पूछना तो तुमसे भी है,
क्या याद भी आती हूं किसी रोज़..
चलो ठीक है हर रोज़ भी..
याद नहीं किया जा सकता,
पर कभी सुबह का पहला ख़्याल..
रही हूँ किसी रोज़..
हां माना कि नहीं आयी होगी याद,
मीठे सपनों की महफ़िल में..
पर कभी थककर सोने लगे होंगे..
नींद के आगोश में,
वो दिल का आख़िरी ख्याल..
रहीं हूं किसी रोज़..
चलो इतना ही बता दो...
तुम्हारी नफ़रतों का हिस्सा तो..
रहीं हूँगी कभी..
या मेरे वजूद का..
एक हिस्सा भी तुम्हें अब मंजूर नहीं..
#पूछना

Hindi Poem by Sarita Sharma : 111404400
Pravin Ingle 4 years ago

कोई तो होता है हर किसी के जिंदगी मे जो हरदम बसा होता है दिल मे उसे याद करने की जरुरत नही होती कितना भी बेचैन हो उसके लिए पर ये बात किसी पर जाहीर की नही जाती

Sarita Sharma 4 years ago

शुक्रिया..

જીગર _અનામી રાઇટર 4 years ago

बहोत ही खूबसूरत पोएट्री 👌👌👌

Ashutosh 4 years ago

Wah touching lines, supeb poems

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