तूम थे पर मेरे ना थे

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विवान सिंह राठौड़, एक ऐसा नाम जिससे दुनिया कांपती थी, आज अपने दादाजी के सामने खड़ा था। हमेशा शांत और मजबूत दिखने वाला वो शख्स आज थोड़ा बेचैन था। दादाजी ने गहरी आवाज़ में कहा — "विवान, अब तुझे शादी करनी ही होगी। अगर तूने शादी नहीं की तो मैं तुझे अपनी सारी प्रॉपर्टी से बेदखल कर दूंगा। और वो सब कुछ संजय के बेटे सुमित के नाम कर दूंगा। सोच ले क्या करना है... तेरे पास सिर्फ़ एक हफ्ते का वक्त है।" विवान बिना कुछ कहे, बस उन्हें देखता रहा। फिर वह धीमे कदमों से वहां से निकल गया — जैसे किसी तूफान से पहले की खामोशी।

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तूम थे पर मेरे ना थे - 1

विवान सिंह राठौड़, एक ऐसा नाम जिससे दुनिया कांपती थी, आज अपने दादाजी के सामने खड़ा था। हमेशा शांत मजबूत दिखने वाला वो शख्स आज थोड़ा बेचैन था।दादाजी ने गहरी आवाज़ में कहा —"विवान, अब तुझे शादी करनी ही होगी। अगर तूने शादी नहीं की तो मैं तुझे अपनी सारी प्रॉपर्टी से बेदखल कर दूंगा। और वो सब कुछ संजय के बेटे सुमित के नाम कर दूंगा। सोच ले क्या करना है... तेरे पास सिर्फ़ एक हफ्ते का वक्त है।"विवान बिना कुछ कहे, बस उन्हें देखता रहा। फिर वह धीमे कदमों से वहां से निकल गया — जैसे किसी ...Read More