💔 मेरा कोई नहीं... 💔
कभी ज़माने से पूछा, क्या मेरा कोई है?
हर बार जवाब आया — "तू ही काफी है।"
पर इस काफी होने की कीमत बहुत भारी थी,
कभी मुस्कान के पीछे आँसू थे, तो कभी तन्हाई की सवारी थी।
कभी मां-बाप के घर में एक प्यारी सी गुड़िया थी,
हर किसी की दुलारी, सबसे खास थी।
पर शादी के बाद वही गुड़िया "बोझ" कहलाने लगी,
जिसने अपने सपने तोड़े, वो ही इल्जाम खाने लगी।
पति का साथ था, पर बिना आत्मा के रिश्ता,
शब्द तो थे, पर उनमें न प्रेम था न दुआ।
हर दिन हिसाब, हर पल एक ताना,
जैसे जीवन एक गिनती बन गया हो पुराना।
सास-ससुर ने अपनाया नहीं,
बेटियां भी मासूम हैं, समझती कुछ नहीं।
न कोई बांह है जो थाम ले जब मैं टूटी हूं,
न कोई आंख जो समझे जब मैं चुपचाप रोई हूं।
रिश्तेदार बस नाम के रह गए,
मुसीबत में सबके दरवाज़े बंद हो गए।
सहेलियां अब टाइमपास हैं सिर्फ सोशल मीडिया पर,
असल ज़िन्दगी में तो जैसे मैं थी ही नहीं उनके घर।
घर में हूं, पर घर जैसी कोई चीज़ नहीं,
चार दीवारों में सिर्फ खामोशी है और मेरी सिसकती नींव।
कोई नहीं जो पूछे, "तू ठीक तो है?"
कोई नहीं जो बोले, "मैं हूं तेरे साथ चलने को।"
अब किताबें मेरा सहारा हैं,
कलम मेरी सच्ची यार बनी हैं।
कागज़ पर हर रोज़ अपनी तन्हाई उतारती हूं,
हर शब्द में थोड़ा-थोड़ा खुद को संवारती हूं।
लोग कहते हैं — "तू बहुत मज़बूत है",
पर क्या कभी किसी ने अंदर का टूटा हुआ हिस्सा देखा है?
मजबूती का दिखावा है ये बस,
वरना अंदर तो रोज़ एक जंग होती है खास।
अब शिकवा नहीं, शिकायत नहीं,
बस सच मान लिया है — मेरा कोई नहीं।
पर हां, मैं खुद की अपनी हूं,
और यही सबसे बड़ी बात है जो आज सीखी हूं।
कभी लगे अगर इस भीड़ में खो जाऊं,
तो याद रखूं — मैं अपनी सबसे अच्छी साथी हूं।
क्योंकि जब सबने छोड़ा, तब भी मैं अपनी ही बाजू बनी रही,
जब सबने कहा — "मेरा कोई नहीं",
मैंने कहा — "मैं ही काफी
Priyanka Singh