hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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होने से न होने तक - 48 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 48. अगले ही दिन मानसी जी एक सत्रह अठ्ठारह साल की लड़की को लेकर मेरे घर पहुंच गयी थीं,‘‘इसकी बड़ी बहन ने मदन भैया के घर काम किया था। वह अभी कुछ महीने पहले ही शादी कर...

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आधी दुनिया का पूरा सच - 22 By Dr kavita Tyagi

आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 22. मन्दिर के प्रांगण से निकल कर छिपती-छिपाती चलते-चलते पर्याप्त दूरी तय करने के पश्चात् रानी सड़क के किनारे एक टीन शेड के नीचे बैठ गयी । धूप तेज थी...

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मैं, मैसेज और तज़ीन - 6 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

मैं, मैसेज और तज़ीन - प्रदीप श्रीवास्तव भाग -6 मैंने पूछा ‘आप पहुंच गए ?’ तो वह बड़ा खुश होकर बोला ‘हां।’ उसे खुशी इस बात की भी थी कि वह एक और कदम मेरे करीब आ गया। मेरा नंबर अब उसके...

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चाँद के पार एक चाबी - 2 By Avadhesh Preet

चांद के पार एक कहानी अवधेश प्रीत 2 इस बार तो मैं सचमुच अन्दर तक हिल गया। मेरे सामने एक ऐसा यथार्थ था, जो मेरे तमाम लिखे-पढ़े को मुुंह चिढ़ा रहा था। यह किताबों से परे, पफैंटेसी से बाह...

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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 3 By Neena Paul

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर 3 "मम्मा यह लोग तो यहाँ बढ़ते ही जा रहे हैं..." सामने वाले घर में इतने सारे लोगों को आते जाते देख कर मिडल एवन्यू स्ट्रीट के लोग घबरा गए। "घबराओ मत बेटा यह...

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उठते क्यों नहीं कासिम भाई? By Priyadarshan Parag

उठते क्यों नहीं कासिम भाई? प्रियदर्शन मुर्गे की तेज़ बांग से अकचका कर उठे कासिम भाई। कमबख़्त इस महानगर में कब से बोलने लगा मुर्गा। आदतन घड़ी पर नज़र पड़ी- अरे, वह भी सुबह के साढ़े...

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राम रचि राखा - 1 - 11 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा अपराजिता (11) समय तो अपनी गति से चलता रहता है। अनुराग के गये हुये तीन साल बीत गये। अब ध्रुव लगभग ढ़ाई साल का हो गया है। एलबम में अनुराग की फोटो देखकर उसे पहचानने लगा है...

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जननम - 12 By S Bhagyam Sharma

जननम अध्याय 12 श्री सभानायकम पहले से एक जानकार थे। किसी काम से उन्हें देखने आए। बातों ही बातों में संपत ने उनसे पूछा "गांव में सब ठीक हैं ?" "अरे ऐसा क्यों पूछ रहे हो ! एक बड़ी दुर...

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केसरिया बालम - 15 By Hansa Deep

केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 15 बदलती नज़रें, बदलता नज़रिया कुछ भी बोलने के लिये शब्दों को तौलना पड़ता था धानी को। एक समय था जब बगैर सोचे जो ‘जी’ में आता, बाली से कह देती थी। कैसा जीव...

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पारगमन By Deepak sharma

पारगमन यदि सभी ग्रह घूमा करते हैं और हमें घुमाया करते हैं तो मैं जरूर इन से बाहर हो लिया हूँ| स्थिर एवं स्थावर! जब तक धरती का वासी रहा हमेशा गति पकड़े रहा| जागते में तो घूमता ही, सो...

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सलीब पर टंगा प्रश्न By Sudha Adesh

सलीब पर टंगा प्रश्ननिशा आफिस के पश्चात् निधि को लेने स्कूल पहुँची, उसे देखते ही दौड़कर उसके पास आने वाली निधि ठीक से चल भी नहीं पा रही थी…उसे देखते ही अटेन्डेट ने दवायें देते हुये क...

