hindi Best Poems Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Poems in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures. Th...Read More


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ये मेरा और तुम्हारा संवाद है #कृष्ण – 2 By Meenakshi Dikshit

1. तुम्हारे स्वर का सम्मोहन तुम्हारे अनुराग की तरह, तुम्हारे स्वर का सम्मोहन भी अद्भुत है, अपनत्व की सघनतम कोमलता, और सत्य की अकम्पित दृढ़ता का ये संयोग तुम्हारे पास ही हो...

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सिर्फ तुम.. - 3 By Sarita Sharma

सिर्फ तुम-3दर्द जब हद से बढ़ जाता है,चीखना चाहते है..चिल्लाना चाहते है. मन में जमी धूल एक पल में निकालना चाहते है...चाहते हैं कह दें सब हाल-ए-दिल,पर कुछ कह नहीं पाते..होंठ काँप उठत...

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मानवता के डगर पे By Shivraj Anand

प्यारे तुम मुझे भी अपना लो ।गुमराह हूं कोई राह बता दो।युं ना छोडो एकाकी अभिमन्यु सा रण पे।मुझे भी साथले चलो मानवताकी डगर पे।।वहां बडे सतवादी है।सत्य -अहिंसाकेपुजारी हैं।।वे रावण...

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सलाखों के पीछे By SHAMIM MERCHANT

आज बोहोत दिनों बाद, सुकून से सोऊंगा,आज बड़े दिनों बाद, अच्छी नींद आएगी।जेल में वो सुकून कहां?सलाखों के पीछे वो आराम कहां?एक ऐसी बात के लिए अंदर हुआ था,जिसमे कुसूर मेरा था भी, और नह...

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जय हो बकरी माई By Ajay Amitabh Suman

(१) जय हो बकरी माई बकरी को प्रतीक बनाकर मानव के छद्म व्यक्तित्व और बाह्यआडम्बर को परिभाषित करती हुई एक हास्य व्ययांगात्म्क कविता। सच कहता हूँ बात बराबर,सुन ले मेरे भाई,तुझसे...

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हम कल ही तो मिले थे By Niraj Bishwas

हम कल ही मिले हो ऐसे लगता है,फिर तुम्हे क्यों लगता है हमें अलग ,हो जाना चाहिए ,मुझे तो नही लगता,मैंने तो सोचा भी था कि हम दोनों ,साथ मिलकर दुनिया के एडवेंचर पर चलेंगेफिर आखिर मेरे...

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मे और मेरे अह्सास - 14 By Dr Darshita Babubhai Shah

मे और मेरे अह्सास भाग -14 जाम पे जाम पीए जा रहे हैं lशाम का नाम लिए जा रहे हैं ll ******************************************* *शाम है जाम है और क्या चाहिये**काम है दाम है और क्या च...

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लिख रहे वे नदी की अन्तर्कथाऐं, By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

गीात क्ृष्ण विहारी लाल पांडेय घाट पर बैठे हुए हैं जो सुरक्षित लिख रहे वे नदी की अन्तर्कथाऐं, आचमन तक के लिए उतरे नहीं जो...

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बेनाम शायरी - 2 By Er.Bhargav Joshi અડિયલ

"बेनाम शायरी"??? ?? ??? ?? ???एक जमाना था कि लोग अपनों पे जान छिड़कते थे।एक ज़माना है कि लोग अपनो की जान छिड़कते है।।??? ?? ??? ??...

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कविता By प्रतिभा चौहान

अधूरी कविताओं को अधूरी लालसाएं समझना…
जब सांस घुटती है बारुद के धुँएं में आवाजें कलेजा चीर देती हैं अपने खौफनाक रूप से सुनती है सेंध में चुपचाप सिसकियां तब मेरी कविता अधूरी...

