चाँदनी की झील

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हिमालय की गोद में बसा था एक छोटा-सा गाँव — "नीलकुंड", जहाँ सूरज की पहली किरण बर्फ से ढकी चोटियों को चूमती थी, और रात में चाँदनी जैसे दूधिया झील के पानी में घुल जाती थी। कहते हैं उस झील में कोई आत्मा बसी है, जो हर पूर्णिमा की रात उसमें से निकलती है, और चाँदनी की तरह चमकती है। आरव, दिल्ली का एक युवा संगीतकार, इस गाँव में अपने मन की उलझनों से भागकर आया था। शहर के शोरगुल से थककर, उसे शांति की तलाश थी — या शायद अपने भीतर छिपी किसी अधूरी धुन को पूरा करने की। उस रात पूर्णिमा थी। झील के पास सबकुछ शांत था — बस उसकी बाँसुरी की मधुर तान गूंज रही थी। बर्फीली हवा में भी उसकी धुन में एक गर्मी थी, एक तड़प।

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चाँदनी की झील - 1

हिमालय की गोद में बसा था एक छोटा-सा गाँव — "नीलकुंड", जहाँ सूरज की पहली किरण बर्फ से ढकी को चूमती थी, और रात में चाँदनी जैसे दूधिया झील के पानी में घुल जाती थी। कहते हैं उस झील में कोई आत्मा बसी है, जो हर पूर्णिमा की रात उसमें से निकलती है, और चाँदनी की तरह चमकती है।आरव, दिल्ली का एक युवा संगीतकार, इस गाँव में अपने मन की उलझनों से भागकर आया था। शहर के शोरगुल से थककर, उसे शांति की तलाश थी — या शायद अपने भीतर छिपी किसी अधूरी धुन को पूरा करने की।उस रात ...Read More