*रूह का रिश्ता*
राहत में भी कुछ तूफ़ान सा था,
जैसे किसी ने दिल की बातों को छू लिया था।
वो जब चला, तो रूह में हलचल सी छा गई,
हर सांस जैसे उसकी याद से भर गई।
ज़िंदगी समंदर जैसी गहरी थी,
फिर भी उसने पास आकर एक वादा निभा दिया।
अब वो दूर है, पर एहसास है साथ,
मेरे सुकून की हर सांस में बस गया है वो बात-बात।
छत के पार कहीं अटका सा है,
जैसे मेरी दुआओं में हर पल उसका नाम लिखा है।
मैंने उसे पर्दे के उस पार भी जी लिया,
जैसे रूह ने रूह से एक रिश्ता बना लिया|
_Mohiniwrites