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सीता: एक नारी - 7 - अंतिम भाग By Pratap Narayan Singh

सीता: एक नारी ॥ सप्तम सर्ग॥ निर्विघ्न सकुशल यज्ञ मर्यादा पुरुष का चल रहा किस प्राप्ति का है स्वप्न उनके हृदयतल में पल रहा ? अर्धांगिनी के स्थान पर अब तो सुशोभित मूर्ति है यह लोक-भी...

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कुछ ख्याल सुनोगे? By Gadhavi Prince

सब से पहले एक छोटिशी रचना पेश करता हूं।लडकिचाय के बागानों से निकलती खुशबू लगती हो;लडकी साडी पहना करो अच्छी लगती हो।आइने की नज़र ना लगे तुमको;क्या ईस लीये काली बिंदी करती हो।मेरे कान...

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ऐ जिंदगी By Yakshita Patel

नमस्कार मित्रो... हिन्दीमे कविता लिखने का ये मेरा पहला प्रयास है, इसमे कई सारी कमिया हो सकती है, शब्दो की गलतियां भी हो सकती है। आप इसे पढ़कर अपने प्रतिभाव ओर सूचन दे जिससे आगे मे...

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अर्धनिमिलिप्त By Er.Bhargav Joshi અડિયલ

"अर्धनिमिलिप्त"??? ?? ??? ?? ??? "राधिका"दुनिया के हर प्रेम का आधार राधिका।श्याम के जीवन का जनाधार राधिका।।आंसू...

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ग़ज़ल, कविता, शेर By Kota Rajdeep

प्रेम-जल बरशा बादल से, दरख़्त की हर पत्तियां सुनहरी हों चली हैं।अंगड़ाई लिए नई कोंपलें उठती हैं, जमीं कितनी ताज़ा हो चली हैं।___Rajdeep Kotaएक रोज़ शादाब शामों से दूर जाना होगा।ज़ि...

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From Bottom Of Heart - 4 By Jiya Vora

1.Kheriyat maat pucho hamari,Hum to sirf unhi ke khwaab mein rehte hai!Unse dur chahe kitne bhi ho fasle,Par hum to sirf unhi ke dil mein dhadak te hai! 2.थे हमारे रास्ते जुदा, पर...

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और ख़ामोशी बोल पड़ी (पुस्तक-समीक्षा ) By Pranava Bharti

और ख़ामोशी बोल पड़ी (पुस्तक-समीक्षा ) ------------------------------------ ख़ामोशी मनुष्य-मन के भीतर हर पल चलती है ,कभी तीव्र गति से तो कभी रुक-रुककर लेकिन भीतर होती हर...

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कविता - ‘ माँ ‘ By प्रतिभा चौहान

माँ... तुम बिन बिन इह लोक, जगत मर्माहत सूने अंचल और इन्द्रधनुष प्रेम,त्याग,क्षमा,दया की धाराधैर्य,कुशलता,धर्मपरायण जीवन रहा तुम्हारा, इठलाती, बलखाती गुण तेरे ही गाती माँन पड़ता क...

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कुछ अछांदस रचनाएं By Pranava Bharti

(कुछ अछांदस रचनाएं) 1-हाँडी...

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एक लड़की By अर्चना यादव

लगता था मुझ सा कोई दुखी नहीं आज देखा जो अंदर उसके झाँककरतो उस सा दुखी कोई है ही नहीं...कोई मिला उसे भी उस घड़ीदुनिया थी एक तरफ और वो थी अकेलीमोड़ था कुछ अजीब तब और ज़िन्दगी बनी थी...

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महारथी कर्णःभाग-१-(विषय प्रवेश एवं गुरु परशुराम द्वारा कर्ण का अभिशापित होना।) By Manish Kumar Singh

कौन कर्ण सा दानवीर है,इस अम्बर,धरा, रसातल में।सदा पार्थ से श्रेष्ठ रहा,वह धनुष-बाण या भुजबल में।।मधुसूदन सारथी न होते, माया अपनी ना दिखलाते।तो पार्थ जैसेे योद्धा भी,रण उससे जीत नही...

