इस अमलतास से नाता
बहुत पुराना है
कभी इसका भी कर्ज चुकाना है
खिलते ही इसके पुष्प
बन जाते कचनार..
पत्तियों को इसके खिंचते ही
इसके गुच्छे बिखर जाते बार-बार
सहेलियों को खुश करने का
अब कहाँ अवसर आता है
हर बार?
अफसोस है हम क्यों बडे़ हो गए #अनामिका

-डॉ अनामिकासिन्हा

Hindi Shayri by डॉ अनामिका : 111577036

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