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सगुन चिरैया By Goverdhan Yadav

सगुन चिरैया आकाश से उतरकर अंधेरा, ऊंचे-ऊंचे दरख्तों की शाखों पर झूल रहा था। पास ही के पेड़ पर पक्षी कलरव कर रहे थे, शायद वे संध्या-गान गा रहे थे। दिन भर से अपने कमरे में कैद स्वामी...

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सेंधा नमक - 3 By Sudha Trivedi

सेंधा नमक सुधा त्रिवेदी (3) अगली सुबह सासरानी को लेकर वन्या को नेत्रालय जाना था। उसके पिता नेत्रालय के सीनियर डॉक्टर, डॉ.सुजीत अरोडा को जानते थे । वन्या ने अपने पिता से कहलवा कर सा...

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पूर्ण-विराम से पहले....!!! - 5 By Pragati Gupta

पूर्ण-विराम से पहले....!!! 5. अपने बेटे की बातों को साझा करते-करते प्रखर के चेहरे पर आने वाला उत्साह उसे ढेरों खुशी दे रहा था| प्रखर ने बहुत सारी बातें प्रणय की साझा की| कैसे प्रणय...

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गवाक्ष - 11 By Pranava Bharti

गवाक्ष 11=== पॉंच-पॉंच वर्ष के अंतर में सत्यव्रत व स्वाति की फुलवारी में क्रमश: तीन पुष्प खिले। दो बड़े बेटे व अंत की एक बिटिया। बस--- यहीं फिर से सत्यव्रत के जीवन में अ...

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उर्वशी - 14 By Jyotsana Kapil

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 14 " इस तरह दबाव डालने की आदत छोड़ दीजिए। आपकी इस आदत ने ही मेरा सर्वनाश किया है। क्या ज़रूरत थी आपको दबाव डालकर उन्हें विवश करने की, कि वह मुझसे विवाह करे...

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आधा आदमी - 26 By Rajesh Malik

आधा आदमी अध्‍याय-26 जैसे वह अभी गिर जाएगा। उसने अपने आप को संभालते हुए पूछा, ‘‘यह तुमने क्या कर लिया......।” ‘‘घबराओं नहीं, जो होना था वह तो हो चुका.‘‘ ‘‘यह सब करने की क्या जरूरत थ...

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महामाया - 32 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – बत्तीस महाअवतार बाबा के दर्शन कर काशा प्रफुल्लित थी। उसकी आँखों से महाअवतार बाबा की मूरत गायब ही नहीं होती थी। सोते-जागते, उठते-बैठते, खाते-पीते हर...

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तलाश. By Asha Pandey Author

तलाश दिन काफी चढ़ गया था | शायद सुबह के आठ बज गए थे ! माँ कब से उसे आवाज दे रहीं थीं, ‘अतुल, उठ बेटा | आज तो धंधे का दूसरा ही दिन है, इतना आलस करेगा तो कैसे चलेगा ?’ लेकिन अतुल उठने...

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 6 By Ajay Sharma

समंदर और सफेद गुलाब 6 बंदर ने कहा, ‘क्यों क्या हो गया..मेरी बीवी है, साथ लाया हूं साथ लेकर जाऊंगा।’ मगरमच्छ ने बड़े प्यार से कहा, ‘यह तो मेरी बीवी है।’ बस फिर क्या था, बात बढ़ गई औ...

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बात ना करो जात की - 2 By Maya

तभी चाची की नजर मुझ पर पड़ती है और कहती अच्छा बिटिया जरा बांस वाली को खाना देते आना मैं जाती हूं बास बलि के हाथों में चुपचापखाना की थाली रख देती हूं! बाहसबली को देखकर ऐसा लगता है...

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दूसरा सूरज By Lovelesh Dutt

दूसरा सूरज--लवलेश दत्त“लोग कहते हैं...मैं शराबी हूँ...तुमने भी ...” लड़खड़ाती ज़बान से गाते हुए चरनजीत घर में घुसा और दरवाजे को जोर से बन्द करके गुसलखाने में चला गया।दरवाजे की आवाज...

