hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • मेरा विश्वास

    मेरी सतर्कता पूरे क्षेत्र के लिए तब वरदान बन गयी जब राम मंदिर व बाबरी मस्जिद ढां...

  • दूसरा खाता

    हम अपने जीवन में अपना बैंक खाता भरने में इतना मशगूल हो गए हैं कि अपने दूसरे खात...

  • सफाई वाला

    एक दिन एक ड्राईवर रोते हुए सूरज के पास काम मांगने आया, पहले तो सूरज ने मना कर दि...

जानकी By Neetu Singh Renuka

यह सदियों से होता आया है कि निर्मूल लाँछनों का दंश स्त्रियों को ही झेलना पड़ता है। किसी और पुरूष की उद्दंडता के कारण पग-पग पर सतर्कता से चलने वाली स्त्री को भी कब और कैसे समाज से घो...

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अंजाम-ए-नजीर By Saadat Hasan Manto

अंजाम-ए-नजीर (सआदत हसन मंटो)

बटवारे के बाद जब फ़िर्का-वाराना फ़सादात शिद्दत इख़्तियार कर गए और जगह जगह हिंदूओं और मुस्लमानों के ख़ून से ज़मीन रंगी जाने लगी तो नसीम अख़तर जो दिल्ली की...

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मेरा विश्वास By Ved Prakash Tyagi

मेरी सतर्कता पूरे क्षेत्र के लिए तब वरदान बन गयी जब राम मंदिर व बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के बाद पूरे क्षेत्र में जगह जगह हिन्दू मुस्लिम दंगे हो रहे थे।

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बारिश वाला पास्ता By Sangeeta Gandhi

आज के दौर में एक कामकाजी स्त्री व उसकी बेटी के एक दिन की संवेदना की कहानी। कामकाजी स्त्रियों व उनके बच्चों को किस तरह के उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ता है ।कौन कौन सी तकलीफें आती हैं ।उन...

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मीरा भक्तिन By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी मीरा भक्तिन हमारे समाज की उस संस्कृति से अवगत कराती है, जहां आज भी सोलहवीं शताब्दी की धारणाएँ प्रचलित है । समय के प्रवाह के साथ युग बदल चुका है, किंतु यहाँँ पर पुरुष...

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फुल-रानी By Manish Gode

फुलरानी... हमारे जीवन में खुशीयाँ लानेवाली, सविता की सूनी गोद भरने वाली...! उसे ‘माँ ‘ बनाने वाली, हमारे सपनों को पुरा करने वाली... हमारी... फुलरानी...!!!

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दूसरा खाता By Neetu Singh Renuka

हम अपने जीवन में अपना बैंक खाता भरने में इतना मशगूल हो गए हैं कि अपने दूसरे खाते की ओर ध्यान ही नहीं जाता है। मगर नत्थूराम नहीं भूले हैं। क्या है ये दूसरा खाता

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सफाई वाला By Ved Prakash Tyagi

एक दिन एक ड्राईवर रोते हुए सूरज के पास काम मांगने आया, पहले तो सूरज ने मना कर दिया लेकिन वह व्यक्ति सूरज के पैरों में गिर कर गिड्गिड़ाने लगा। जो व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का हो, दया भ...

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अपना घर By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी मीरा भक्तिन हमारे समाज की उस संस्कृति से अवगत कराती है, जहां आज भी सोलहवीं शताब्दी की धारणाएं प्रचलित हैं । समय के प्रवाह के साथ युग बदल चुका है, किंतु यहां पर पुर...

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फाइल By Neetu Singh Renuka

हमारे यहाँ भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मज़बूत हैं कि इसने पूरे देश को खोखला कर दिया है। ऐसे में सौम्या हैरान है कि एक छोटी सी पहल जो होने जा रही थी तो भ्रष्टाचारियों ने बचन की क्या तरकी...

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लालपान की बेगम By Phanishwar Nath Renu

लालपान की बेगम फणीश्वरनाथ रेणु 'क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?' बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू...

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पहचान By Rajesh Zarpure

पहचान राजेश झरपुरे जब सुरेश मास्साब बस में चढ़े तो ड्राइविंग सीट पर मरियल सा आदमी बैठा दिखा। हालाँकि रोज़ कोई और उस सीट पर बैठा होता। वे उसे अच्छी तरह जानते थे। उसका नाम भूरा है। वह...

