शैली: रहस्य, थ्रिलर, अलौकिक अध्याय 1: पुरानी गलियों का रहस्य लखनऊ की पुरानी चौक बाज़ार में कई गलियाँ ऐसी हैं जो मानो समय के साथ थम गई हों। एक ऐसी ही गली है — “क़ाफ़िला गली”, जहाँ न तो मोबाइल सिग्नल ठीक से आता है, न ही कोई नया मकान बन पाया है। लोग कहते हैं कि वहाँ कुछ तो है... कुछ ऐसा जो नज़र नहीं आता, पर महसूस होता है। उसी गली के एक कोने पर एक दुकान है — “फ़िरदौस की किताबें”। ये दुकान केवल शुक्रवार को एक घंटे के लिए खुलती है — शाम 5 बजे से 6 बजे तक। किसी को नहीं पता दुकानदार कौन है, कहाँ से आता है, और क्यों हर बार उसकी किताबों में से किसी एक को किसी अनजान ग्राहक को "स्वयं" चुन लिया जाता है।
काली किताब - भाग 1
शैली: रहस्य, थ्रिलर, अलौकिक अध्याय 1: पुरानी गलियों का रहस्यलखनऊ की पुरानी चौक बाज़ार में कई गलियाँ ऐसी हैं मानो समय के साथ थम गई हों। एक ऐसी ही गली है — “क़ाफ़िला गली”, जहाँ न तो मोबाइल सिग्नल ठीक से आता है, न ही कोई नया मकान बन पाया है। लोग कहते हैं कि वहाँ कुछ तो है... कुछ ऐसा जो नज़र नहीं आता, पर महसूस होता है।उसी गली के एक कोने पर एक दुकान है — “फ़िरदौस की किताबें”। ये दुकान केवल शुक्रवार को एक घंटे के लिए खुलती है — शाम 5 बजे से 6 बजे ...Read More
काली किताब - भाग 2
भाग 1: धूल में दबी खामोशीदिल्ली — दिसंबर की ठंडी रात। घड़ी की सुई 2:45 पर ठिठकी थी। चारों कुहासा पसरा हुआ था, जैसे किसी ने ज़माने भर की सच्चाइयों को चुप्पी की चादर ओढ़ा दी हो। इंडिया गेट से कुछ किलोमीटर दूर, RAW का गुप्त मुख्यालय "अदृश्य" इस रात भी जाग रहा था।वहीं एक अंधेरी स्क्रीन पर चमकता एक नाम था —“ATHARVA – 0369”एजेंट अथर्व। उम्र 34। प्रशिक्षित स्नाइपर, क्रिप्टोलॉजिस्ट और अनकहे रहस्यों के पीछे भागने वाला अकेला भेड़िया। एक मिशन जिसने न जाने कितनों की नींदें उड़ा दी थीं, अब उसकी ज़िम्मेदारी बनने वाला था।कमरे में सीनियर ...Read More
काली किताब - भाग 3
भाग 3 मे:काली किताब – अध्याय दो: रहस्य का रक्षकभूमिकादिल्ली की कड़कती ठंडी रात। भारत के रॉ मुख्यालय में अलार्म बज उठा। एजेंट अथर्व, कोड 0369, अपने ऑफिस में था। उसकी आंखों में गहराई थी, जो हर छुपे हुए सच को खोज निकालने की तीव्र इच्छा जताती थी। उस वक्त उसे सूचना मिली कि बनारस के एक पुराने मंदिर के नीचे एक रहस्यमयी वस्तु मिली है — एक “काली किताब,” जिसकी खबर कभी बाहर नहीं आनी चाहिए थी।बनारस की गलीयों मेंबनारस की घुमावदार गलीयों से होकर अथर्व ने अभिषेक शुक्ला नाम के पुरातत्त्ववेत्ता का वेश धरा। वह धीरे-धीरे उस ...Read More
काली किताब - (अंतिम भाग)
अध्याय चार: नई शुरुआत(एजेंट अथर्व | कोड 0369)भाग 1: पुनर्निर्माण और नए लक्ष्यत्रिकाल संगठन में अथर्व के सामने अब बड़ा काम था – विश्वास वापस जीतना।कई सदस्यों ने उसकी हिम्मत और ईमानदारी देखी, लेकिन कुछ अभी भी शक में थे। उन्हें यह समझना था कि त्रिकाल का उद्देश्य सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि दुनिया के संतुलन को बनाए रखना था।अथर्व ने संगठन के गुप्त दस्तावेज़ों की खोज शुरू की। वह जानता था कि संगठन के पास ऐसी जानकारी है, जो मानवता के लिए वरदान भी बन सकती है और विनाश का कारण भी।उसने अपनी टीम के साथ मिलकर एक मिशन ...Read More