"Gen Z की उलझनें"
(एक आइना उनके दिल का)
हर हाथ में फ़ोन, हर आँख में स्क्रीन,
भीड़ में भी तन्हा, क्या यही है ज़ीन?
इंस्टा की स्टोरी, पर मन है ख़ाली,
सच कहें तो अंदर से सब हैं कंगाली।
"कूल" दिखने की है रोज़ जंग,
पर दिल में बैठा है कोई तंग।
Self-love के पोस्ट लाख करें,
पर Mirror बोले – "क्या सच में खुश हैं?"
माँ-बाप को समझ नहीं आती बात,
"हमारे ज़माने में..." से शुरू होती बात।
Mental health का जो करें जिक्र,
तो जवाब – "इतना भी क्या सोचते हो फालतू फ़िक्र?"
जॉब की दौड़, पैशन की चाह,
सोचें – “मैं अलग कुछ करूँ,” पर सब कहते – “वाह!”
और फिर शुरू हो जाता है comparison का खेल,
जहाँ दूसरों की life लगती है always super real।
Social media पे filter का ज़माना,
Reality हो गई है बस एक पुराना फ़साना।
बाहर से strong, अंदर से weak,
Gen Z की दुनिया है थोड़ी unique।
Relationship में प्यार कम, confusion ज़्यादा,
Online मिले, offline fade – यही है इरादा?
Ghosting, texting, seen ka game,
"प्यार" अब बन गया है बस एक name.
---
पर...
इन उलझनों में भी है spark,
Gen Z की thinking है बहुत sharp।
Equality, freedom, और truth के लिए खड़े,
भले confused हों, पर हिम्मत में अड़े।
Old rules तोड़कर नया बनाते हैं रास्ता,
हर दर्द से सीखते हैं जीने का हिस्सा।
हाँ, problems हैं, पर आग भी है सीने में,
Gen Z चले हैं कुछ कर दिखाने के जीने में।