने से रोक रखा था। बुलबुलों के गलों के रंग...

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बना रहे यह अहसास - 8 By Sushma Munindra

बना रहे यह अहसास सुषमा मुनीन्द्र 8 मध्य रात्रि। सैडेशन के प्रभाव में शक्तिविहीन अम्मा। पंचानन सोफे पर यामिनी भूमि पर सोई है। कल इन लोगों को बहुत भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। अममा ने नींद मे...

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आखा तीज का ब्याह - 5 By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (5) अभी तो बसंती इस नए माहौल में खुदको ढालने की कोशिश कर ही रही थी कि फ्रेशर्स पार्टी नाम की एक नयी मुसीबत उसके सर पर आ पड़ी| जबसे क्लास में वीणा मैम ने इस पार्टी क...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 12 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Episode 12 by Shilpa Sharma शिल्पा शर्मा इस सुबह की शाम कब होगी ट्रेन तीव्रतम वेग से दौड़ रही थी और उससे कहीं तेज़ गति से बेला की आ...

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यारबाज़ - 12 By Vikram Singh

यारबाज़ विक्रम सिंह (12) वापस आते ही पापा मुझे समझाने लगे कि बेटा अब अच्छी तरह पढ़ना। ग्रेजुएशन में भी अच्छे नंबर आने चाहिए तभी कोई नौकरी होगी वरना कुछ नहीं होगा। अब सब कुछ भूल कर...

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जय हिन्द की सेना - 9 By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म नौ बलवीर को रह—रहकर मोना की याद सता रही थी, मोना के साथ बीते कुछ घण्टे उसे याद आ रहे थे। बलवीर को लग रहा था जैसे मोना उसके पास महीनों रह कर गयी हो,...

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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 17 By Neena Paul

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर 17 "क्या ऐसे गर्म देशों में साँप सड़कों पर घूमते हैं निशा। ऐसी जहरीली चीज से डर तो लगता ही है ना...," बात करते हुए भी सायमन एक झुरझरी महसूस कर रहा था। "नह...

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राम रचि राखा - 5 - 3 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा मुझे याद करोगे ? (3) देखते-देखते एक सप्ताह बीत गया। अब आनंद के एक विषय की परीक्षा और बाकी है। कल उसकी परीक्षा खत्म हो जायेगी। दो-तीन दिन बाद उसके पिता जी उसे गाँव लिवा...

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बात बस इतनी सी थी - 7 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 7 अपने मम्मी-पापा से आशीर्वाद लेने के बाद मंजरी मुझे साथ लेकर मेरी माता जी की ओर बढ़ी । मेरी माता जी के चरण स्पर्श करने के लिए हम दोनों एक साथ नीचे झुके, पर मेरी म...

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गूंगा गाँव - 7 By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

गूंगा गाँव गाँव की धरा का अपना परिवेश होता है और अपनी परिधि। गाँव, गाँव होता हैं़, उसकी अपनी परम्परायें होतीं हैं, उसके अपने कानून होते हैं। संसद में बने कानून का इसके परिवे...

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काम वासना - ओशो - osho thinkig By Sonu dholiya

कामवासना जीवन की एक अनिवार्यता प्रश्न - ओशो, मेरी कामवासना नहीं जाती। क्या करूँ ? - हरिकृष्णदास ब्रम्हचारी ब्रम्हचर्य के कारण नहीं जाती...

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एक बेटी की कहानी, बेटी की जुबानी By Monika Verma

मे एक बेटी हु। इस समाज को चलाने , इस सृष्टि को सम्हालने का कार्य खुदा ने मुझे सोपा।बचपन से ही मम्मी पापा की लाडली रही। मुझे चोट तक न आने दी। ये समाज सब के सामने मुझे हमेशा हिम्मत...

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लेखक By Mens HUB

प्रकाशक : यह क्या उल्ल जुलूल लिख लाये लेखक महाशय लेखक : नारी आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान, नारी उथान आदि पर एकदम बढ़िया कहानी लिखी है प्रकाशक : बढ़िया किसे कहते है आपको पता भी है लेखक :...

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नश्तर खामोशियों के - 1 By Shailendra Sharma

नश्तर खामोशियों के शैलेंद्र शर्मा 1. बार-बार उमड़ आते उफान से मेरी आँखें गीली हो जाती थीं. और सच, मैं इतने दिनों बाद महसूस कर रही थी कि मैं अभी भी पत्थर नहीं हुई हूँ...मगर कैसी अजीब...

