मुहम्मद का पवित्र मल-मूत्र
13 जून, 2007 को मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमईएमआरआई) ने निम्न लेख प्रकाशित किया:
मिस्र के मुफ्ती डॉ. अली जुमा ने अपनी पुस्तक धर्म और जीवन- आधुनिक दैनंदिन फतवा में लिखा कि पैगम्बर मुहम्मद के साथी उसका पेशाब पीने में खुद को धन्य समझते थे। एक हदीस के हवाले से पेशाब पीने की एक घटना का वर्णन किया गया। हदीस में कहा गया है: उम्मे-एमन ने रसूल का पेशाब पिया और रसूल ने इस औरत से कहाः 'अब दोजख की आग में तुम्हारी अंतड़ियां नहीं खिंचेंगी, क्योंकि इस पेशाब में अल्लाह, उसके रसूल का अंश है...
अल जुमा ने फतवे में कहा, 'यह सबाब रसूल के लार, पसीने, बाल, पेशाब या खून से भी मिल सकता है। जो भी रसूल की मुहब्बत को जानता है, वह इन सबसे घृणा नहीं करेगा। वैसे ही जैसे एक मां अपने बच्चे के पाखाने से अशुद्ध नहीं होती। ऐसे ही उस रसूल, जिसे हम अपने पिता, बेटों और बीबियों से अधिक प्यार करते हैं, की इन चीजों से कोई गंदा नहीं होता। यदि किसी को रसूल की इन चीजों में बदबू आती है तो उसे अपने विश्वास को फिर से जांचना चाहिए।
हालांकि जब हंगामा होने लगा तो जुमा अपने फतवा के बचाव में उतर आए और कहने लगे: ‘रसूल का पूरा शरीर, खुला या ढंका, शुद्ध है और इसमें और उनके मल-मूत्र में ऐसा कुछ नहीं है कि जिससे किसी को परहेज हो, परेशानी हो। उनका पसीना इत्र से अधिक महकता है। उम्मे-हरम उनके पसीने को इकट्ठा करके अल-मदीना के लोगों में बांटती थी।
डॉ जुमा ने कहा: 'अलहुदैबिया में सुहैल बिन उमर की हदीस कहती है: ओ स्वामी, मैं फारस के सुल्तान किसरा और बाइजैन्टाइन के सुल्तान कैसर के साथ था। पर मैंने एक बार भी नहीं देखा कि उनका इस तरह महिमा मंडन हो रहा हो, जैसा कि वहां रसूल के साथी मुहम्मद के बारे में कर रहे थे। दूसरे मुहम्मद जब थूकते थे, तो सुल्तान उनके थूक को लेने के लिए लपक पड़ते थे और फिर उसे अपने चेहरे पर मलते थे।
बुक: अंडरस्टैंडिंग मुहम्मद
लेखक: अली सीना
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