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पार्वती चाची By Neerja Dewedy

पार्वती चाची नीरजा द्रिवेदी पार्वती चाची नई नवेली दुल्हन के स्वागत की तैयारी मे व्यस्त थीँ. कितने चाव से अपने मझले बेटे के लिये रिश्ता पक्का किया था. पहली बार इस गाँव मे एक ब...

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जितना छोड़ोगे उतना जोड़ोगे By Ved Prakash Tyagi

लालाजी की समझ में बात आ गयी, पंडित जी वापस गंगा घाट चले गए और लालाजी सब कुछ दान करके भगत बन गए जिनको लोगों ने नरसी भगत कहा, वही नरसी भगत जिसके पास अपनी बहन के यहाँ भात देने के लिए...

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वस्तुगत By Dr kavita Tyagi

वस्तुगत कहानी में एक बेटी द्वारा उन रूढ़ियों पर प्रखर प्रहार किया गया है, जो संस्कृति एवं परंपरा की आड़ लेकर उसको अस्तित्वहीन बनाती हैं । वस्तुगत की बेटी कन्यादान जैसी देशव्यापी...

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रसप्रिया By Phanishwar Nath Renu

रसप्रिया - (फणीश्वरनाथ रेणु)

धूल में पड़े कीमती पत्थर को देख कर जौहरी की आँखों में एक नई झलक झिलमिला गई - अपरूप-रूप!

चरवाहा मोहना छौंड़ा को देखते ही पँचकौड़ी मिरदंगिया की मुँ...

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लिफ्ट By Neetu Singh Renuka

हमने अक्सर समाज में और परिवारों में पीढ़ियों का अंतर देखा है। हमने पाया है कि कैसे उनकी आवश्यकताओं और अपेक्षाओं में कितना गहरा अंतर होता है। आइए एक लिफ्ट में खड़े एक ही कार्यलय की वि...

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काश वो दिन वापस आ जाते........ By zeba Praveen

अनसुनी कहानी !
ये एक काल्पनिक कथा है और इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है,इस कहानी का उदेश्य किसी के अहसासों को ठेस पहुँचाना नहीं है बल्कि मैं अपनी काल्पनिक रचनाओं को लोगो त...

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पोली आंटी की बगिया By maheshwar sharma

और डेनियल ने क्रिसमस मनाया


काफी दिन हो गए थे डेनियल स्कूल नहीं आ रहा था। डेनियल स्कूल क्यों नहीं आ रहा है इस बात की चिंता किसी को नहीं थी। न टीचर्स को न क्लास के दूसरे बच्चों...

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प्रभात की ऊषा By Ved Prakash Tyagi

शाम को जब ऊषा कार्यालय से वापस आई तो उसने प्रभात की माँ को अपने घर में बैठा पाया। घर में घुसते ही प्रभात की माँ ने ऊषा को अपने पास बिठा लिया एवं कहने लगी, बेटी! मैंने तेरे जैसी त...

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मुआवजा By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी मुआवजा में रूपा और प्रेयस की प्रेम कहानी के माध्यम से विकृत मानसिकता वाले धनाढ्य लोगों की संवेदनहीनता और कपटाचरण को प्रकाशित किया गया है, जिसमें एक निम्न मध्यवर्गी...

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मारे गये गुलफाम By Phanishwar Nath Renu

मारे गये गुलफाम एक कहानी है जिसके रचायिता फणीश्वर नाथ रेणु हैं। इसपर हिन्दी में एक फिल्म तीसरी कसम बनाई गई है

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तंग गलियों से भी दिखता है आकाश By Bharatiya Jnanpith

तंग गलियोंं से भी दिखता है आकाश करीब दो दशक पहले यादवेन्द्र जी से परिचय विज्ञान लेखक के रूप में हुआ था और इस रूप में भी मैं उनका मुरीद था। फिर पिछले कुछ वर्षों में उनके एक नये रूप...