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वृक्षराज By Deepak sharma

वृक्षराज कल रात मुझे अमृतसर का अपना पुराना पीपल फिर दिख गया| हूबहू वैसा ही, जैसा लगभग पचास वर्ष पूर्व हम पीछे छोड़ आए थे और जिसके काटे जाने पर वहां हुए हंगामे की खबर के साथ मैं पिछल...

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कोई नाम न दो By Jyotsana Kapil

बेटी से बात करके शिवानी के हृदय में ममत्व का सागर सा उमड़ने लगा। दो साल गुज़र गए थे उसे देखे हुए। जबसे दामाद का सिंगापुर की ब्रांच में तबादला हुआ था अब तक भारत आने का समय नही निकाल प...

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बेरोजगारी बनाम जिंदगी- ए ट्रेजेडी इन 2020 By RISHABH PANDEY

ऑनलाइन क्लास करते करते अब तो ये तक याद हो चुका था कि किस यूट्यूब चैनल पर किस सर की क्लास कितने बजे होती है। लेकिन रेलवे ग्रुप डी की न परीक्षा हुई न ही उसकी कोई खबर आई। घर मे दो बहन...

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खिलवाड़ By Pragati Gupta

खिलवाड़ -------------------आज सुबह-सुबह विजया की स्कूल मित्र वृन्दा का लगभग पाँच बरस बाद फ़ोन आया तो अनायास ही विजया के चेहरे पर एक तरफ तो मुस्कराहट की लहर दौड़ गई और दूसरी तरफ़ पांच स...

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किसान की बारिश... By निशा शर्मा

ये कैसी विडम्बना है ! जो सबके लिए अनाज उगाता है।दुनिया भर की क्षुधा मिटाता है। अक्सर रातों को वो ही भूंखा सो जाता है। कहने को तो वो अन्नदाता कहलाता है मगर इसी अन्न के अभाव के चलते...

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एक लेखक की ‘एनेटमी‘ - 3 - अंतिम भाग By Priyamvad

एक लेखक की ‘एनेटमी‘ प्रियंवद (3) स्टूल पर बैठे आदमी ने, जो प्रेमियों के लिए जलते चिराग की तरह दिखते घर से कुद देर पहले आया था, एक झटके में गिलास की शराब खत्म कर दी। उसने अपने लिए द...

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अपनों से मिला दर्द By Raghuraj Singh

अपनों से मिला दर्द एक दिन धरती माता काफी विचलित हो रही थी। चेहरे की चमक और मन में शांति का भाव दोनों लुप्त हो गए। कारण था मनुष्य का अनैतिक पाप कर्म, वनों की कटाई और अवांछित कार्यों...

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क्षितिज पार By Priyadarshini

क्षितिज पार घर में घुसते ही मिसेज सिंह ने महिम के गालों पर झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया जिससे दूध का पूरा गिलास उसके नन्हें हाथों से छिटक कर दूर जा गिरा । और समूचा संगमरमरी फर्श...

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समय के गर्भ में By Rajesh Malik

समय के गर्भ में राजेश मलिक पृथ्वी की डोर आसमान के हाथ में थी। वह जिसे चाहे इधर और जिसे चाहे उधर कर दें। पृण्य घट और पाप बढ़ रहा था। मुल्क, ज़मीन, परिवार कई हिस्सों मेंबट गये थे। चारो...

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गूगल बॉय - 2 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 2 आज रविवार है अर्थात् अवकाश का दिन। छुट्टी सबको अच्छी लगती है। चाहे कितना भी कमेरा व्यक्ति हो, परन्तु छ: दिन की बंधी हुई...

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एनीमल फॉर्म - 4 By Suraj Prakash

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (4) गर्मियों के बीतते न बीतते बाड़े में हुई घटना का समाचार देश के आधे भाग तक फैल चुका था। हर दिन स्नोबॉल और नेपोलियन कबूतरों के झुण्डों...

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इक समंदर मेरे अंदर - 7 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (7) उस चाल में वर्माजी का ही पूरा परिवार था...बाकी लोगों के परिवार गांव में थे। वे लोग यहां अकेले रहकर मिलों में और इधर उधर छोटे मोटे काम करते और हर म...

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जिंदगी मेरे घर आना - 5 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – ५ कार स्टार्ट होने की आवाज आई तो नेहा झपटकर ड्राइंगरूम में आ गई। ऐसी चाय, भला चुपचाप पीने का मजा क्या ? जल्दी से ढूढ़-ढ़ाँढ़ कर एक शास्त्रीय संगीत का सी.डी.लग...

