श्री बप्पा रावल श्रृंखला - खण्ड-दो

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कहानी शुरू होती है मेवाड़ के एक नगर नागदा से जहाँ भीलों के एक कबीले को घेरकर गुहिलवंशी शिवादित्य भीलों के सरदार भीलराज बलेऊ को द्वन्द की चुनौती देता है। वो बलेऊ को हराकर उसे मारने वाला ही होता है, कि सोलह वर्ष का बालक कालभोज अपने धर्मपिता की रक्षा करने आ जाता है और शिवादित्य को द्वन्द में पराजित कर देता है। तब कालभोज को पता चलता है कि शिवादित्य कोई और नहीं उसके स्वर्गीय पिता नागादित्य के बड़े भाई हैं, जो अपने भाई के हत्यारे भीलराज बलेऊ से बदला लेने के लिए यहाँ आये हैं।

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श्री बप्पा रावल श्रृंखला - खण्ड-दो

पूर्व कथाकालभोजादित्य रावल(श्री बप्पा रावल श्रृंखला खण्ड एक)कहानी शुरू होती है मेवाड़ के एक नगर नागदा से जहाँ भीलों एक कबीले को घेरकर गुहिलवंशी शिवादित्य भीलों के सरदार भीलराज बलेऊ को द्वन्द की चुनौती देता है। वो बलेऊ को हराकर उसे मारने वाला ही होता है, कि सोलह वर्ष का बालक कालभोज अपने धर्मपिता की रक्षा करने आ जाता है और शिवादित्य को द्वन्द में पराजित कर देता है। तब कालभोज को पता चलता है कि शिवादित्य कोई और नहीं उसके स्वर्गीय पिता नागादित्य के बड़े भाई हैं, जो अपने भाई के हत्यारे भीलराज बलेऊ से बदला लेने के ...Read More

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श्री बप्पा रावल श्रृंखला - खण्ड दो - प्रथम अध्याय

प्रथम अध्यायराजकुमारियों की खोजआलोर की सीमा (कुछ महीनों पूर्व)श्वेत वस्त्र धारण किये लगभग दो सौ कन्याओं और स्त्रियों का घने वनों को पार करते हुए एक आश्रम के सामने आकर एकत्र हो गया। केसरिया वस्त्र धारण किये आश्रम के द्वार पर खड़ी एक स्त्री उन पर दृष्टि जमाये हुयी थी। उसके साथ चार और कन्यायें उसी के समान केसरिया वस्त्र धारण किये उसके साथ खड़ी थीं, किन्तु बीच में खड़ी स्त्री का सर ऊँचा था वहीं उन चारों का सर नीचा, जो ये सिद्ध करने को पर्याप्त था कि वो बीच में खड़ी स्त्री ही उनकी मुखिया है।शीघ्र ही ...Read More