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नि:संतान By Neetu Singh Renuka

मनुष्य होने के नाते हमें जानवरों से अधिक संवेदनशील एवं ममतामयी होना चाहिए। मगर होता बिल्कुल उल्टा है। जितनी क्रूरता मनुष्य करता है यदि जानवर आपका किया आपको लौटाए तो

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और वो शहीद हो गयी By Ved Prakash Tyagi

आरती के मन में अब एक बलिदान की भावना भर गयी थी जिससे उसके अंदर का भाय समाप्त हो गया था अतः वह वहाँ से बाहर निकाल आई। बाहर बैठे पान वाले और उसके दो आदमियों ने उसे पकड़ने की कोशिश की...

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असमंजस By Dr kavita Tyagi

संविधान द्वारा बेटे-बेटी को समान अधिकार देने के बावजूद हमारे समाज एवं परिवार में बेटियों को पुत्र-सम-भाव से स्वीकार्यता नहीं मिल सकी है । पैतृक संपत्ति के विषय में कहें, तो वे व्य...

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पुरानी कहानी By Phanishwar Nath Renu

पुरानी कहानी: नया पाठ फणीश्वरनाथ रेणु बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन - तूफान - उठा! हिमालय की किसी चोटी का बर्फ पिघला और तराई के घनघोर जंगलों के ऊपर काले-काले बादल मँडराने लगे। दिशाएँ...

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मुझे क्यूँ डाँटा By Neetu Singh Renuka

अक्सर होता है और मनोविज्ञान शास्त्र में भी बताया गया है कि हम किसी और का गुस्सा किसी और पर उतार देते हैं। इसे Emotional Contagion कहते हैं। एक बानगी देखिए।

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जिदाल का गधा By Ved Prakash Tyagi

शायद दहशत के कारण उस व्यक्ति की हृदय गति रुक गयी थी जो समय रहते गधे की दुलत्ती लगने के कारण दोबारा शुरू हो गयी और लोगों को लगा जिदाल बाबा व गर्दभ महाराज की कृपा से एक मृत व्यक्ति ज...

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प्रपंच By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी प्रपंच उन व्यवहारों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, जो परिवर्तित परिस्थिति में पूर्णतः अप्रासंगिक हो गए हैं । इतना ही नहीं, समय के सतत प्रवाह में जिनकी मूल संवेदना कहीं...

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नैना जोगिन By Phanishwar Nath Renu

रतनी ने मुझे देखा तो घुटने से ऊपर खोंसी हुई साड़ी को कोंचा की जल्दी से नीचे गिरा लिया। सदा साइरेन की तरह गूँजनेवाली उसकी आवाज कंठनली में ही अटक गई। साड़ी की कोंचा नीचे गिराने की...

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मेरा गगन By Neetu Singh Renuka

अक्सर हर लेखक पाठक और प्रशंसा का भूखा होता है। वह लिखता ही इसलिए है कि कोई उसे पढ़े और पढ़कर उसके कौशल की प्रशंसा करे। मगर जब लाख कोशिशों के बाद भी कोई न पढ़े तो क्या हाल होता है

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भ्रूण हत्या का श्राप By Ved Prakash Tyagi

चौधरी गुलाब सिंह ने जब सुना कि पूरे लाड़ली गाँव में कोई लड़की नहीं जन्मी तो उन्होने अपने पाँव पीछे हटा लिए एवं कहने लगे, भाई सूबे सिंह! अब तुम हो सोचो, जिस गाँव में कई सालों से कोई...

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मिश्रा जी का मंच-मोह By Dr kavita Tyagi

परंपरागत पितृसत्तात्मक समाज स्त्रियों को अनेक सीमाओं-बंधनों में जकड़ कर अपना प्रभुत्व स्थापित करके अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए युगों-युगों से स्त्री को बलि का बकरा बनाता आया ह...

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गुलाबो By Neetu Singh Renuka

इस महानगरीय जीवन ने हम में बची थोड़ी-बहुत संवेदना को भी सोख लिया। जीवन की रफ्तार को इतना तेज़ और समयबद्ध कर दिया है कि हम ज़रा ठहर कर किसी और के आँसूँ भी पोंछ नहीं सकते।

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ठेस By Phanishwar Nath Renu

खेती-बारी के समय, गाँव के किसान सिरचन की गिनती नहीं करते. लोग उसको बेकार ही नहीं, बेगार समझते हैं. इसलिए, खेत-खलिहान की मजदूरी के लिए कोई नहीं बुलाने जाता है सिरचन को. क्या होगा,...