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कविताएं By Kishanlal Sharma

दिनचर्या--------------जैसेहवा,पानी,खाना जरूरी हैऐसे ही जरूरत बन गया हैअखबारइसके बिनारहा नही जाातासुबह उठते हीगेट की तरफ नज़रे टिकी रहती हैंअखबार वाले के इन्तजार मेजब तक अखब...

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कुछ पंक्ति By Narendra Rajput

"पंछी" हे ईश्वर क्या हे हमारी जिंदगानी,जेल में खाना जेल में पानी,जैसे मिली हो सजा ए कालापानी। इंसान हमें कैद करके रखते है,वजह पूछो तो बताते है, हम तुम्हे बहोत चाहते है,अगर यह चाहत...

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फितरत इंसान की By Ajay Amitabh Suman

मानव के स्वभाव को दिखाती हुई पाँच कविताएँ1.फितरत इंसान कीइन्सान की ये फितरत है अच्छी खराब भी,दिल भी है दर्द भी है दाँत भी दिमाग भी ।खुद को पहचानने की फुर्सत नहीं मगर,दुनिया समझाने...

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मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी - 4 By Monika kakodia

मैं एक लेखिका हूँ इस नाते ये मेरा दायित्व है कि लोगों की सोच पर पड़ी हुई गर्द को अपने अल्फ़ाज़ से साफ कर दूँ , हो सकता है ये गर्द पूरे तरीके से ना गिरे पर यक़ीनन कुछ तो साफ जरूर नज़र आए...

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वीर शिरोमणिः महाराणा प्रताप।(भाग-(४) By Manish Kumar Singh

जब दिनकर नभ में आते हैं,तम का प्रभाव तब मिटता है।या दिख जाये जब केहरि तो, भेड़ों का दल कब टिकता है।।जग में प्रताप ने जन्म लिया, मुगलों का मान मिटाने को।आजादी की बलि वेदी पर, अपना स...

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सफर.... By Krunalmore

हा, वक्त्त की जरुरत हैसफ़र ये ख़ूबसूरत हैहा, वक्त्त की जरुरत हैसंभल गया मे रूठ केखडा हुआ भी टूट केमर गया जो डर गयासफ़ल हुआ जो कर गयाअंजाने मोड पररास्तो को तोड करहार हार जोड़ करतू ज...

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प्रेमपूर्ण रचनाए दिलवाली कुड़ी की कलम से - 1 By Aziz

मेरी गुजराती रचनाओं को आप सबने मिलकर बहोत प्यार दिया है और बहोत सराहा है। उम्मीद है कि मेरी हिंदी कवितायें भी आपको पसंद आएगी और आप अपने प्रतिभाव भी जरूर से देंगे।।तो लीज...

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कुछ दूर तलक By Niyati Kapadia

कुछ दूर तलक आज यूं ही निकल पड़ी थीथोड़ी देर बाद में रुकीपिंछे मुड़कर देखा तो,वहां कोई नहीं था।कोई भी नहीं।कहा चले गए वो सब लोग?जिन्हे में जानती थीयहां तो कोई भी नहीं है!में थोड़ी द...

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DOMESTIC VIOLENCE ya RAPE By Akash Saxena "Ansh"

कोशिश कर रहा था कहानी लिखने की पर लिख न सका तो कविता का रूप दे दिया,पहले पढ़िए फिर आगे बढ़ते हैं।पढ़ने से पहले कहना चाहूंगा कि इस कविता का माध्यम सिर्फ आपके सामने अपने विचार प्रस्तुत...

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कविता एक नए अंदाज़ में By Writer Dhaval Raval

बेस्ट मोटीवेशन लेख अभी पढ़े और सबको पढ़ाए भी और हा ऐसे लेख कविता पढ़ने के लिए आज ही हमें मातृभारती पर फॉलो करें टिक टोकमे भी फॉलो करे और हा यू ट्यूब में भी फॉलो करे ताकि आप ऐसे ल...

