रामरक्षास्तोत्रम्...

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'रामरक्षाकवच' की सिद्धिकी विधि नवरात्रमें प्रतिदिन नौ दिनोंतक ब्राह्म मुहूर्तमें नित्य-कर्म तथा स्नानादि से निवृत्त हो शुद्ध वस्त्र धारणकर कुशा के आसन पर सुखासन लगाकर बैठ जाइये। भगवान् श्रीराम के कल्याणकारी स्वरूप में चित्त को एकाग्र करके इस महान् फलदायी स्तोत्रका कम-से-कम ग्यारह बार और यदि यह न हो सके तो सात बार नियमित रूप से प्रतिदिन पाठ कीजिये। पाठ करने वाले की श्रीराम की शक्तियों के प्रति जितनी अखण्ड श्रद्धा होगी, उतना ही फल प्राप्त होगा। वैसे 'रामरक्षाकवच' कुछ लंबा है, पर इस संक्षिप्त रूप से भी काम चल सकता है। पूर्ण शान्ति और विश्वास से इसका जाप होना चाहिये, यहाँ तक कि यह कण्ठस्थ हो जाय।

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रामरक्षास्तोत्रम्... 1

(⁠ʘ⁠ᴗ⁠ʘ⁠⁠)रामरक्षास्तोत्रम्(⁠ʘ⁠ᴗ⁠ʘ⁠⁠)'रामरक्षाकवच' की सिद्धिकी विधि नवरात्रमें प्रतिदिन नौ दिनोंतक ब्राह्म मुहूर्तमें नित्य-कर्म तथा स्नानादि से निवृत्त हो शुद्ध वस्त्र धारणकर के आसन पर सुखासन लगाकर बैठ जाइये। भगवान् श्रीराम के कल्याणकारी स्वरूप में चित्त को एकाग्र करके इस महान् फलदायी स्तोत्रका कम-से-कम ग्यारह बार और यदि यह न हो सके तो सात बार नियमित रूप से प्रतिदिन पाठ कीजिये। पाठ करने वाले की श्रीराम की शक्तियों के प्रति जितनी अखण्ड श्रद्धा होगी, उतना ही फल प्राप्त होगा। वैसे 'रामरक्षाकवच' कुछ लंबा है, पर इस संक्षिप्त रूप से भी काम चल सकता है। पूर्ण शान्ति और विश्वास से इसका जाप होना ...Read More

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रामरक्षास्तोत्रम्... 2

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्। अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥ १४॥जो मनुष्य वज्र पंजर नामक इस रामकवच का स्मरण करता उसकी आज्ञा का कहीं उल्लंघन नहीं होता और उसे सर्वत्र जय और मंगल की प्राप्ति होती है ॥ १४ ॥आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः । तथा लिखितवान्प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥ १५॥श्रीशंकरने रात्रिके समय स्वप्नमें इस रामरक्षा का जिस प्रकार आदेश दिया था, उसी प्रकार प्रातःकाल जागने पर बुध कौशिक ने इसे लिख दिया ॥ १५ ॥आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् । अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः ॥१६॥जो मानो कल्पवृक्षों के बगीचे हैं तथा समस्त आपत्तियों का अन्त करने वाले हैं, जो तीनों ...Read More