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लौट आओ काका By Dr Narendra Shukl

This is a story of a grandson who loves his grandpa deeply but somehow always tried to avoid to visit his villiage where his grandpa resides who always remembered him by saying bha...

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अनुत्तरित प्रश्न By S Sinha

एक भारतीय लड़के के विदेशी लड़की से प्रेम की कहानी है। वह फ्रांस में पढ़ाई के लिए जाता है और एक फ्रेंच लड़की से प्रेम करने लगता है। दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते हैं और शादी के लिए तैया...

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नैंसी के नौ साल By Dr kavita Tyagi

हमारे समाज में आज भी बहुत से लोग पुरुषों के वर्चस्व को बनाए रखने की मानसिकता से मुक्त नहीं हुए हैं । ऐसे लोग पवित्रतावादी आड़ लेकर मातृशक्ति की प्रकृति और संवेदना का कितना दमन करते...

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एक आदिम रात्रि की महक By Phanishwar Nath Renu

एक आदिम रात्रि की महक (फणीश्वरनाथ रेणु)

फणीश्वर नाथ रेणु की छोटी कहानियों के संग्रहो मे से प्रमुख रचना है और इस कहानी का नाम है ’आदिम रात्री की महक’। यह मानव करुणा का एक बढ़िया...

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सुंदरता देखनेवाले की आँखों में होती है By Neetu Singh Renuka

जहाँ एक ओर हम बचपन के खेल खिलौने भूल जाते हैं वहीं बचपन में सीखे कुछ पाठ हमेशा याद रह जाते हैं, जो हमारे व्यक्तित्व को निखारने में मदद करते हैं, जैसे...

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मौत की झांकी By Dharm

मौत की झांकी कहानी एक ऐसे समाज पर आधारित है जहाँ हम सबकुछ जानते हुए भी वो काम नहीं करते जो हमारा कर्तव्य होता है. जैसे एम्बुलेंस को रास्ता देना. इस कहानी में ऐसा ही कुछ बताया गया ह...

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नींबू पानी By Ved Prakash Tyagi

लेकिन मुझे तो शिकायत है। चेयरमेन गुप्ता ने कहा, मैं आपको पाँच लाख रुपया महीना देता हूँ और आप पूरे दिन हस्पताल का एक भी कमरा नहीं भरते, न ही कोई कीमती टेस्ट लिखते हैं, बस नींबू प...

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लाइसेंस की लाठी By Dr kavita Tyagi

वर्तमान समय में प्रायः सरकारी संस्थाओं में प्रमाणपत्रों का महत्व इतना अधिक बढ़ गया है कि जिस योग्यता के लिए प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार के चलते कभी-कभ...

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एक इच्छा एक उपहार By Neetu Singh Renuka

अक्सर बड़ी-बड़ी चीज़ों के पीछे-पीछे भागते-भागते हम छोटी-छोटी बातों की खुशियों से बहुत दूर चले जाते हैं। खुशियों में भी इतनी मिलावट हो गई है कि सच्ची-झूठी खुशी का पता ही नहीं चलता।

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टारगेट By Dharm

आज का समय पूरी तरह व्यवसायिक है. जहाँ हम अपने फायदे के लिए दूसरे को नुकसान पहुँचाने से भी पीछे नहीं हटते. क्योंकि हमें अपना फायदा चाहिए. टारगेट कहानी इसी बिषय पर आधारित है.

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कप्तान साहिब By Dr Narendra Shukl

This story is based on a honest police officer who has sacrificed his own son to save. enemy s son during British Rule in India... a very touching story... indeed...

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मरता हुआ शहर By Ved Prakash Tyagi

डॉ पांडे राउंड पर आए तो मैं विचारों से बाहर निकला। पत्नी को चैक करने के बाद डॉ पांडे पूछने लगे कि जब मैं आया, आप कुछ सोच रहे थे मैंने कहा, हाँ! डॉ साहब, मैं सोच रहा था कि कैसे एक...

