✧ वेदांत 2.0 ✧
विषय: वर्तमान का निर्णय — भविष्य की योजना से परे जीवन का विज्ञान
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१. निर्णय का स्वरूप — वर्तमान बनाम भविष्य
मनुष्य के निर्णय दो प्रकार के होते हैं —
एक जो वर्तमान से जन्म लेते हैं,
दूसरे जो भविष्य की कल्पना से।
आध्यात्मिकता वर्तमान का निर्णय है —
क्षण की नाड़ी को सुनकर उठता है,
किसी लक्ष्य या योजना पर आधारित नहीं।
यह जीवन का स्वाभाविक विज्ञान है —
जहाँ प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि सहज उत्तर होता है।
विज्ञान, धर्म, और शिक्षा —
तीनों भविष्य के निर्णयों पर टिकी व्यवस्थाएँ हैं।
वे समझते हैं, योजना बनाते हैं, लक्ष्य तय करते हैं,
और इस प्रकार समय की रेखा पर चलते हैं।
> सूत्र १:
आध्यात्मिकता निर्णय है; विज्ञान और धर्म योजना हैं।
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२. विज्ञान, धर्म और अस्तित्व की दृष्टि
विज्ञान का प्रयोजन है — गलती दोहराई न जाए।
वह भविष्य को सुरक्षित करना चाहता है।
धर्म का प्रयोजन है — सुख दोहराया जाए।
वह भविष्य को स्वर्ग बनाना चाहता है।
पर अस्तित्व भविष्य नहीं देखता।
वह तो केवल ‘अभी’ में जीता है —
या तो तत्काल समाधान है, या फिर धैर्यपूर्ण प्रतीक्षा।
वह किसी परियोजना का निर्माता नहीं,
बल्कि घटनाओं का साक्षी है।
जैसे नदी पार करनी हो —
या तो अभी छलाँग लगा दो,
या फिर प्रवाह का इंतजार करो।
दोनों ही निर्णय हैं, पर योजना नहीं।
> सूत्र २:
अस्तित्व न सोचता है, न टालता है — वह केवल घटता है।
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३. शांति का द्वार — योजना से स्वीकृति तक
विज्ञान और बुद्धि का क्षेत्र सुख-दुख के लिए योजनाएँ रचता है।
वह सोचता है कि भविष्य सुधर जाए तो जीवन संपूर्ण होगा।
पर हर योजना में ऊर्जा का क्षय होता है,
क्योंकि मन जो “आने वाले” में जीता है,
वह “होने वाले” को खो देता है।
जीवन वहीं खिलता है जहाँ योजना समाप्त होती है।
वर्तमान ही वह द्वार है जहाँ संतोष प्रवेश करता है।
भविष्य की योजना सदैव अशांति का स्रोत है,
और वर्तमान की स्वीकृति — मौन की उपस्थिति।
> सूत्र ३:
भविष्य की योजना मन को थकाती है,
वर्तमान की स्वीकृति आत्मा को जगाती है।
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समापन विचार:
आध्यात्मिकता कोई प्रणाली नहीं —
यह जीवन का निर्णय-तंत्र है,
जो हर क्षण अपने सत्य को चुनता है।
विज्ञान सुधार चाहता है, धर्म व्यवस्था,
पर अध्यात्म केवल साक्षी —
वह कुछ बनाता नहीं, केवल होता है।
©Vedānta 2.0 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 —
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