"चलते रहो"
चलते रहो, थक कर ना रुकना,
हर अंधेरे के बाद है सवेरा दिखना।
जो डरते हैं गिरने से,
वो उड़ान क्या समझें सच्चे ज़माने से।
हर कांटा राहों का इम्तहान है,
हौसले से बढ़ो, तो आसान है।
मुश्किलें आएंगी, ये तो तय है,
पर रुक जाना, ये तो हार की रीत है।
मंज़िल उन्हीं को मिलती है,
जिनके इरादों में जान होती है।
जो वक्त की लहरों से नहीं डरते,
वो ही इतिहास में पहचान बनाते हैं।
इसलिए — उठो, जागो, और तब तक ना रुको,
जब तक अपना सपना पूरा ना हो! 💪🔥