इस अमलतास से नाता
बहुत पुराना है
कभी इसका भी कर्ज चुकाना है
खिलते ही इसके पुष्प
बन जाते कचनार..
पत्तियों को इसके खिंचते ही
इसके गुच्छे बिखर जाते बार-बार
सहेलियों को खुश करने का
अब कहाँ अवसर आता है
हर बार?
अफसोस है हम क्यों बडे़ हो गए #अनामिका
-डॉ अनामिकासिन्हा