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बस्ती में संस्कार समारोह By Dr kavita Tyagi

वर्तमान समय की शहरी संस्कृति में पल्लवित पुष्पित गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से आर्थिक विषमता जनित विसंगति को आधार बनाकर इस कहानी का सृजन किया गया है । बस्ती में संस्कार समारोह...

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जानकी By Neetu Singh Renuka

यह सदियों से होता आया है कि निर्मूल लाँछनों का दंश स्त्रियों को ही झेलना पड़ता है। किसी और पुरूष की उद्दंडता के कारण पग-पग पर सतर्कता से चलने वाली स्त्री को भी कब और कैसे समाज से घो...

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अंजाम-ए-नजीर By Saadat Hasan Manto

अंजाम-ए-नजीर (सआदत हसन मंटो)

बटवारे के बाद जब फ़िर्का-वाराना फ़सादात शिद्दत इख़्तियार कर गए और जगह जगह हिंदूओं और मुस्लमानों के ख़ून से ज़मीन रंगी जाने लगी तो नसीम अख़तर जो दिल्ली की...

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मेरा विश्वास By Ved Prakash Tyagi

मेरी सतर्कता पूरे क्षेत्र के लिए तब वरदान बन गयी जब राम मंदिर व बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के बाद पूरे क्षेत्र में जगह जगह हिन्दू मुस्लिम दंगे हो रहे थे।

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बारिश वाला पास्ता By Sangeeta Gandhi

आज के दौर में एक कामकाजी स्त्री व उसकी बेटी के एक दिन की संवेदना की कहानी। कामकाजी स्त्रियों व उनके बच्चों को किस तरह के उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ता है ।कौन कौन सी तकलीफें आती हैं ।उन...

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मीरा भक्तिन By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी मीरा भक्तिन हमारे समाज की उस संस्कृति से अवगत कराती है, जहां आज भी सोलहवीं शताब्दी की धारणाएँ प्रचलित है । समय के प्रवाह के साथ युग बदल चुका है, किंतु यहाँँ पर पुरुष...

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फुल-रानी By Manish Gode

फुलरानी... हमारे जीवन में खुशीयाँ लानेवाली, सविता की सूनी गोद भरने वाली...! उसे ‘माँ ‘ बनाने वाली, हमारे सपनों को पुरा करने वाली... हमारी... फुलरानी...!!!

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दूसरा खाता By Neetu Singh Renuka

हम अपने जीवन में अपना बैंक खाता भरने में इतना मशगूल हो गए हैं कि अपने दूसरे खाते की ओर ध्यान ही नहीं जाता है। मगर नत्थूराम नहीं भूले हैं। क्या है ये दूसरा खाता

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सफाई वाला By Ved Prakash Tyagi

एक दिन एक ड्राईवर रोते हुए सूरज के पास काम मांगने आया, पहले तो सूरज ने मना कर दिया लेकिन वह व्यक्ति सूरज के पैरों में गिर कर गिड्गिड़ाने लगा। जो व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का हो, दया भ...

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अपना घर By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी मीरा भक्तिन हमारे समाज की उस संस्कृति से अवगत कराती है, जहां आज भी सोलहवीं शताब्दी की धारणाएं प्रचलित हैं । समय के प्रवाह के साथ युग बदल चुका है, किंतु यहां पर पुर...

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फाइल By Neetu Singh Renuka

हमारे यहाँ भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मज़बूत हैं कि इसने पूरे देश को खोखला कर दिया है। ऐसे में सौम्या हैरान है कि एक छोटी सी पहल जो होने जा रही थी तो भ्रष्टाचारियों ने बचन की क्या तरकी...

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लालपान की बेगम By Phanishwar Nath Renu

लालपान की बेगम फणीश्वरनाथ रेणु 'क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?' बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू...

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पहचान By Rajesh Zarpure

पहचान राजेश झरपुरे जब सुरेश मास्साब बस में चढ़े तो ड्राइविंग सीट पर मरियल सा आदमी बैठा दिखा। हालाँकि रोज़ कोई और उस सीट पर बैठा होता। वे उसे अच्छी तरह जानते थे। उसका नाम भूरा है। वह...

