🕯️ क्या है मोहब्बत?🕯️
रात थी ठंडी, पर दिल में आग थी,
वो आई थी, पर उसके लफ़्ज़ों में राज़ थी।
होंठ मुस्कुराए, पर आँखें डरी थीं,
उसकी साँसों में जैसे कोई कहानी भरी थी।
मैंने पूछा — “क्या है मोहब्बत?”
वो हँसी... जैसे कोई रहस्य छुपा हो।
कहा — “जो महसूस हो, पर समझ न पाए,
वही मोहब्बत है — जो रुलाए भी, और छुपा भी जाए।”
हवा में गंध थी उसकी यादों की,
मेज़ पर रखी थी चाय — ठंडी, पर अधूरी।
घड़ी रुकी थी, वक्त वहीं ठहरा था,
जहाँ उसने कहा था — “मिलेंगे कल...”
पर वो “कल” कभी आया ही नहीं।
अब हर रात दरवाज़ा धीरे-धीरे खुलता है,
पर कोई नहीं होता... बस उसकी परछाईं उतरती है।
दीवारों पर लटकी हैं तस्वीरें — मुस्कुराती हुई,
पर उनमें आँखें अब मुझसे कुछ कहती नहीं।
शायद मोहब्बत वही है —
जो ज़िंदा रहते हुए भी किसी को भूत बना दे,
जो यादों के जंगल में भटकने पर मजबूर कर दे।
जहाँ दिल की धड़कनें जवाब न दें,
पर नाम अब भी हर साँस में गूंजे।
हाँ, मोहब्बत वो है —
जो ख़त्म होकर भी ख़त्म नहीं होती,
जो रूह से निकलकर भी साथ चलती है,
और हर बार जब आईना देखता हूँ...
वो मेरे पीछे खड़ी होती है।
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लेखक -: "आदित्य राज राय"