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घड़ा - विवेक मिश्र By Vivek Mishra

' घड़ा 'विशाल उठकर बिस्तर पर बैठ गए। उनके माथे पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं। विशाल तेज़ी से बेडरूम से निकल कर ड्राईंगरूम में आ गए। शीतल फ़ोन पर बा...

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प्रेम की बहार By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- प्रेम की बहार आर.एन. सुनगरया गर्मी की छुट्टियों में, जब किशन वर्षों बाद अपने गॉंव लौटा, तो वह फूला...

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राखी की हिफाजत - रक्षाबंधन By Ankit Chaudhary શિવ

राखी की हिफाजत - रक्षाबंधनशुभ है दिन , शुभ है यह घड़िया,लो आज फिर एक बार आ गयाभाई – बहन के प्यार का उत्सव ।रक्षाबंधन की ढेरों बधाइयां । ~~~~~ अंकित चौध...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 15 By Sarvesh Saxena

रात के ग्यारह बज चुके थे, मंजेश जाकर एक कुर्सी पर बैठ गया तभी नर्स आकर बोली, “अरे सर क्या बात है, आप बहुत चुपचाप बैठे हैं.. अरे हां थक गए होंगे वैसे भी आपने सबसे ज्यादा मरीजों का ट...

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एक ही पार्ट - एक अनोखा रक्षाबंधन By Vishaal Kr

कहानी शुरू होता है छोटे से बच्चे से जिसकी उम्र लगभग 7-8 साल का है,और वो घर में अकेले टीवी पर कार्टून देख रहा है और वो अपनी दुनिया में मस्ती है। करीब 10से 15 मिनट के बाद उसका भाई आ...

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पापा की मुक्ति By Hansa Deep

कहानी पापा की मुक्ति डॉ. हंसा दीप घनन-घनन फोन की घंटी बजी और जैसे घर का सब कुछ स्वाहा हो गया। हँसता-चहकता वह घर करुण क्रन्दन से भर गया। पापा को ऑफिस में हार्ट अटैक का दौरा पड़ा...

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मन की बात - 3 - मेरे भैया By Kusum Agarwal

सावन का महीना था। दोपहर के 3:00 बजे थे। रिमझिम शुरू होने से मौसम सुहावना पर बाजार सुनसान हो गया था।एक साइबर कैफे में काम करने वाले तीनों युवक चाय मंगा पर चुस्कियां ले रहे थे। अंदर...

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वो भूली दास्तां, भाग-४ By Saroj Prajapati

आज चांदनी सुबह से ही खुश थी। हो भी क्यों ना कल ही रश्मि आज उससे मिलने जो आ रही थी। पूरे 25 दिन बाद! चांदनी ने सोच लिया था कि वह रश्मि को उस लड़के के बारे में जरूर बताएंगी । दोपहर...

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छलावा By Vijay Singh Tyagi

छलावा छलावा और भूत का नाम तो समाज में पुराने समय से ही चला आ रहा है। मैंने भी बचपन में अपने बुजुर्गों से छलावा का नाम खूब सुना था।...

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इस शहर में मनोहर By Priyadarshan Parag

इस शहर में मनोहर प्रियदर्शन फणीश्वरनाथ रेणु का हीरामन अब गांव में नहीं रहता, शहर चला आया है। बैलगाड़ी नहीं चलाता, कई दूसरे छोटे-छोटे काम करता है। उसका नाम इस कहानी में मनोहर है। एक...

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बाँकी By Deepak sharma

बाँकी अपने बांकपन और सौन्दर्य को लेकर बुआ बेशक शुरू से बहुत सतर्क रहती आयों थीं किन्तु जब से एक टी.वी. चैनल ने अपने पुरस्कार समारोह में उन्हें ‘बेस्ट भाभी’ की ट्रॉफ़ी थमायी थी, वह क...