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पार्वती चाची By Neerja Dewedy

पार्वती चाची नीरजा द्रिवेदी पार्वती चाची नई नवेली दुल्हन के स्वागत की तैयारी मे व्यस्त थीँ. कितने चाव से अपने मझले बेटे के लिये रिश्ता पक्का किया था. पहली बार इस गाँव मे एक ब...

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जितना छोड़ोगे उतना जोड़ोगे By Ved Prakash Tyagi

लालाजी की समझ में बात आ गयी, पंडित जी वापस गंगा घाट चले गए और लालाजी सब कुछ दान करके भगत बन गए जिनको लोगों ने नरसी भगत कहा, वही नरसी भगत जिसके पास अपनी बहन के यहाँ भात देने के लिए...

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वस्तुगत By Dr kavita Tyagi

वस्तुगत कहानी में एक बेटी द्वारा उन रूढ़ियों पर प्रखर प्रहार किया गया है, जो संस्कृति एवं परंपरा की आड़ लेकर उसको अस्तित्वहीन बनाती हैं । वस्तुगत की बेटी कन्यादान जैसी देशव्यापी...

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रसप्रिया By Phanishwar Nath Renu

रसप्रिया - (फणीश्वरनाथ रेणु)

धूल में पड़े कीमती पत्थर को देख कर जौहरी की आँखों में एक नई झलक झिलमिला गई - अपरूप-रूप!

चरवाहा मोहना छौंड़ा को देखते ही पँचकौड़ी मिरदंगिया की मुँ...

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लिफ्ट By Neetu Singh Renuka

हमने अक्सर समाज में और परिवारों में पीढ़ियों का अंतर देखा है। हमने पाया है कि कैसे उनकी आवश्यकताओं और अपेक्षाओं में कितना गहरा अंतर होता है। आइए एक लिफ्ट में खड़े एक ही कार्यलय की वि...

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काश वो दिन वापस आ जाते........ By zeba Praveen

अनसुनी कहानी !
ये एक काल्पनिक कथा है और इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है,इस कहानी का उदेश्य किसी के अहसासों को ठेस पहुँचाना नहीं है बल्कि मैं अपनी काल्पनिक रचनाओं को लोगो त...

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पोली आंटी की बगिया By maheshwar sharma

और डेनियल ने क्रिसमस मनाया


काफी दिन हो गए थे डेनियल स्कूल नहीं आ रहा था। डेनियल स्कूल क्यों नहीं आ रहा है इस बात की चिंता किसी को नहीं थी। न टीचर्स को न क्लास के दूसरे बच्चों...

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प्रभात की ऊषा By Ved Prakash Tyagi

शाम को जब ऊषा कार्यालय से वापस आई तो उसने प्रभात की माँ को अपने घर में बैठा पाया। घर में घुसते ही प्रभात की माँ ने ऊषा को अपने पास बिठा लिया एवं कहने लगी, बेटी! मैंने तेरे जैसी त...

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मुआवजा By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी मुआवजा में रूपा और प्रेयस की प्रेम कहानी के माध्यम से विकृत मानसिकता वाले धनाढ्य लोगों की संवेदनहीनता और कपटाचरण को प्रकाशित किया गया है, जिसमें एक निम्न मध्यवर्गी...

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मारे गये गुलफाम By Phanishwar Nath Renu

मारे गये गुलफाम एक कहानी है जिसके रचायिता फणीश्वर नाथ रेणु हैं। इसपर हिन्दी में एक फिल्म तीसरी कसम बनाई गई है

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तंग गलियों से भी दिखता है आकाश By Bharatiya Jnanpith

तंग गलियोंं से भी दिखता है आकाश करीब दो दशक पहले यादवेन्द्र जी से परिचय विज्ञान लेखक के रूप में हुआ था और इस रूप में भी मैं उनका मुरीद था। फिर पिछले कुछ वर्षों में उनके एक नये रूप...

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नि:संतान By Neetu Singh Renuka

मनुष्य होने के नाते हमें जानवरों से अधिक संवेदनशील एवं ममतामयी होना चाहिए। मगर होता बिल्कुल उल्टा है। जितनी क्रूरता मनुष्य करता है यदि जानवर आपका किया आपको लौटाए तो

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और वो शहीद हो गयी By Ved Prakash Tyagi

आरती के मन में अब एक बलिदान की भावना भर गयी थी जिससे उसके अंदर का भाय समाप्त हो गया था अतः वह वहाँ से बाहर निकाल आई। बाहर बैठे पान वाले और उसके दो आदमियों ने उसे पकड़ने की कोशिश की...

