#अंतरिम #देश की सच्चाई

ना जाने उस दरिन्दो के मन में हवस कहा से अाई थी ।
एक सुंदर सी कली तो खुद की बिदाई से पहले ही मुर्जाई थी।।।

बिखर कर टूट गया वो बाप, जिस दिन उसकी बेटी का बलात्कार हुआ था।
एक चुनी भी नहीं ओढ़ाई गई उस दिन, तब खुदा भी मर्द की मर्दानगी पे रोया था।।

इस आफताब की आग में जितनी रोशनी नहीं , उस ज़ालिम के जामिर में इतना अंधेरा है।
मुकर गया उसका गवाह भी वहा गवाही देने से,जिस देश में उस मासूम के बिकने का बसेरा है।।

Hindi Poem by Dr.Krupali Meghani : 111435103
Anjan Roy Chowdhury 4 years ago

😔😔😔😔😔😔😔

Kajal 4 years ago

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

....... 4 years ago

खुदा भी नज़रे जुकाता है अपनी ऐसी कृतियों पे कृष्ण भी नहीं आते बचाने अब भरे बाज़ार में....😩 इतनी भी क्या हवस ,की मान मर्यादा तोड़ते है.. किसी की मासूमियत क्यों नहीं समज पाते है..…??😢

करुनेश कंचन.. 4 years ago

सुबह की हवा के मानिंद है जज़्बात आपके...बहुत सुंदर👌👌👌

Parth Dave 4 years ago

Wahh 👌👌👌 ek ek word mstt choose krya chhe Current situation btava mate 👏👏👏 hat's off

Raju 4 years ago

Vaah vaah ....🙌🙌

મનીષ ગૌસ્વામી 4 years ago

देश को खतरा जीतना आतंकवाद से उससे भी ज्यादा देश मे मौजुद बलात्कारी हैवानो से है।आपने बहुत ही सुंदर तरीके एक एक शब्द को चुना है।उस परिवार की वेदना आपने व्यक्त की है।

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