ओ केशव, ओ कान्हा,
अब करो ना कोई बहाना।
ओ राधा के मोहन, ओ मैया के कान्हा,
अपनी यह बंशी हमे भी सुनाना।
ओ गोविंद, ओ गोपाला अब करो ना बहाना
ओ मीरा के गिरधर, गोविंद गोपाला,
ब्रज में रचाने को रास तुम आना ।
ओ कान्हा, ओ केशव
ओ गोविंद, गोपाला
ओ गिरधर, मोहाना करो ना बहाना
गोकुल में आकर तुम गइया चराना
ओ गोविंद , ओ गोपाला
तुम जल्दी से आना
यमुना के तट पर ग्वालों संग लीला रचाना।
ओ केशव, ओ कान्हा,
अब करो ना कोई बहाना।
अपनी यह बंशी हमे भी सुनाना।
ब्रज में रचाने को रास तुम आना ।
गोकुल में आकर तुम गइया चराना
ओ गोविंद , ओ गोपाला
तुम जल्दी से आना.........