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होने से न होने तक - 48 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 48. अगले ही दिन मानसी जी एक सत्रह अठ्ठारह साल की लड़की को लेकर मेरे घर पहुंच गयी थीं,‘‘इसकी बड़ी बहन ने मदन भैया के घर काम किया था। वह अभी कुछ महीने पहले ही शादी कर...

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आधी दुनिया का पूरा सच - 22 By Dr kavita Tyagi

आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 22. मन्दिर के प्रांगण से निकल कर छिपती-छिपाती चलते-चलते पर्याप्त दूरी तय करने के पश्चात् रानी सड़क के किनारे एक टीन शेड के नीचे बैठ गयी । धूप तेज थी...

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मैं, मैसेज और तज़ीन - 6 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

मैं, मैसेज और तज़ीन - प्रदीप श्रीवास्तव भाग -6 मैंने पूछा ‘आप पहुंच गए ?’ तो वह बड़ा खुश होकर बोला ‘हां।’ उसे खुशी इस बात की भी थी कि वह एक और कदम मेरे करीब आ गया। मेरा नंबर अब उसके...

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चाँद के पार एक चाबी - 2 By Avadhesh Preet

चांद के पार एक कहानी अवधेश प्रीत 2 इस बार तो मैं सचमुच अन्दर तक हिल गया। मेरे सामने एक ऐसा यथार्थ था, जो मेरे तमाम लिखे-पढ़े को मुुंह चिढ़ा रहा था। यह किताबों से परे, पफैंटेसी से बाह...

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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 3 By Neena Paul

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर 3 "मम्मा यह लोग तो यहाँ बढ़ते ही जा रहे हैं..." सामने वाले घर में इतने सारे लोगों को आते जाते देख कर मिडल एवन्यू स्ट्रीट के लोग घबरा गए। "घबराओ मत बेटा यह...

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उठते क्यों नहीं कासिम भाई? By Priyadarshan Parag

उठते क्यों नहीं कासिम भाई? प्रियदर्शन मुर्गे की तेज़ बांग से अकचका कर उठे कासिम भाई। कमबख़्त इस महानगर में कब से बोलने लगा मुर्गा। आदतन घड़ी पर नज़र पड़ी- अरे, वह भी सुबह के साढ़े...

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राम रचि राखा - 1 - 11 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा अपराजिता (11) समय तो अपनी गति से चलता रहता है। अनुराग के गये हुये तीन साल बीत गये। अब ध्रुव लगभग ढ़ाई साल का हो गया है। एलबम में अनुराग की फोटो देखकर उसे पहचानने लगा है...

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जननम - 12 By S Bhagyam Sharma

जननम अध्याय 12 श्री सभानायकम पहले से एक जानकार थे। किसी काम से उन्हें देखने आए। बातों ही बातों में संपत ने उनसे पूछा "गांव में सब ठीक हैं ?" "अरे ऐसा क्यों पूछ रहे हो ! एक बड़ी दुर...

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केसरिया बालम - 15 By Hansa Deep

केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 15 बदलती नज़रें, बदलता नज़रिया कुछ भी बोलने के लिये शब्दों को तौलना पड़ता था धानी को। एक समय था जब बगैर सोचे जो ‘जी’ में आता, बाली से कह देती थी। कैसा जीव...

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पारगमन By Deepak sharma

पारगमन यदि सभी ग्रह घूमा करते हैं और हमें घुमाया करते हैं तो मैं जरूर इन से बाहर हो लिया हूँ| स्थिर एवं स्थावर! जब तक धरती का वासी रहा हमेशा गति पकड़े रहा| जागते में तो घूमता ही, सो...

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सलीब पर टंगा प्रश्न By Sudha Adesh

सलीब पर टंगा प्रश्ननिशा आफिस के पश्चात् निधि को लेने स्कूल पहुँची, उसे देखते ही दौड़कर उसके पास आने वाली निधि ठीक से चल भी नहीं पा रही थी…उसे देखते ही अटेन्डेट ने दवायें देते हुये क...

