यह एक बहुत ही उत्तम सीख है जो हमारे गुजरात मे गंगासती, जो की एक सास अपनी बहु को कहती है।
मैंने सिर्फ एक ही अंतरा बताया है...
बिजली की चमक जितने समय मे ये ज़िंदगी खत्म होनी है, इसमे तू खुदको पीरोले,जो खुशियां बांंटनी है बाॅट ले,अपना जीवन साकार करले...
यहां 21600 को हमारी सांसों को बताया है जो पलक झपकते चली जानी है और बाकी सब यहां धरा का धरा ही रह जाना है...