#मंजिल मै चल रहा था सैकडो लोगो की भिढ में अपने तरीके से अपने अंदाज में
क्या करना था मुझे कोन है कितने है  कैसे चल रहे थे
बस मे तो चल रहा था अपने अंदाज में
हा आने वाले भी थे जाने वाले भी थे
कोई आगे चल रहे थे तो
कोई पिछे चल रहे थे पर मेतो चल रहा था अपने अंदाज में
किसी ने धक्का दिया  तो किसी ने मुक्का दिया तो किसी ने दीये अनमोल वचन थे
लेकिन मुझे क्या करना था मे तो चल रहा था अपने अंदाज में
कोई गीरा तो किसी को गिरने से बचाया सुकून में मन-मन मे  अच्छे मेरे विचार थे
खुसी में-मै चल रहा था अपने तरीके से अपने अंदाज में
कहियो को देखा बिकते 10 के ईमान मे और मैं सीना चोडा कर के चल रहा था अपने ॳदाज मे
युही  करता गया हर  मुस्‍किलो को दूर रास्तों में
कीतने भले काटे थे हाॅ सुकून से चलता गया मै अपने ॳदाज मे
आखिर  पहुच ही गया मै मेरी मंजील पे क्यों की ले गयी थी जिन्दगी मुझे अपने ॳदाज में        Moñty khandelwal

Hindi Poem by Monty Khandelwal : 111392614

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