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सगुन चिरैया By Goverdhan Yadav

सगुन चिरैया आकाश से उतरकर अंधेरा, ऊंचे-ऊंचे दरख्तों की शाखों पर झूल रहा था। पास ही के पेड़ पर पक्षी कलरव कर रहे थे, शायद वे संध्या-गान गा रहे थे। दिन भर से अपने कमरे में कैद स्वामी...

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सेंधा नमक - 3 By Sudha Trivedi

सेंधा नमक सुधा त्रिवेदी (3) अगली सुबह सासरानी को लेकर वन्या को नेत्रालय जाना था। उसके पिता नेत्रालय के सीनियर डॉक्टर, डॉ.सुजीत अरोडा को जानते थे । वन्या ने अपने पिता से कहलवा कर सा...

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पूर्ण-विराम से पहले....!!! - 5 By Pragati Gupta

पूर्ण-विराम से पहले....!!! 5. अपने बेटे की बातों को साझा करते-करते प्रखर के चेहरे पर आने वाला उत्साह उसे ढेरों खुशी दे रहा था| प्रखर ने बहुत सारी बातें प्रणय की साझा की| कैसे प्रणय...

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गवाक्ष - 11 By Pranava Bharti

गवाक्ष 11=== पॉंच-पॉंच वर्ष के अंतर में सत्यव्रत व स्वाति की फुलवारी में क्रमश: तीन पुष्प खिले। दो बड़े बेटे व अंत की एक बिटिया। बस--- यहीं फिर से सत्यव्रत के जीवन में अ...

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उर्वशी - 14 By Jyotsana Kapil

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 14 " इस तरह दबाव डालने की आदत छोड़ दीजिए। आपकी इस आदत ने ही मेरा सर्वनाश किया है। क्या ज़रूरत थी आपको दबाव डालकर उन्हें विवश करने की, कि वह मुझसे विवाह करे...

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आधा आदमी - 26 By Rajesh Malik

आधा आदमी अध्‍याय-26 जैसे वह अभी गिर जाएगा। उसने अपने आप को संभालते हुए पूछा, ‘‘यह तुमने क्या कर लिया......।” ‘‘घबराओं नहीं, जो होना था वह तो हो चुका.‘‘ ‘‘यह सब करने की क्या जरूरत थ...

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महामाया - 32 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – बत्तीस महाअवतार बाबा के दर्शन कर काशा प्रफुल्लित थी। उसकी आँखों से महाअवतार बाबा की मूरत गायब ही नहीं होती थी। सोते-जागते, उठते-बैठते, खाते-पीते हर...

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तलाश. By Asha Pandey Author

तलाश दिन काफी चढ़ गया था | शायद सुबह के आठ बज गए थे ! माँ कब से उसे आवाज दे रहीं थीं, ‘अतुल, उठ बेटा | आज तो धंधे का दूसरा ही दिन है, इतना आलस करेगा तो कैसे चलेगा ?’ लेकिन अतुल उठने...

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 6 By Ajay Sharma

समंदर और सफेद गुलाब 6 बंदर ने कहा, ‘क्यों क्या हो गया..मेरी बीवी है, साथ लाया हूं साथ लेकर जाऊंगा।’ मगरमच्छ ने बड़े प्यार से कहा, ‘यह तो मेरी बीवी है।’ बस फिर क्या था, बात बढ़ गई औ...

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बात ना करो जात की - 2 By Maya

तभी चाची की नजर मुझ पर पड़ती है और कहती अच्छा बिटिया जरा बांस वाली को खाना देते आना मैं जाती हूं बास बलि के हाथों में चुपचापखाना की थाली रख देती हूं! बाहसबली को देखकर ऐसा लगता है...

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दूसरा सूरज By Lovelesh Dutt

दूसरा सूरज--लवलेश दत्त“लोग कहते हैं...मैं शराबी हूँ...तुमने भी ...” लड़खड़ाती ज़बान से गाते हुए चरनजीत घर में घुसा और दरवाजे को जोर से बन्द करके गुसलखाने में चला गया।दरवाजे की आवाज...

