Hindi Quote in Blog by Agyat Agyani

Blog quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

✧ कथा-वाचकों की वास्तविकता ✧

आजकल प्रवचन देने वाले साधारणत: तोते बने हुए हैं —
शास्त्र पढ़ लिया, याद कर लिया, मंच पर जाकर सुना दिया।

लेकिन समस्या यह है:

वे अपने व्यक्तिगत अनुभव से नहीं बोलते।

समय और परिस्थिति की समझ नहीं दिखाते।

आज की समस्याओं का वास्तविक समाधान नहीं देते।



---

✧ शास्त्र का उपयोग या दुरुपयोग? ✧

शास्त्र ज्ञान का स्रोत हैं, परंतु:

इसे पहले अपने जीवन में अनुभव कर पचाना चाहिए।

फिर उसे समय और समाज की ज़रूरत के अनुसार प्रस्तुत करना चाहिए।


लेकिन प्रवचनकर्ताओं का काम उल्टा है:

कच्चा ज्ञान जैसे खदान से निकला पत्थर, सीधे जनता पर फेंक दिया।

न समाधान देते हैं, न भ्रम मिटाते हैं।

उल्टे अंधविश्वास और संप्रदायवाद को और बढ़ावा देते हैं।



---

✧ असली समस्या ✧

1. संस्था और गुरु का प्रचार – प्रवचनकर्ता अपने गुरु, अपनी परंपरा, अपनी संस्था को ही सर्वोपरि बताते हैं।


2. भ्रम फैलाना – समाधान की जगह और अधिक डर, भ्रम और अंधविश्वास बोते हैं।


3. प्रश्नों से बचना – जनता अगर सवाल करे तो तुरंत “शास्त्र में ऐसा लिखा है” कहकर निकल जाते हैं।


4. सामाजिक जिम्मेदारी का अभाव – असली प्रश्न (गरीबी, हिंसा, तनाव, शिक्षा, परिवार) पर चुप्पी साध लेते हैं।




---

✧ जनता क्यों चुप है? ✧

डर: धर्म के नाम पर सवाल उठाने से लोग डरते हैं।

आदत: वर्षों से “प्रवचन = धर्म” मानकर बैठे हैं।

आलस्य: खुद सोचने–समझने की मेहनत नहीं करना चाहते।



---

✧ निष्कर्ष ✧

आज के अधिकांश प्रवचन केवल चतुर वाणी का नाटक हैं,
न कि सच्चा आत्मानुभव।

धर्म का असली काम है –
✨ भ्रम मिटाना
✨ सत्य दिखाना
✨ शांति और प्रेम जगाना

लेकिन यह सब तभी संभव है जब प्रवचनकर्ता:

पहले स्वयं शास्त्र का अनुभव करे,

फिर समय और समाज की ज़रूरत देखकर बोले,

और जनता भी प्रश्न पूछने की हिम्मत करे।



---

🌱 धर्म समाधान का नाम है, समस्या बढ़ाने का नहीं।
आज जरूरत है अनुभवजन्य, साहसी और सत्यनिष्ठ प्रवचनकर्ताओं की – जो केवल शास्त्र न सुनाएँ, बल्कि जीवन में जीकर सत्य को सामने रखें।

Hindi Blog by Agyat Agyani : 111995313
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now