hindi Best Poems Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Poems in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures. Th...Read More


Languages
Categories
Featured Books

गुलदस्ता - 18 By Madhavi Marathe

                                                                                                     गुलदस्ता १८                 ११३ इतना सुंदर नीला आसमान जैसे छाता पृथ्वी का  बीच...

Read Free

में और मेरे अहसास - 91 By Dr Darshita Babubhai Shah

इश्क़, मुहब्बत, जरूरत, आदत जो भी कहो l बेपन्हा ओ बेइंतिहा सी चाहत जो भी कहो ll   गर थोड़ा वक्त मिले तो निकाला करो जरा l दीदार से मिल जाती है राहत जो भी कहो ll   तड़प और तर...

Read Free

The Truth Of The World By Pawan Kumar Saini

The Truth Of The World Two wordsI do not remember when by adding some words in reverse I started giving them the form of poetry with my understanding.Whatever I have seen, felt, fe...

Read Free

माँ की ममता अपार By बैरागी दिलीप दास

माँ की ममता अपार,प्रेम की भेंट निरंतर।माँ ही है सबसे प्यारी,जननी, जीवन दातारी।जन्म से लेकर बड़े होने तक,माँ का सहारा है बचपन का ठिकाना।वो ही थामती है हमारा हाथ,चाहे गर्भ में हो या...

Read Free

मन में आशा के दीप जलाए रखना By Dr Yogendra Kumar Pandey

दीपावली यानी दीपों का त्यौहार। घरों में साफ-सफाई और रंगाई- पोताई के बाद चमकते घर आंगन, तोरण और बंदनवार से सजे द्वार, विविध रंगों से बनाई जाती रंगोलियां,धन की देवी लक्ष्मी जी के स्व...

Read Free

मुझ मैं बस मैं हूं, मैं हूं !!! By Makvana Bhavek

लोग कहते हैं मैं बहुत कोशिश करता हूं  लोग कहते हैं कि मैं सचमुच अजीब लगता हूँ  आप जानते हैं कि मेरा इरादा कोई नुकसान पहुंचाने का नहीं है  मैं बस खुद जैसा बनने की कोशिश कर रहा हूं ल...

Read Free

काव्यजीत - 6 By Kavya Soni

1.ये जो दर्द मीठा सा हैबेचैन से अहसास हैबहके से मेरे जज़्बात हैखुमारी उसके इश्क की हैप्यार नैन की चाहत उसका दीदार हैजो नज़रों के सामने वो आ जाएदिल ये पाए करार हैक्या ये ही प्यार है...

Read Free

मेरे अनुभव मेरे ऐहसास By Devjit

️️ मेरे अनुभव मेरे एहसास सोचा है मैंने आज.क्यों न... कलम उठकर कर दूं इनका पर्दाफाश ️️बस इतना सा जान लो मुझको....दिल की क़लम से लिखते हैं अपने ज़ज्बात....चेहरे पर लिए फिरते हैं ढाई...

Read Free

मेरे शब्द मेरी पहचान - 19 By Shruti Sharma

---- कुछ कहना था जो रह गया ----* क्या कहना था पता नहीं पर कुछ कहना था जो रह गया ।समझना बाकी था अभी मेरा कुछ बताना था जो रह गया ।अभी तो जी भर के पढ़ा ही नहीं कुछ लिखना था जो रह गया...

Read Free

मेरे अल्फाज़ By Desai Pragati

1] प्रकृति प्रकृति को ख़रीद ने चला हे इंसान,जिसकी गोद में बड़ा हुवा उसीका भूल के अहेसान.कुदरत की दी गई चिज़ो पर हक जमाने चला हे,विपता के लिए फिर तैयार रहो जो होगा घमासान.कोई चाँद प...

Read Free

मुक्त हो जाना चाहा मैने By Suman Kumavat

हाँ.. मुक्त हो जाना चाहा मैने सारे स्नेह बंधनो से अपने ही बनाये तमाम घेरो से और तुम्हारे बनाये मर्यादा की चौखटों से मुक्त होकर उड़ जाना चाहती हूँ धुंए की तरह दूर आसमान के अनाम कोनो...

Read Free

कविता संग्रह By DINESH KUMAR KEER

1 बिछड़न......... जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा... ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा... तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ... के आते लम्हों में जीना भी इक सज़ा होगा... यही जगह...

Read Free

शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 7 By शैलेंद्र् बुधौलिया

    दोहा   होरी के हुड़दंग में सब यैसे हुरयात ऊँच नीच छोटे बड़े आपस में मिलजात   एक दूजे को परस्पर जब हम रंग लगात मूठा देत गुलाल कौ भेदभाव मिट जात   भुला ईर...

Read Free

हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे By शैलेंद्र् बुधौलिया

हमको यह मालूम नहीं था एक  दिन हम पछताएंगे ! हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे !!   मुझको यह मालूम नहीं था, ऐसे भी दिन आएंगे ! सच्चाई पर चलते चलते, एक दिन हम पछताएंगे !!   वह...