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असमंजस By Dr kavita Tyagi

संविधान द्वारा बेटे-बेटी को समान अधिकार देने के बावजूद हमारे समाज एवं परिवार में बेटियों को पुत्र-सम-भाव से स्वीकार्यता नहीं मिल सकी है । पैतृक संपत्ति के विषय में कहें, तो वे व्य...

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पुरानी कहानी By Phanishwar Nath Renu

पुरानी कहानी: नया पाठ फणीश्वरनाथ रेणु बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन - तूफान - उठा! हिमालय की किसी चोटी का बर्फ पिघला और तराई के घनघोर जंगलों के ऊपर काले-काले बादल मँडराने लगे। दिशाएँ...

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मुझे क्यूँ डाँटा By Neetu Singh Renuka

अक्सर होता है और मनोविज्ञान शास्त्र में भी बताया गया है कि हम किसी और का गुस्सा किसी और पर उतार देते हैं। इसे Emotional Contagion कहते हैं। एक बानगी देखिए।

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जिदाल का गधा By Ved Prakash Tyagi

शायद दहशत के कारण उस व्यक्ति की हृदय गति रुक गयी थी जो समय रहते गधे की दुलत्ती लगने के कारण दोबारा शुरू हो गयी और लोगों को लगा जिदाल बाबा व गर्दभ महाराज की कृपा से एक मृत व्यक्ति ज...

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प्रपंच By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी प्रपंच उन व्यवहारों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, जो परिवर्तित परिस्थिति में पूर्णतः अप्रासंगिक हो गए हैं । इतना ही नहीं, समय के सतत प्रवाह में जिनकी मूल संवेदना कहीं...

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नैना जोगिन By Phanishwar Nath Renu

रतनी ने मुझे देखा तो घुटने से ऊपर खोंसी हुई साड़ी को कोंचा की जल्दी से नीचे गिरा लिया। सदा साइरेन की तरह गूँजनेवाली उसकी आवाज कंठनली में ही अटक गई। साड़ी की कोंचा नीचे गिराने की...

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मेरा गगन By Neetu Singh Renuka

अक्सर हर लेखक पाठक और प्रशंसा का भूखा होता है। वह लिखता ही इसलिए है कि कोई उसे पढ़े और पढ़कर उसके कौशल की प्रशंसा करे। मगर जब लाख कोशिशों के बाद भी कोई न पढ़े तो क्या हाल होता है

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भ्रूण हत्या का श्राप By Ved Prakash Tyagi

चौधरी गुलाब सिंह ने जब सुना कि पूरे लाड़ली गाँव में कोई लड़की नहीं जन्मी तो उन्होने अपने पाँव पीछे हटा लिए एवं कहने लगे, भाई सूबे सिंह! अब तुम हो सोचो, जिस गाँव में कई सालों से कोई...

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मिश्रा जी का मंच-मोह By Dr kavita Tyagi

परंपरागत पितृसत्तात्मक समाज स्त्रियों को अनेक सीमाओं-बंधनों में जकड़ कर अपना प्रभुत्व स्थापित करके अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए युगों-युगों से स्त्री को बलि का बकरा बनाता आया ह...

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गुलाबो By Neetu Singh Renuka

इस महानगरीय जीवन ने हम में बची थोड़ी-बहुत संवेदना को भी सोख लिया। जीवन की रफ्तार को इतना तेज़ और समयबद्ध कर दिया है कि हम ज़रा ठहर कर किसी और के आँसूँ भी पोंछ नहीं सकते।

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ठेस By Phanishwar Nath Renu

खेती-बारी के समय, गाँव के किसान सिरचन की गिनती नहीं करते. लोग उसको बेकार ही नहीं, बेगार समझते हैं. इसलिए, खेत-खलिहान की मजदूरी के लिए कोई नहीं बुलाने जाता है सिरचन को. क्या होगा,...

