माँ Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

माँ Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful माँ quote can lift spirits and rekindle determination. माँ Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

माँ bites

#KAVYOTSAV_2
✍️कविता_यादें
गर्म चाय में उठती भाप,
गुड़,अदरक, लौंग की महक,
खयाल मात्र से,
एक नशा सा छा जाता,
तुम्हारे रूई से मुलायम,
सफेद बादल से बाल,
पहाड़ों पर रुकी बारिश,
अलसाया सा सूरज,
कानों को चीरती हुई,
ठंडी तीखी हवा,
छाती में सांसों को,
जमा देने वाली ठंड,
खुश्की से फटे सुर्ख गाल,
पैरों में रेंगती चींटियां,
और सूजी हुई अंगुलियां,
सुबह दूध के लिए,
गाय का रंभाना, और
बरतनों की खटर पटर,
घर्र घर्र चक्की की आवाज,
कुछ खो आया था मैं!
गांव की वो सर्द सुबह,
गुनगुनाती भजन,
और घंटी की आवाज,
धुंधलाए चश्मे को साफ करतीं,
तेरी यादों का सिलसिला,
हां #मां ! मेरी #प्यारी मां!
तुम हरदम मेरी सांसों में बसी हो।
मेरी सांसे, जो रह गई हैं,
गांव में, और #मैं बसा हूं,
यहां इमारतों के #बेजान शहर में।।

✍️
एक अच्छी #मां सौ #गुरुओं के बराबर होती है। बच्चे के लिए मां ही प्रथम #स्कूल है। जितने भी महान लोग हुए हैं, उनके व्यक्तित्व निर्माण, भविष्य संवारने एवम् सूरज की तरह चमकने में मां की #परवरिश का बहुत बड़ा योगदान होता है। ऐसी ही मांओं में से एक फरीदुद्दिन गंज शकर (रह.) की मां थीं। उनकी परवरिश से उनके बच्चे ने यश, मान सम्मान की ऊंचाइयों को छुआ। फरीदुद्दीन की मां का ये रोज का नियम था, कि वो रोजाना मुसल्ले (नमाज पढ़ने के लिए बिछाए जाने वाले मैट) के नीचे शक्कर की पुड़िया रख देती और कहती, जो बच्चे नमाज पढ़ते हैं उनको मैट के नीचे से शक्कर की पुड़िया मिलती है। इसका उनके मन पर गहरा असर हुआ, और वे बचपन से ही नियमित, बेनागा नमाज पढ़ने एवं खुदा को स्मरण करने लगे। वे कभी भी नमाज अदा करना नहीं भूलते थे। आगे चलकर इसी वजह से उनको गंज शकर के नाम से ही प्रसिद्धि मिली।

