हो विश्वास की जमीन या
नाव संशय की बैठी तो तुम्हारी
ही प्रतीक्षा मे |
संशय बाहरी आवरण आँखों की पट्टी
है , विश्वास की जमीन बंद आँखे
हृदय ही है |
तुम्हारा द्वार तो हृदय से ही खुलता है,
बाहर मिलना तो तुम्हारी इच्छा है |
.....
प्रेम

Hindi Poem by Ruchi Dixit : 111814914

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