Read Free

घूंघट काये उघारें, ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें By शैलेंद्र् बुधौलिया

बुन्देली कविता    घूंघट काये  उघारें ! ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!  रूखे बार कजर बिन अखियां भीतर सें मन मारें!  ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!  कैसीं हो अनमनी तुम्हाई सूरत पै हैरानी ,...

Read Free

शब्द नहीं एहसास है - 2 By Shruti Sharma

----- आज भी इन्तेज़ार है -----जो सबको मिल जाता है अक्सर बचपन में उस दोस्त का मुझे आज भी इन्तेज़ार है। स्कूल में जो तुम्हारे साथ बैठेसाथ आए और साथ घर जाएजो जी भर तुमसे बातें करें और...

Read Free

गज़ल By pradeep Kumar Tripathi

हमारी ग़जल है हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएगा हमारा है जिक्र और हमारा रहेगाआप का जो आए तो मुकर जाईएगा हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएग...

Read Free

शैलेन्द्र बुधौलिया के दोहे By शैलेंद्र् बुधौलिया

भारत से लाहौर भई बस सेवा प्रारंभ ! ख़ुद खों ऊंचों जान के भओ  नवाज़ को दंभ !! 18 उत लाहौरी लाल सें  मिलो अटल को हाथ ! इतें कारगिल में करी घुसपैठिन ने घात !!    19 पुंज बटालिक कारगिल ह...

Read Free

साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है ! By शैलेंद्र् बुधौलिया

साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है !   किस साल बदला है मेरा हाल नहीं बदला है , सीता सागर या तरणताल नहीं बदला है ! दिल्ली- पंजाब में जाकर के कोई देखे , सिर्फ बदली है दुकान माल नहीं बदल...

Read Free

धीरू भाई अम्बानी By शैलेंद्र् बुधौलिया

                                               धीरू भाई अम्बानी को समर्पित धरती पे  धन के धुरंधर थे  धीरुभाई  धन धाम धरम  धरा पे  छोड़ के  गए!  धीरे-धीरे धीरज से धन जो कमाया था वो...

Read Free

हरिवंश राय बच्चन द्वारा अमिताभ बच्चन By शैलेंद्र् बुधौलिया

                                            हरिवंश राय बच्चन जी को समर्पित सुत को 'सरस्वती' ने स्वयं सिखाये शब्द शब्द-शब्द में स्वरूप सत्य का समा गये! पुण्य से 'प्रताप' के प्रवर्तक...

Read Free

गुलदस्ता - 18 By Madhavi Marathe

                                                                                                     गुलदस्ता १८                 ११३ इतना सुंदर नीला आसमान जैसे छाता पृथ्वी का  बीच...

Read Free

में और मेरे अहसास - 91 By Dr Darshita Babubhai Shah

इश्क़, मुहब्बत, जरूरत, आदत जो भी कहो l बेपन्हा ओ बेइंतिहा सी चाहत जो भी कहो ll   गर थोड़ा वक्त मिले तो निकाला करो जरा l दीदार से मिल जाती है राहत जो भी कहो ll   तड़प और तर...

Read Free

The Truth Of The World By Pawan Kumar Saini

The Truth Of The World Two wordsI do not remember when by adding some words in reverse I started giving them the form of poetry with my understanding.Whatever I have seen, felt, fe...

Read Free

माँ की ममता अपार By बैरागी दिलीप दास

माँ की ममता अपार,प्रेम की भेंट निरंतर।माँ ही है सबसे प्यारी,जननी, जीवन दातारी।जन्म से लेकर बड़े होने तक,माँ का सहारा है बचपन का ठिकाना।वो ही थामती है हमारा हाथ,चाहे गर्भ में हो या...

Read Free

मन में आशा के दीप जलाए रखना By Dr Yogendra Kumar Pandey

दीपावली यानी दीपों का त्यौहार। घरों में साफ-सफाई और रंगाई- पोताई के बाद चमकते घर आंगन, तोरण और बंदनवार से सजे द्वार, विविध रंगों से बनाई जाती रंगोलियां,धन की देवी लक्ष्मी जी के स्व...

Read Free

मुझ मैं बस मैं हूं, मैं हूं !!! By Makvana Bhavek

लोग कहते हैं मैं बहुत कोशिश करता हूं  लोग कहते हैं कि मैं सचमुच अजीब लगता हूँ  आप जानते हैं कि मेरा इरादा कोई नुकसान पहुंचाने का नहीं है  मैं बस खुद जैसा बनने की कोशिश कर रहा हूं ल...

Read Free

काव्यजीत - 6 By Kavya Soni

1.ये जो दर्द मीठा सा हैबेचैन से अहसास हैबहके से मेरे जज़्बात हैखुमारी उसके इश्क की हैप्यार नैन की चाहत उसका दीदार हैजो नज़रों के सामने वो आ जाएदिल ये पाए करार हैक्या ये ही प्यार है...

