Verse]
सबको खुश रखते रखते
खुद को मैं भूलता गया
हर चेहरे की मुस्कान में
अपना दर्द छिपाता गया
[Verse 2]
किसी को नाराज़ न करूँ
यही मेरा धर्म रहा
अपने सपनों का गला घोंटा
यही मेरा कर्म रहा
[Chorus]
दिल की आवाज़ दबाई मैंने
हर चाहत कुर्बान की
अपनी खुशी को जलाया मैंने
औरों की मुस्कान के नाम की
[Bridge]
कभी जो आई आईने के सामने
सवालों का सैलाब था
मेरी संतुष्टि कब आत्महत्या कर बैठी
पता ही नहीं लगा
[Verse 3]
खुद से लड़ता खुद से भागता
हर पल कुछ खोता गया
औरों के लिए जो जिया
खुद को मैं खोता गया
[Chorus]
दिल की आवाज़ दबाई मैंने
हर चाहत कुर्बान की
अपनी खुशी को जलाया मैंने
औरों की मुस्कान के नाम की.
DHAMAk