अंधेरी कोठरी का रहस्य

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एक बार की बात है... राजस्थान के एक शांत, धूल से भरे गाँव "कुंभसर" में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग “चौधरियों की कोठरी” कहते थे। ये हवेली अब वीरान थी, लेकिन गाँव के बुज़ुर्ग कहते थे कि कभी ये कोठरी रौनक से भरी रहती थी। पिछले पचास सालों से उस कोठरी के अंदर कोई नहीं गया था। दिन के उजाले में वो महज एक टूटी हुई इमारत लगती थी, लेकिन रात होते ही... कुछ बदल जाता था। बांसुरी की धीमी आवाज़ें, हल्की रोशनी की चमक, और कभी-कभी किसी के रोने की धुंधली सी आवाज़ गाँव के लोगों को डरा देती थी। गाँव वालों ने उस हवेली के आसपास जाना भी छोड़ दिया था। बच्चों को वहाँ न जाने की सख्त हिदायत दी जाती थी।

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अंधेरी कोठरी का रहस्य - भाग 1

एक बार की बात है...राजस्थान के एक शांत, धूल से भरे गाँव "कुंभसर" में एक पुरानी हवेली थी, जिसे “चौधरियों की कोठरी” कहते थे। ये हवेली अब वीरान थी, लेकिन गाँव के बुज़ुर्ग कहते थे कि कभी ये कोठरी रौनक से भरी रहती थी।पिछले पचास सालों से उस कोठरी के अंदर कोई नहीं गया था। दिन के उजाले में वो महज एक टूटी हुई इमारत लगती थी, लेकिन रात होते ही... कुछ बदल जाता था। बांसुरी की धीमी आवाज़ें, हल्की रोशनी की चमक, और कभी-कभी किसी के रोने की धुंधली सी आवाज़ गाँव के लोगों को डरा देती थी।गाँव ...Read More

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अंधेरी कोठरी का रहस्य - भाग 2

अब तक...रागिनी को अपनी दादी की संदूक से एक पुराना नक्शा और पत्र मिला, जिसमें हवेली के अंदर छिपे की बात थी। वह जिज्ञासा से हवेली पहुँचती है, और वहाँ दीवार पर बने अजीब चित्रों के बीच उसे एक गुप्त दरवाज़ा दिखाई देता है — जिस पर सिर्फ एक शब्द लिखा है: "सत्य"। जैसे ही वह उसे छूती है, उसकी टॉर्च बंद हो जाती है… और कोई उसका कंधा छूता है...अब आगे .....अंधेरे में उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, बस वही बांसुरी जैसी आवाज़, जो अब और नज़दीक से सुनाई ...Read More