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पूर्ण-विराम से पहले....!!! - 20 By Pragati Gupta

पूर्ण-विराम से पहले....!!! 20. समीर की सभी टेस्ट रेपोर्ट्स आने पर डॉक्टर सुबोध ने प्रखर और शिखा को अपने चैम्बर में बुलाया और उनको बताया कि उसका ई.सी.जी. काफ़ी ऐब्नॉर्मल आया है| हार्...

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गवाक्ष - 25 By Pranava Bharti

गवाक्ष 25== अचानक कॉस्मॉस की दृष्टि एक श्वेत रंग के चार-पहिया वाहन पर पड़ी, जिसने उसे आकर्षित किया और वह उस वाहन के पीछे अपने अदृश्य रूप में चल दिया। एक लंबे-चौड़े अहाते में...

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अतीत के कुछ अनसुलझे रहस्य जो बदल देंगे आराधना की जिन्दगी.....

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अनोखी परंपरा By sudha bhargava

कहानी अनोखी परंपरा सुधा भार्गव पति के सेवानिवृत होने के बाद रुकमनी ने बड़े शौक से विशाल बंगला बनवाया । साथ मैं बहू बेटे रहते थे। रिश्तों में आनंदधारा अविरल बहती थी। मुश्किल से...

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बड़े और छोटे लोगों की पार्टियां By r k lal

बड़े और छोटे लोगों की पार्टियां आर० के० लाल “अरे सुनती हो! आज बड़े साहब शर्माजी के यहां उनकी बेटी की बर्थडे पार्टी है। हम लोगों को भी जाना है। तुम तैयारी कर लो, बड़े...

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ज़लज़ला By Sudha Adesh

ज़लज़लानीला ने जब आँखें खोली तो विकास को अपने पास ही बैठे पाया । नीला को होश में आते देखकर विकास ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए चिरपरिचित अंदाज में कहा, ‘बधाई हो नीला, आपरेशन सफ़ल...

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अपने-अपने इन्द्रधनुष - 3 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (3) कई दिनों के पश्चात् आज काॅलेज के काॅरीडोर में विक्रान्त मिल गया। वह बाहर जा रहा था। उसे देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह जल्दी में हो। मुझे देखते ही व...

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गोधूलि - 1 By Priyamvad

गोधूलि (1) उस साल ऋतुएं थोड़ा पहले आ गयीं थीं। इतना पहले कि वसंत अभी कोहरे में ही था। इसकी सफेदी और ठंडी नमी ने पेड़ों के पीले पत्तों को गिरने से रोक रखा था। बुलबुलों के गलों के रंग...

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बना रहे यह अहसास - 8 By Sushma Munindra

बना रहे यह अहसास सुषमा मुनीन्द्र 8 मध्य रात्रि। सैडेशन के प्रभाव में शक्तिविहीन अम्मा। पंचानन सोफे पर यामिनी भूमि पर सोई है। कल इन लोगों को बहुत भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। अममा ने नींद मे...

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आखा तीज का ब्याह - 5 By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (5) अभी तो बसंती इस नए माहौल में खुदको ढालने की कोशिश कर ही रही थी कि फ्रेशर्स पार्टी नाम की एक नयी मुसीबत उसके सर पर आ पड़ी| जबसे क्लास में वीणा मैम ने इस पार्टी क...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 12 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Episode 12 by Shilpa Sharma शिल्पा शर्मा इस सुबह की शाम कब होगी ट्रेन तीव्रतम वेग से दौड़ रही थी और उससे कहीं तेज़ गति से बेला की आ...

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यारबाज़ - 12 By Vikram Singh

यारबाज़ विक्रम सिंह (12) वापस आते ही पापा मुझे समझाने लगे कि बेटा अब अच्छी तरह पढ़ना। ग्रेजुएशन में भी अच्छे नंबर आने चाहिए तभी कोई नौकरी होगी वरना कुछ नहीं होगा। अब सब कुछ भूल कर...

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जय हिन्द की सेना - 9 By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म नौ बलवीर को रह—रहकर मोना की याद सता रही थी, मोना के साथ बीते कुछ घण्टे उसे याद आ रहे थे। बलवीर को लग रहा था जैसे मोना उसके पास महीनों रह कर गयी हो,...

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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 17 By Neena Paul

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राम रचि राखा - 5 - 3 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा मुझे याद करोगे ? (3) देखते-देखते एक सप्ताह बीत गया। अब आनंद के एक विषय की परीक्षा और बाकी है। कल उसकी परीक्षा खत्म हो जायेगी। दो-तीन दिन बाद उसके पिता जी उसे गाँव लिवा...

