आज भी जब बचपन में खेली होली
याद आती है..
मेरे यादों की झोली खुशियों से
भर जाती है..
सुबह से ही गुब्बारों में रंग
भर लेते थे..
दिखे जो भी गली में उसे रंग
दिया करते थे..
शाम तक सारी गलियों में रंग ही रंग
नजर आता था..
हर कोई खुशियों के रंग में नजर
आता था..
होली खेलने के बाद रंग छुटाने की
जुगत होती थी..
मां बहुत डांट-फटकार लगातीं थीं
क्योंकि..
रंग छुटाने में पानी की टंकी जो
खाली होती थी..
मां नए नए पकवान बना सबको
खिलातीं थी..
जिससे सभी के चेहरों पर मुस्कान
आ जाती थी..
कुछ ऐसे ही बचपन में होली के रंग
हुआ करते थे..
जब हम होली को होली की तरह
जिया करते थे..


#HappyHoli

Hindi Shayri by SHUBHAM SONI : 111792912
SHUBHAM SONI 2 years ago

Tnx Kajal ji 😊🙏

SHUBHAM SONI 2 years ago

Tnx Shweta ji 😊🙏

SHUBHAM SONI 2 years ago

Tnx mam 😊❣️

SHUBHAM SONI 2 years ago

Happy Holi ❤️

SHUBHAM SONI 2 years ago

आपने मेरी कविता को ह्रदय से पड़ा इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार

Pramila Kaushik 2 years ago

वास्तव में आप बचपन की गलियों में ले गए शुभम जी। बहुत ख़ूब लिखा आपने 👏👏👏👏होली की हार्दिक बधाई आपको ।🌈🌈

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