सेठ करम चंद कि कपड़े कि दुकान थी तीज त्यौहार एवं शादी व्याह जैसे शुभ मुहूर्त के अवसर आस पास के सभी लोग सेठ करम चंद कि ही दुकान से कपड़े कि खरीदारी करते सेठ करम चंद भी दरिया दिल इंसान थे पैसा मिले ना मिले किसी कि ख़ुशी को कम नहीं होने देते उनकी दरिया दिली का आलम यह था कि आस पास के बड़े छोटे परिवारो पर लाखो रूपए बकाया था ज़ब जिसको सुविधा होती दे जाता आलम यह था कि जितने मूल्य का उधार रहता बिलम्ब से भुगतान मिलने के कारण उतना ही व्याज चढ़ जाता लेकिन सेठ करम चंद भगवान पर भरोसा करने वाले व्यक्ति थे जिसके कारण किसी को अप्रिय नहीं बोलते धंधा ठीक ही चल रहा था

1

घात - भाग 1

घात भाग--1सेठ करम चंद कि कपड़े कि दुकान थी तीज त्यौहार एवं शादी व्याह जैसे शुभ मुहूर्त के अवसर पास के सभी लोग सेठ करम चंद कि ही दुकान से कपड़े कि खरीदारी करते सेठ करम चंद भी दरिया दिल इंसान थे पैसा मिले ना मिले किसी कि ख़ुशी को कम नहीं होने देते उनकी दरिया दिली का आलम यह था कि आस पास के बड़े छोटे परिवारो पर लाखो रूपए बकाया था ज़ब जिसको सुविधा होती दे जाता आलम यह था कि जितने मूल्य का उधार रहता बिलम्ब से भुगतान मिलने के कारण उतना ही व्याज चढ़ जाता ...Read More