**वक़्त के मारे हैं हम,
हर मोड़ पे ठोकरें हमारी किस्मत बनीं।
जब भी सोचा, अब संभलेंगे "नैना",
फिर से ज़िंदगी ने जमीं दिखा दी।**
**कभी ख़्वाबों में जले, कभी हकीकत में गिरे,
हर मुस्कुराहट के पीछे एक दर्द छिपा लिए।
काश फिर से बच्चे होते हम "नैना",
रो लेते जी भर के… और कोई सवाल न किए।**
- Naina Khan