#Moral Stories
✍️
#सुनो , बहू क्या लाई हो______
#शादी को कुछ ही वक़्त हुआ है......। मायके से ससुराल वापसी पर...., #सासू मां और #संग सहेलियां पूछने लगती हैं अक्सर .... मायके गई थी #क्या #क्या लायी...। एक तो वैसे ही मायके से आकर मन वहीं के #गलियारों में #भटकता रहता है.....,उस पर सभी का बार बार पूछना, हो सकता है ससुराल के हिसाब से #सामान कम हो, लेकिन जो मैं अपने साथ लाई हूं उसे कैसे #दिखाऊं ???????? क्या दिलाया भाई ने, भाभी ने भी तो कुछ दिया ही होगा..... अब भाई के #स्नेह को कैसे दिखाऊँ ..... समझाऊं। भाभी के #लाड़ को कैसे तोल के बताऊँ .... दिन भर तुतलाती, बुआबुआ कह कर मेरे पीछे भागने वाली प्यारी भतीजी, गोद में चढ़ने को आतुर, उस प्यार को किसे समझाऊं ??? ......... छोटी बहन जो ना जाने कब से मेरे आने का इंतजार कर रही थी!!!! अपने मन की बातें सुनाने को, मेरी सुनने को बेताब। मेरी नईनई साड़ियां पहन कर, रोजाना इतराती आइने के सामने खड़ी हो जाती है!!! लेकिन ससुराल आते समय अपनी जेब खर्च के #बचाए #पैसों से, मेरे लिए नई ट्रेंड का ड्रेस रखना नहीं भूलती, कहती है, कोई नहीं, कहीं घूमने जाओ तो पहनना। उसे भी नहीं समझा पाती, कहां जाऊंगी मैं घूमने !!!!!!!, पर ये उसके प्यार का तरीका है। और पापा, उनके तो सारे काम ही #पोस्टपोंड कर दिए जाते हैं, पापा और मेरी बातें जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं। #मां और #दादी कहती हैं, #चहकने दो इसे !!!!!!!!!!!, फिर ना जाने कब आएगी। घर पर #सन्नाटा अब टूटा है। उनका तो रसोई से ही निकलना नहीं होता। आई तो अकेली मैं ही हूं पर लगता है, घर में #त्यौहार चल रहा है। अब बताइए उस #जश्न , #खुशी की #पोटली को कहां से खोलकर दिखाऊं !!!!!!!!!!! उस के लिए #आंखें भी तो #मेरी वाली होनी चाहिए ना। #भौतिक सामान को उनकी बींधती आंखें। उफ़!!! अब परवाह करना छोड़ दिया है। उस प्यार को जब भी पैसे, उपहारों से तोलेंगे, इस #प्यार का रंग फीका पड़ जाएगा ..... स्नेह के धागों से बुनी चादर हमेशा मेरे सर पर बनी रहे, इससे ज्यादा मुझे कुछ चाहिए भी नहीं ...... पीहर में आकर अपना #बचपन फिर से जीने आती हूँ मैं बस, !!!!!!! इस लेनदेन के चक्कर में तो मायके जाना भी #गुनाह सा लगता है ..........
भूल जाती हूँ जिंदगी की #थकान को ... फिर से तरोताज़ा होकर लौटती हूँ, नई #ऊर्जा के साथ, अपने #आशियाने में और ससुराल में सब, संगसहेलियां पूछती हैं क्या लाई दिखा ???????.......... अब की बार सोच लिया है, कह दूंगी हां लाई तो बहुत कुछ हूं, पर वो आंखें भी तो होनी चाहिए, देखने के लिए। और वो आंखें मेरे पास हैं, उनसे मैं देख ही नहीं, उस प्यार की गरमाहट को #महसूस भी कर पाती हूं। वो, उनको नहीं दिखा पाती, दिखाऊँ भी कैसे .... वो तो दिल की #तिजोरी में बन्द है ..... जब भी उदास होती हूं, खोल लेती हूं, उस तिजोरी के बन्द दरवाजे....... और हो जाती हूं, फिर से #तरोताजा .......

✍️
#There is not enough words to #describe just how much important she is. She gave #life , #nurtured , #taught , #dressed , #shouted , #kissed but most #important she #loves #unconditionally .
कुछ ऐसे लोग होते हैं, #गले लगते ही सुकून मिलता है।#माँ , ऐसी ही #शख्सियत है।
#माँ , एक शब्द नहीं, #ब्रह्मांड समाया है इसमें--------
जीवन के #कटुसत्य से रूबरू कराती----------
#दिल को #छू लेने वाली एक कविता----------

पहले कितनी सुंदर थी,वो गुड़िया सी लगती थी माँ। घूमती फिरती फिरकी थी, अब बुढ़िया सी लगती माँ।

हँसती थी तो फूल थे झरते, मोती सी चमकती माँ। हँसना छोड़ा कब का,अब तो खुल के रोती भी नहीं माँ।

जीवन के चलचित्र की जैसी मुख्य नायिका सी थी माँ। सरक गई कोने में, अब एक्स्ट्रा सी हो गई माँ।

जब जरूरत थी हम सबको, हम सबकी दुलारी थी माँ। जब सब बड़े हो गए, बोझिल गठरी बन गई माँ।
(अज्ञात)

#love you Mummy
✍️
सुप्रभात!!! #मेरे आगमन की सूचना को, #प्रथम जिसने बतलाया, #मेरी हरकतों को, #अहसास कर जिसने बतलाया, #मेरी पहली चीख पर,जिसने #मुस्कुरा गले लगाया, #मेरी हर चोटदर्द पर, मलहम पट्टी कर सहलाया, #टेढ़ी मेढ़ी राहों पर,ता ता थैया #चलना सिखलाया, #लिखती तो खूब हूं पर,पकड़ हाथ #लिखना सिखलाया, #वो तुम ही तो हो मां, #हां #मां तुम ही तो हो।??