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माँ सी मासी। By Minal Vegad

तु जब आया इस जहाँ मे तब, ए सुनके खुशी के आसुुं आए थे उनके। तेरे पास आने के लिए बड़ी उतावली हुुई थी, तेरी एक जलक के लिए व्याक...

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माँ एक गाथा: भाग : 5 By Ajay Amitabh Suman

दादी की ममता है न्यारी ,पोतो को लगती है प्यारी ,लंगड़ लंगड़ के भी चल चल के ,पोते पोती को हँसाती है ,धरती पे माँ कहलाती है। कितना बड़ा शिशु हो जाए ,फिर भी माँ का स्नेह वो पाए,तब तब वो...

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अभिव्यक्ति - काव्य संग्रह पार्ट- 1 By Rishi Sachdeva

"निःशब्द"शब्द को निःशब्द कर दूं, वाणी को विराम दूँ,,ह्रदय में है आज कुछ ऐसा करूँ की स्वयं को अभिमान दूँ ।।संवेदनाएं है मृतप्रायः आज उन्हें जाग्रत करूँ,, हूँ मैं मानसपुत्र ये स्वयं...

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रुहानियत (दास्ताँ - ए - रूह) का शायरनामा By nirav kruplani

रुहानियत (दास्ताँ - ए - रूह) का शायरनामा... 1. तुम्हारे होठों को छूकर जो गिला की रोशनी आई थी, इतना गुरूर तो अब भी है की, रोशन करने के लिए उन शिकवों को अंधेरा तो हम से ही मिला था।।।...

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आजाद की वीरगति। By Manish Kumar Singh

जिसने हर संभव यत्न किये, भारत आजाद कराने के।जो अधिकारी अमृत का था,विष उसे मिला पी जाने को।।अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु,रखता था जान हथेली पर।शिव के समान रणधीर वीर, पाया था नाम चन्द...

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ख्यालों का बगीचा By Chandni Sethi Kochar

काव्य संग्रह "ख्यालों का बगीचा" भूमिका "साहित्य समाज का दर्पण होता है।''यह कहावत तभी तक सार्थक है, जब तक साहित्य समाज को आईना दिखाने का काम करे। साहित्य समाज की अनेकों कुरूतियों, व...

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ये मेरा और तुम्हारा संवाद है #कृष्ण – 2 By Meenakshi Dikshit

1. तुम्हारे स्वर का सम्मोहन तुम्हारे अनुराग की तरह, तुम्हारे स्वर का सम्मोहन भी अद्भुत है, अपनत्व की सघनतम कोमलता, और सत्य की अकम्पित दृढ़ता का ये संयोग तुम्हारे पास ही हो...

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सिर्फ तुम.. - 3 By Sarita Sharma

सिर्फ तुम-3दर्द जब हद से बढ़ जाता है,चीखना चाहते है..चिल्लाना चाहते है. मन में जमी धूल एक पल में निकालना चाहते है...चाहते हैं कह दें सब हाल-ए-दिल,पर कुछ कह नहीं पाते..होंठ काँप उठत...

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मानवता के डगर पे By Shivraj Anand

प्यारे तुम मुझे भी अपना लो ।गुमराह हूं कोई राह बता दो।युं ना छोडो एकाकी अभिमन्यु सा रण पे।मुझे भी साथले चलो मानवताकी डगर पे।।वहां बडे सतवादी है।सत्य -अहिंसाकेपुजारी हैं।।वे रावण...

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सलाखों के पीछे By SHAMIM MERCHANT

आज बोहोत दिनों बाद, सुकून से सोऊंगा,आज बड़े दिनों बाद, अच्छी नींद आएगी।जेल में वो सुकून कहां?सलाखों के पीछे वो आराम कहां?एक ऐसी बात के लिए अंदर हुआ था,जिसमे कुसूर मेरा था भी, और नह...

