क्यों छीन लिया ?
तिलमिलाता था रहता ता कलतक,
रात का वो तारा अब कहीं खो गया,
ए खुदा क्या तुझसे देखा ना गया ?
जो मेरे यार को मुझसे ही चुरा लिया।
तेरे पास है हजारों लोग बात करनेको,
मेरा तो एक ही था, वो भी छीन लिया।
तू इतना बेदर्द कैसे हो सकता है बता,
सांसे था मेरा वो ओर उसे ही रोक दिया।
बहोत खाली खाली सा लगता है अब,
भीड़ में भी तन्हा तन्हा रहता हूं में अब,
पाव पड़कर भीख ही मांग लेता जींद की,
इतनी क्या खुदगर्ज़ी के मोका ही ना दिया।
मिलन लाड. वलसाड।
miss you Yar.... ???