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घड़ा - विवेक मिश्र By Vivek Mishra

' घड़ा 'विशाल उठकर बिस्तर पर बैठ गए। उनके माथे पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं। विशाल तेज़ी से बेडरूम से निकल कर ड्राईंगरूम में आ गए। शीतल फ़ोन पर बा...

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प्रेम की बहार By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- प्रेम की बहार आर.एन. सुनगरया गर्मी की छुट्टियों में, जब किशन वर्षों बाद अपने गॉंव लौटा, तो वह फूला...

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राखी की हिफाजत - रक्षाबंधन By Ankit Chaudhary શિવ

राखी की हिफाजत - रक्षाबंधनशुभ है दिन , शुभ है यह घड़िया,लो आज फिर एक बार आ गयाभाई – बहन के प्यार का उत्सव ।रक्षाबंधन की ढेरों बधाइयां । ~~~~~ अंकित चौध...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 15 By Sarvesh Saxena

रात के ग्यारह बज चुके थे, मंजेश जाकर एक कुर्सी पर बैठ गया तभी नर्स आकर बोली, “अरे सर क्या बात है, आप बहुत चुपचाप बैठे हैं.. अरे हां थक गए होंगे वैसे भी आपने सबसे ज्यादा मरीजों का ट...

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एक ही पार्ट - एक अनोखा रक्षाबंधन By Vishaal Kr

कहानी शुरू होता है छोटे से बच्चे से जिसकी उम्र लगभग 7-8 साल का है,और वो घर में अकेले टीवी पर कार्टून देख रहा है और वो अपनी दुनिया में मस्ती है। करीब 10से 15 मिनट के बाद उसका भाई आ...

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पापा की मुक्ति By Hansa Deep

कहानी पापा की मुक्ति डॉ. हंसा दीप घनन-घनन फोन की घंटी बजी और जैसे घर का सब कुछ स्वाहा हो गया। हँसता-चहकता वह घर करुण क्रन्दन से भर गया। पापा को ऑफिस में हार्ट अटैक का दौरा पड़ा...

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मन की बात - 3 - मेरे भैया By Kusum Agarwal

सावन का महीना था। दोपहर के 3:00 बजे थे। रिमझिम शुरू होने से मौसम सुहावना पर बाजार सुनसान हो गया था।एक साइबर कैफे में काम करने वाले तीनों युवक चाय मंगा पर चुस्कियां ले रहे थे। अंदर...

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वो भूली दास्तां, भाग-४ By Saroj Prajapati

आज चांदनी सुबह से ही खुश थी। हो भी क्यों ना कल ही रश्मि आज उससे मिलने जो आ रही थी। पूरे 25 दिन बाद! चांदनी ने सोच लिया था कि वह रश्मि को उस लड़के के बारे में जरूर बताएंगी । दोपहर...

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छलावा By Vijay Singh Tyagi

छलावा छलावा और भूत का नाम तो समाज में पुराने समय से ही चला आ रहा है। मैंने भी बचपन में अपने बुजुर्गों से छलावा का नाम खूब सुना था।...

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इस शहर में मनोहर By Priyadarshan Parag

इस शहर में मनोहर प्रियदर्शन फणीश्वरनाथ रेणु का हीरामन अब गांव में नहीं रहता, शहर चला आया है। बैलगाड़ी नहीं चलाता, कई दूसरे छोटे-छोटे काम करता है। उसका नाम इस कहानी में मनोहर है। एक...

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बाँकी By Deepak sharma

बाँकी अपने बांकपन और सौन्दर्य को लेकर बुआ बेशक शुरू से बहुत सतर्क रहती आयों थीं किन्तु जब से एक टी.वी. चैनल ने अपने पुरस्कार समारोह में उन्हें ‘बेस्ट भाभी’ की ट्रॉफ़ी थमायी थी, वह क...

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