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जय हो बकरी माई By Ajay Amitabh Suman

(१) जय हो बकरी माई बकरी को प्रतीक बनाकर मानव के छद्म व्यक्तित्व और बाह्यआडम्बर को परिभाषित करती हुई एक हास्य व्ययांगात्म्क कविता। सच कहता हूँ बात बराबर,सुन ले मेरे भाई,तुझसे...

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हम कल ही तो मिले थे By Niraj Bishwas

हम कल ही मिले हो ऐसे लगता है,फिर तुम्हे क्यों लगता है हमें अलग ,हो जाना चाहिए ,मुझे तो नही लगता,मैंने तो सोचा भी था कि हम दोनों ,साथ मिलकर दुनिया के एडवेंचर पर चलेंगेफिर आखिर मेरे...

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मे और मेरे अह्सास - 14 By Dr Darshita Babubhai Shah

मे और मेरे अह्सास भाग -14 जाम पे जाम पीए जा रहे हैं lशाम का नाम लिए जा रहे हैं ll ******************************************* *शाम है जाम है और क्या चाहिये**काम है दाम है और क्या च...

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लिख रहे वे नदी की अन्तर्कथाऐं, By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

गीात क्ृष्ण विहारी लाल पांडेय घाट पर बैठे हुए हैं जो सुरक्षित लिख रहे वे नदी की अन्तर्कथाऐं, आचमन तक के लिए उतरे नहीं जो...

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बेनाम शायरी - 2 By Er.Bhargav Joshi અડિયલ

"बेनाम शायरी"??? ?? ??? ?? ???एक जमाना था कि लोग अपनों पे जान छिड़कते थे।एक ज़माना है कि लोग अपनो की जान छिड़कते है।।??? ?? ??? ??...

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कविता By प्रतिभा चौहान

अधूरी कविताओं को अधूरी लालसाएं समझना…
जब सांस घुटती है बारुद के धुँएं में आवाजें कलेजा चीर देती हैं अपने खौफनाक रूप से सुनती है सेंध में चुपचाप सिसकियां तब मेरी कविता अधूरी...

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सीता: एक नारी - 7 - अंतिम भाग By Pratap Narayan Singh

सीता: एक नारी ॥ सप्तम सर्ग॥ निर्विघ्न सकुशल यज्ञ मर्यादा पुरुष का चल रहा किस प्राप्ति का है स्वप्न उनके हृदयतल में पल रहा ? अर्धांगिनी के स्थान पर अब तो सुशोभित मूर्ति है यह लोक-भी...

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कुछ ख्याल सुनोगे? By Gadhavi Prince

सब से पहले एक छोटिशी रचना पेश करता हूं।लडकिचाय के बागानों से निकलती खुशबू लगती हो;लडकी साडी पहना करो अच्छी लगती हो।आइने की नज़र ना लगे तुमको;क्या ईस लीये काली बिंदी करती हो।मेरे कान...

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ऐ जिंदगी By Yakshita Patel

नमस्कार मित्रो... हिन्दीमे कविता लिखने का ये मेरा पहला प्रयास है, इसमे कई सारी कमिया हो सकती है, शब्दो की गलतियां भी हो सकती है। आप इसे पढ़कर अपने प्रतिभाव ओर सूचन दे जिससे आगे मे...

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अर्धनिमिलिप्त By Er.Bhargav Joshi અડિયલ

"अर्धनिमिलिप्त"??? ?? ??? ?? ??? "राधिका"दुनिया के हर प्रेम का आधार राधिका।श्याम के जीवन का जनाधार राधिका।।आंसू...

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ग़ज़ल, कविता, शेर By Kota Rajdeep

प्रेम-जल बरशा बादल से, दरख़्त की हर पत्तियां सुनहरी हों चली हैं।अंगड़ाई लिए नई कोंपलें उठती हैं, जमीं कितनी ताज़ा हो चली हैं।___Rajdeep Kotaएक रोज़ शादाब शामों से दूर जाना होगा।ज़ि...