Read Free

मेरे अनुभव मेरे ऐहसास By Devjit

️️ मेरे अनुभव मेरे एहसास सोचा है मैंने आज.क्यों न... कलम उठकर कर दूं इनका पर्दाफाश ️️बस इतना सा जान लो मुझको....दिल की क़लम से लिखते हैं अपने ज़ज्बात....चेहरे पर लिए फिरते हैं ढाई...

Read Free

मेरे शब्द मेरी पहचान - 19 By Shruti Sharma

---- कुछ कहना था जो रह गया ----* क्या कहना था पता नहीं पर कुछ कहना था जो रह गया ।समझना बाकी था अभी मेरा कुछ बताना था जो रह गया ।अभी तो जी भर के पढ़ा ही नहीं कुछ लिखना था जो रह गया...

Read Free

मेरे अल्फाज़ By Desai Pragati

1] प्रकृति प्रकृति को ख़रीद ने चला हे इंसान,जिसकी गोद में बड़ा हुवा उसीका भूल के अहेसान.कुदरत की दी गई चिज़ो पर हक जमाने चला हे,विपता के लिए फिर तैयार रहो जो होगा घमासान.कोई चाँद प...

Read Free

मुक्त हो जाना चाहा मैने By Suman Kumavat

हाँ.. मुक्त हो जाना चाहा मैने सारे स्नेह बंधनो से अपने ही बनाये तमाम घेरो से और तुम्हारे बनाये मर्यादा की चौखटों से मुक्त होकर उड़ जाना चाहती हूँ धुंए की तरह दूर आसमान के अनाम कोनो...

Read Free

कविता संग्रह By DINESH KUMAR KEER

1 बिछड़न......... जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा... ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा... तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ... के आते लम्हों में जीना भी इक सज़ा होगा... यही जगह...

Read Free

शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 7 By शैलेंद्र् बुधौलिया

    दोहा   होरी के हुड़दंग में सब यैसे हुरयात ऊँच नीच छोटे बड़े आपस में मिलजात   एक दूजे को परस्पर जब हम रंग लगात मूठा देत गुलाल कौ भेदभाव मिट जात   भुला ईर...

Read Free

हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे By शैलेंद्र् बुधौलिया

हमको यह मालूम नहीं था एक  दिन हम पछताएंगे ! हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे !!   मुझको यह मालूम नहीं था, ऐसे भी दिन आएंगे ! सच्चाई पर चलते चलते, एक दिन हम पछताएंगे !!   वह...

Read Free

घूंघट काये उघारें, ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें By शैलेंद्र् बुधौलिया

बुन्देली कविता    घूंघट काये  उघारें ! ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!  रूखे बार कजर बिन अखियां भीतर सें मन मारें!  ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!  कैसीं हो अनमनी तुम्हाई सूरत पै हैरानी ,...

Read Free

शब्द नहीं एहसास है - 2 By Shruti Sharma

----- आज भी इन्तेज़ार है -----जो सबको मिल जाता है अक्सर बचपन में उस दोस्त का मुझे आज भी इन्तेज़ार है। स्कूल में जो तुम्हारे साथ बैठेसाथ आए और साथ घर जाएजो जी भर तुमसे बातें करें और...

Read Free

गज़ल By pradeep Kumar Tripathi

हमारी ग़जल है हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएगा हमारा है जिक्र और हमारा रहेगाआप का जो आए तो मुकर जाईएगा हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएग...

Read Free

शैलेन्द्र बुधौलिया के दोहे By शैलेंद्र् बुधौलिया

भारत से लाहौर भई बस सेवा प्रारंभ ! ख़ुद खों ऊंचों जान के भओ  नवाज़ को दंभ !! 18 उत लाहौरी लाल सें  मिलो अटल को हाथ ! इतें कारगिल में करी घुसपैठिन ने घात !!    19 पुंज बटालिक कारगिल ह...

Read Free

साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है ! By शैलेंद्र् बुधौलिया

साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है !   किस साल बदला है मेरा हाल नहीं बदला है , सीता सागर या तरणताल नहीं बदला है ! दिल्ली- पंजाब में जाकर के कोई देखे , सिर्फ बदली है दुकान माल नहीं बदल...

Read Free

धीरू भाई अम्बानी By शैलेंद्र् बुधौलिया

                                               धीरू भाई अम्बानी को समर्पित धरती पे  धन के धुरंधर थे  धीरुभाई  धन धाम धरम  धरा पे  छोड़ के  गए!  धीरे-धीरे धीरज से धन जो कमाया था वो...

Read Free

हरिवंश राय बच्चन द्वारा अमिताभ बच्चन By शैलेंद्र् बुधौलिया

                                            हरिवंश राय बच्चन जी को समर्पित सुत को 'सरस्वती' ने स्वयं सिखाये शब्द शब्द-शब्द में स्वरूप सत्य का समा गये! पुण्य से 'प्रताप' के प्रवर्तक...

Read Free