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लौट आओ काका By Dr Narendra Shukl

This is a story of a grandson who loves his grandpa deeply but somehow always tried to avoid to visit his villiage where his grandpa resides who always remembered him by saying bha...

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अनुत्तरित प्रश्न By S Sinha

एक भारतीय लड़के के विदेशी लड़की से प्रेम की कहानी है। वह फ्रांस में पढ़ाई के लिए जाता है और एक फ्रेंच लड़की से प्रेम करने लगता है। दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते हैं और शादी के लिए तैया...

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नैंसी के नौ साल By Dr kavita Tyagi

हमारे समाज में आज भी बहुत से लोग पुरुषों के वर्चस्व को बनाए रखने की मानसिकता से मुक्त नहीं हुए हैं । ऐसे लोग पवित्रतावादी आड़ लेकर मातृशक्ति की प्रकृति और संवेदना का कितना दमन करते...

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एक आदिम रात्रि की महक By Phanishwar Nath Renu

एक आदिम रात्रि की महक (फणीश्वरनाथ रेणु)

फणीश्वर नाथ रेणु की छोटी कहानियों के संग्रहो मे से प्रमुख रचना है और इस कहानी का नाम है ’आदिम रात्री की महक’। यह मानव करुणा का एक बढ़िया...

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सुंदरता देखनेवाले की आँखों में होती है By Neetu Singh Renuka

जहाँ एक ओर हम बचपन के खेल खिलौने भूल जाते हैं वहीं बचपन में सीखे कुछ पाठ हमेशा याद रह जाते हैं, जो हमारे व्यक्तित्व को निखारने में मदद करते हैं, जैसे...

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मौत की झांकी By Dharm

मौत की झांकी कहानी एक ऐसे समाज पर आधारित है जहाँ हम सबकुछ जानते हुए भी वो काम नहीं करते जो हमारा कर्तव्य होता है. जैसे एम्बुलेंस को रास्ता देना. इस कहानी में ऐसा ही कुछ बताया गया ह...

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नींबू पानी By Ved Prakash Tyagi

लेकिन मुझे तो शिकायत है। चेयरमेन गुप्ता ने कहा, मैं आपको पाँच लाख रुपया महीना देता हूँ और आप पूरे दिन हस्पताल का एक भी कमरा नहीं भरते, न ही कोई कीमती टेस्ट लिखते हैं, बस नींबू प...

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लाइसेंस की लाठी By Dr kavita Tyagi

वर्तमान समय में प्रायः सरकारी संस्थाओं में प्रमाणपत्रों का महत्व इतना अधिक बढ़ गया है कि जिस योग्यता के लिए प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार के चलते कभी-कभ...

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एक इच्छा एक उपहार By Neetu Singh Renuka

अक्सर बड़ी-बड़ी चीज़ों के पीछे-पीछे भागते-भागते हम छोटी-छोटी बातों की खुशियों से बहुत दूर चले जाते हैं। खुशियों में भी इतनी मिलावट हो गई है कि सच्ची-झूठी खुशी का पता ही नहीं चलता।

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टारगेट By Dharm

आज का समय पूरी तरह व्यवसायिक है. जहाँ हम अपने फायदे के लिए दूसरे को नुकसान पहुँचाने से भी पीछे नहीं हटते. क्योंकि हमें अपना फायदा चाहिए. टारगेट कहानी इसी बिषय पर आधारित है.

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कप्तान साहिब By Dr Narendra Shukl

This story is based on a honest police officer who has sacrificed his own son to save. enemy s son during British Rule in India... a very touching story... indeed...

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मरता हुआ शहर By Ved Prakash Tyagi

डॉ पांडे राउंड पर आए तो मैं विचारों से बाहर निकला। पत्नी को चैक करने के बाद डॉ पांडे पूछने लगे कि जब मैं आया, आप कुछ सोच रहे थे मैंने कहा, हाँ! डॉ साहब, मैं सोच रहा था कि कैसे एक...

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बस्ती में संस्कार समारोह By Dr kavita Tyagi

वर्तमान समय की शहरी संस्कृति में पल्लवित पुष्पित गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से आर्थिक विषमता जनित विसंगति को आधार बनाकर इस कहानी का सृजन किया गया है । बस्ती में संस्कार समारोह...

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