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From Bottom Of Heart - 4 By Jiya Vora

1.Kheriyat maat pucho hamari,Hum to sirf unhi ke khwaab mein rehte hai!Unse dur chahe kitne bhi ho fasle,Par hum to sirf unhi ke dil mein dhadak te hai! 2.थे हमारे रास्ते जुदा, पर...

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और ख़ामोशी बोल पड़ी (पुस्तक-समीक्षा ) By Pranava Bharti

और ख़ामोशी बोल पड़ी (पुस्तक-समीक्षा ) ------------------------------------ ख़ामोशी मनुष्य-मन के भीतर हर पल चलती है ,कभी तीव्र गति से तो कभी रुक-रुककर लेकिन भीतर होती हर...

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कविता - ‘ माँ ‘ By प्रतिभा चौहान

माँ... तुम बिन बिन इह लोक, जगत मर्माहत सूने अंचल और इन्द्रधनुष प्रेम,त्याग,क्षमा,दया की धाराधैर्य,कुशलता,धर्मपरायण जीवन रहा तुम्हारा, इठलाती, बलखाती गुण तेरे ही गाती माँन पड़ता क...

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कुछ अछांदस रचनाएं By Pranava Bharti

(कुछ अछांदस रचनाएं) 1-हाँडी...

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एक लड़की By अर्चना यादव

लगता था मुझ सा कोई दुखी नहीं आज देखा जो अंदर उसके झाँककरतो उस सा दुखी कोई है ही नहीं...कोई मिला उसे भी उस घड़ीदुनिया थी एक तरफ और वो थी अकेलीमोड़ था कुछ अजीब तब और ज़िन्दगी बनी थी...

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महारथी कर्णःभाग-१-(विषय प्रवेश एवं गुरु परशुराम द्वारा कर्ण का अभिशापित होना।) By Manish Kumar Singh

कौन कर्ण सा दानवीर है,इस अम्बर,धरा, रसातल में।सदा पार्थ से श्रेष्ठ रहा,वह धनुष-बाण या भुजबल में।।मधुसूदन सारथी न होते, माया अपनी ना दिखलाते।तो पार्थ जैसेे योद्धा भी,रण उससे जीत नही...

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कविताएं By Kishanlal Sharma

दिनचर्या--------------जैसेहवा,पानी,खाना जरूरी हैऐसे ही जरूरत बन गया हैअखबारइसके बिनारहा नही जाातासुबह उठते हीगेट की तरफ नज़रे टिकी रहती हैंअखबार वाले के इन्तजार मेजब तक अखब...

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कुछ पंक्ति By Narendra Rajput

"पंछी" हे ईश्वर क्या हे हमारी जिंदगानी,जेल में खाना जेल में पानी,जैसे मिली हो सजा ए कालापानी। इंसान हमें कैद करके रखते है,वजह पूछो तो बताते है, हम तुम्हे बहोत चाहते है,अगर यह चाहत...

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फितरत इंसान की By Ajay Amitabh Suman

मानव के स्वभाव को दिखाती हुई पाँच कविताएँ1.फितरत इंसान कीइन्सान की ये फितरत है अच्छी खराब भी,दिल भी है दर्द भी है दाँत भी दिमाग भी ।खुद को पहचानने की फुर्सत नहीं मगर,दुनिया समझाने...

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मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी - 4 By Monika kakodia

मैं एक लेखिका हूँ इस नाते ये मेरा दायित्व है कि लोगों की सोच पर पड़ी हुई गर्द को अपने अल्फ़ाज़ से साफ कर दूँ , हो सकता है ये गर्द पूरे तरीके से ना गिरे पर यक़ीनन कुछ तो साफ जरूर नज़र आए...

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वीर शिरोमणिः महाराणा प्रताप।(भाग-(४) By Manish Kumar Singh

जब दिनकर नभ में आते हैं,तम का प्रभाव तब मिटता है।या दिख जाये जब केहरि तो, भेड़ों का दल कब टिकता है।।जग में प्रताप ने जन्म लिया, मुगलों का मान मिटाने को।आजादी की बलि वेदी पर, अपना स...