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बात बस इतनी सी थी 7 अपने मम्मी-पापा से आशीर्वाद लेने के बाद मंजरी मुझे साथ लेकर मेरी माता जी की ओर बढ़ी । मेरी माता जी के चरण स्पर्श करने के लिए हम दोनों एक साथ नीचे झुके, पर मेरी म...

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गूंगा गाँव - 7 By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

गूंगा गाँव गाँव की धरा का अपना परिवेश होता है और अपनी परिधि। गाँव, गाँव होता हैं़, उसकी अपनी परम्परायें होतीं हैं, उसके अपने कानून होते हैं। संसद में बने कानून का इसके परिवे...

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एक बेटी की कहानी, बेटी की जुबानी By Monika Verma

मे एक बेटी हु। इस समाज को चलाने , इस सृष्टि को सम्हालने का कार्य खुदा ने मुझे सोपा।बचपन से ही मम्मी पापा की लाडली रही। मुझे चोट तक न आने दी। ये समाज सब के सामने मुझे हमेशा हिम्मत...

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लेखक By Mens HUB

प्रकाशक : यह क्या उल्ल जुलूल लिख लाये लेखक महाशय लेखक : नारी आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान, नारी उथान आदि पर एकदम बढ़िया कहानी लिखी है प्रकाशक : बढ़िया किसे कहते है आपको पता भी है लेखक :...

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नश्तर खामोशियों के - 1 By Shailendra Sharma

नश्तर खामोशियों के शैलेंद्र शर्मा 1. बार-बार उमड़ आते उफान से मेरी आँखें गीली हो जाती थीं. और सच, मैं इतने दिनों बाद महसूस कर रही थी कि मैं अभी भी पत्थर नहीं हुई हूँ...मगर कैसी अजीब...

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वृक्षराज By Deepak sharma

वृक्षराज कल रात मुझे अमृतसर का अपना पुराना पीपल फिर दिख गया| हूबहू वैसा ही, जैसा लगभग पचास वर्ष पूर्व हम पीछे छोड़ आए थे और जिसके काटे जाने पर वहां हुए हंगामे की खबर के साथ मैं पिछल...

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कोई नाम न दो By Jyotsana Kapil

बेटी से बात करके शिवानी के हृदय में ममत्व का सागर सा उमड़ने लगा। दो साल गुज़र गए थे उसे देखे हुए। जबसे दामाद का सिंगापुर की ब्रांच में तबादला हुआ था अब तक भारत आने का समय नही निकाल प...

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बेरोजगारी बनाम जिंदगी- ए ट्रेजेडी इन 2020 By RISHABH PANDEY

ऑनलाइन क्लास करते करते अब तो ये तक याद हो चुका था कि किस यूट्यूब चैनल पर किस सर की क्लास कितने बजे होती है। लेकिन रेलवे ग्रुप डी की न परीक्षा हुई न ही उसकी कोई खबर आई। घर मे दो बहन...

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खिलवाड़ By Pragati Gupta

खिलवाड़ -------------------आज सुबह-सुबह विजया की स्कूल मित्र वृन्दा का लगभग पाँच बरस बाद फ़ोन आया तो अनायास ही विजया के चेहरे पर एक तरफ तो मुस्कराहट की लहर दौड़ गई और दूसरी तरफ़ पांच स...

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किसान की बारिश... By निशा शर्मा

ये कैसी विडम्बना है ! जो सबके लिए अनाज उगाता है।दुनिया भर की क्षुधा मिटाता है। अक्सर रातों को वो ही भूंखा सो जाता है। कहने को तो वो अन्नदाता कहलाता है मगर इसी अन्न के अभाव के चलते...

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एक लेखक की ‘एनेटमी‘ - 3 - अंतिम भाग By Priyamvad

एक लेखक की ‘एनेटमी‘ प्रियंवद (3) स्टूल पर बैठे आदमी ने, जो प्रेमियों के लिए जलते चिराग की तरह दिखते घर से कुद देर पहले आया था, एक झटके में गिलास की शराब खत्म कर दी। उसने अपने लिए द...

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अपनों से मिला दर्द By Raghuraj Singh

अपनों से मिला दर्द एक दिन धरती माता काफी विचलित हो रही थी। चेहरे की चमक और मन में शांति का भाव दोनों लुप्त हो गए। कारण था मनुष्य का अनैतिक पाप कर्म, वनों की कटाई और अवांछित कार्यों...

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