तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़ - एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज

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बनारस का वो महीना सावन का था, और आसमान में छाई थी हल्की हल्की धुंध। शहर की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी में पहला दिन था काव्या का। नीली सलवार-कुर्ता, एक हाथ में किताबें, दूसरे में छतरी, और आंखों में सपनों की झलक लिए वो लड़की कॉलेज के गेट से अंदर आई, जैसे वक़्त के पुराने पन्नों पर कोई नई कविता उतर आई हो। काव्या - 19 साल की सीधी-सादी, लेकिन दिल से बेहद गहरी लड़की। इंग्लिश लिटरेचर की छात्रा, जो किताबों और शायरी की दीवानी थी। उसे लगता था कि हर इंसान के अंदर एक अधूरी कहानी होती है, बस कोई सुनने वाला चाहिए। वो लाइब्रेरी की तरफ जा ही रही थी कि तभी एक बाइक की तेज़ आवाज़ ने उसका ध्यान भंग किया। बाइक सामने आकर तेज़ी से रुकी — और ज़ोर से हॉर्न बजा। “देख के चला करो, मैडम! अगली बार खुद उड़ जाओगी…” ये आवाज़ थी आर्यन की — एक रहस्यमयी लड़का, जो इस कॉलेज का सबसे चर्चित नाम था।

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तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़ - एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज - 1

“तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़” – एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज एपिसोड 1: पहला प्यार कभी मरता नहीं ️ का वो महीना सावन का था, और आसमान में छाई थी हल्की हल्की धुंध। शहर की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी में पहला दिन था काव्या का। नीली सलवार-कुर्ता, एक हाथ में किताबें, दूसरे में छतरी, और आंखों में सपनों की झलक लिए वो लड़की कॉलेज के गेट से अंदर आई, जैसे वक़्त के पुराने पन्नों पर कोई नई कविता उतर आई हो। काव्या - 19 साल की सीधी-सादी, लेकिन दिल से बेहद गहरी लड़की। इंग्लिश लिटरेचर की छात्रा, जो किताबों ...Read More

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तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़ - एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज - 2

"तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़" – एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज एपिसोड 2: लौट आया है वो… लेकिन अब वैसा नहीं रहा ⏳ 4 साल बाद – नई शुरुआत, पुरानी परछाई काव्या अब बनारस छोड़कर भोपाल आ चुकी थी। एक मल्टीनेशनल कंपनी में HR की पोस्ट पर नई नौकरी मिली थी। अब वो पहले जैसी शांत लड़की नहीं रही थी — उसने खुद को संभाल लिया था, लेकिन पूरी तरह भूला नहीं था। नई जॉब, नया शहर, पर दिल में वही अधूरी कहानी। शाम को ऑफिस से निकलते वक्त जैसे ही उसने कॉम्प्लेक्स के बाहर कदम रखा — ...Read More

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तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़ - एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज - 3

"तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़" – एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज 🩸 एपिसोड 3: खून की पहली बूंद, मोहब्बत की हद भोपाल – रात 11:30 PMकाव्या की आंखों से नींद दूर थी। हाथ में मोबाइल… स्क्रीन पर वही आखिरी मैसेज: "इस बार आख़िरी है... काव्या के लिए।" आर्यन अब “शिवाय” बन चुका था। वो हर उस इंसान को खत्म कर रहा था… जिसने शायद कभी उसके साथ कुछ गलत किया था। लेकिन क्यों? क्या हुआ था उसके साथ इन चार सालों में? काव्या के पास अब सवाल ही सवाल थे… जवाब कहीं नहीं। अगली सुबह – शहर ...Read More