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सफर.... By Krunalmore

हा, वक्त्त की जरुरत हैसफ़र ये ख़ूबसूरत हैहा, वक्त्त की जरुरत हैसंभल गया मे रूठ केखडा हुआ भी टूट केमर गया जो डर गयासफ़ल हुआ जो कर गयाअंजाने मोड पररास्तो को तोड करहार हार जोड़ करतू ज...

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प्रेमपूर्ण रचनाए दिलवाली कुड़ी की कलम से - 1 By Aziz

मेरी गुजराती रचनाओं को आप सबने मिलकर बहोत प्यार दिया है और बहोत सराहा है। उम्मीद है कि मेरी हिंदी कवितायें भी आपको पसंद आएगी और आप अपने प्रतिभाव भी जरूर से देंगे।।तो लीज...

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कुछ दूर तलक By Niyati Kapadia

कुछ दूर तलक आज यूं ही निकल पड़ी थीथोड़ी देर बाद में रुकीपिंछे मुड़कर देखा तो,वहां कोई नहीं था।कोई भी नहीं।कहा चले गए वो सब लोग?जिन्हे में जानती थीयहां तो कोई भी नहीं है!में थोड़ी द...

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कविता एक नए अंदाज़ में By Writer Dhaval Raval

बेस्ट मोटीवेशन लेख अभी पढ़े और सबको पढ़ाए भी और हा ऐसे लेख कविता पढ़ने के लिए आज ही हमें मातृभारती पर फॉलो करें टिक टोकमे भी फॉलो करे और हा यू ट्यूब में भी फॉलो करे ताकि आप ऐसे ल...

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माँ सी मासी। By Minal Vegad

तु जब आया इस जहाँ मे तब, ए सुनके खुशी के आसुुं आए थे उनके। तेरे पास आने के लिए बड़ी उतावली हुुई थी, तेरी एक जलक के लिए व्याक...

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माँ एक गाथा: भाग : 5 By Ajay Amitabh Suman

दादी की ममता है न्यारी ,पोतो को लगती है प्यारी ,लंगड़ लंगड़ के भी चल चल के ,पोते पोती को हँसाती है ,धरती पे माँ कहलाती है। कितना बड़ा शिशु हो जाए ,फिर भी माँ का स्नेह वो पाए,तब तब वो...

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अभिव्यक्ति - काव्य संग्रह पार्ट- 1 By Rishi Sachdeva

"निःशब्द"शब्द को निःशब्द कर दूं, वाणी को विराम दूँ,,ह्रदय में है आज कुछ ऐसा करूँ की स्वयं को अभिमान दूँ ।।संवेदनाएं है मृतप्रायः आज उन्हें जाग्रत करूँ,, हूँ मैं मानसपुत्र ये स्वयं...

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रुहानियत (दास्ताँ - ए - रूह) का शायरनामा By nirav kruplani

रुहानियत (दास्ताँ - ए - रूह) का शायरनामा... 1. तुम्हारे होठों को छूकर जो गिला की रोशनी आई थी, इतना गुरूर तो अब भी है की, रोशन करने के लिए उन शिकवों को अंधेरा तो हम से ही मिला था।।।...

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आजाद की वीरगति। By Manish Kumar Singh

जिसने हर संभव यत्न किये, भारत आजाद कराने के।जो अधिकारी अमृत का था,विष उसे मिला पी जाने को।।अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु,रखता था जान हथेली पर।शिव के समान रणधीर वीर, पाया था नाम चन्द...

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ख्यालों का बगीचा By Chandni Sethi Kochar

काव्य संग्रह "ख्यालों का बगीचा" भूमिका "साहित्य समाज का दर्पण होता है।''यह कहावत तभी तक सार्थक है, जब तक साहित्य समाज को आईना दिखाने का काम करे। साहित्य समाज की अनेकों कुरूतियों, व...

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