-- Manu Vashistha

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✍️सुप्रभात!!!
#मेरे आगमन की सूचना को, #प्रथम जिसने बतलाया,
#मेरी हरकतों को, #अहसास कर जिसने बतलाया,
#मेरी पहली चीख पर,जिसने #मुस्कुरा गले लगाया,
#मेरी हर चोटदर्द पर, मलहम पट्टी कर सहलाया,
#टेढ़ी मेढ़ी राहों पर,ता ता थैया #चलना सिखलाया,
#लिखती तो खूब हूं पर,पकड़ हाथ #लिखना सिखलाया,
#वो तुम ही तो हो मां, #हां #मां तुम ही तो हो।??

#ओ #मां , तुम #धुरी हो #घर की!
मुझे आज भी याद है चोट लगने पर मां का हलके से फूंक मारना और कहना, बस अभी ठीक हो जाएगा। सच में वैसा मरहम आज तक नहीं बना।
#वेदों में मां को पूज्य, स्तुति योग्य, आव्हान करने योग्य कहा गया है। महर्षि मनु कहते हैं दस उपाध्यायों के बराबर एक आचार्य,सौ आचार्य के बराबर एक पिता और पिता से दस गुना अधिक माता का #महत्व होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहते हैं, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात जननी(मां) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होते हैं। इस संसार में 3 उत्तम शिक्षक अर्थात माता, पिता, और गुरु हों, तभी मनुष्य सही अर्थ में मानव बनता है
या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता।।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।।
मां को #कलयुग में #अवतार कह सकते हैं। मां कभी मरती नहीं, उसने तो अपना अस्तित्व (यौवन) संतान के लिए अर्पित कर दिया, संतान के शरीर का निर्माण (सृजन) किया। आज भौतिक चकाचौंध, शिक्षा, कैरियर, नौकरी आदि ने विश्व को सब कुछ दिया, बदले में मां को छीन लिया। किसी भी घर में स्त्री पत्नी, नारी, बहू, बेटी, बहन,भाभी, सास, मिल जाएगी, परंतु मां को ढूंढ पाना कठिन हो गया।आज स्वयं स्त्री अपने व्यक्तित्व निर्माण में कहीं खो सी गई है।
#नारी देह का नाम है।
#स्त्री संकल्पशील पत्नी है।
#मां किसी शरीर का नाम नहीं, अपितु
मां- #पोषणकर्ता की अवधारणा है।
#अहसास है जिम्मेदारी का।
मां- आत्मीयता का भावनात्मक भाव है। मां #अभिव्यक्ति है #निश्छल प्रेम, दया, सेवा, ममता की। मां शब्द अपने आप में एक अनूठा और भावनात्मक एहसास है। यह एहसास है सृजन का, नवनिर्माण का। स्त्री कितनी भी आधुनिक हो लेकिन मां बनने के गौरव से वह वंचित नहीं होना चाहती।
जब तक स्त्री का शरीर दिखाई देगा, मां दिखाई नहीं देगी। उसके बनाए खाने में प्यार, जीवन के संदेश महसूस नहीं होंगे। महरी या बाहर के खाने में कोई संदेश महसूस नहीं होता। ऐसा खाना आपको #स्पंदित , आनंदित ही नहीं करेगा। क्योंकि उनमें भावनाओं का अभाव होता है। कहते हैं ना जैसा खाओ अन्न, वैसा होगा मन। मां के हाथ का खाना भक्तिभाव, निर्मलता, स्वास्थ के लिए हितकर होता है, उसमें होता है मां का प्यार, दुलार, मातृ भाव, आध्यात्मिक मार्ग भी प्रशस्त करता है। भाईबहिनों को एक करने की शक्ति है मातृ प्रेम।
केवल पशुवत जन्म देने भर से कोई मां नहीं हो सकती। आजकल ममता/ कैरियर, अर्थ लोभ के द्वंद्व के बीच फंसी मां की स्थति डांवाडोल होती रहती है। ऐसे समय में माताएं अपना #धैर्य बनाएं। बच्चे देश का भविष्य हैं,उनकी जिम्मेदारी माताओं पर ही है।
इंसान वैसे ही होते हैं,जैसा #मांएं उन्हें बनाती हैं। #भरत को #निडर भरत बनाने में शकुन्तला जैसी मां का ही हाथ था,जो शेर के दांत भी गिन लेता था। हमेशा मां परवरिश को लेकर कहा गया होगा, और किसी को नहीं। आप #भाग्यशाली हैं जो, प्रभु ने इस महत्वपूर्ण #दायित्व के लिए आपको चुना है। मां बनना एक चुनौती से कम नहीं है। एक गरिमा, गौरवपूर्ण शब्द है मां। इस दायित्व का निर्वहन भलीभांति करने से ही देशहित, समाजहित संभव होगा।