हुक्म और हसरत

(7)
  • 150
  • 0
  • 1.9k

हुक्म था — बचाओ, हसरत थी — छीन लो... और मोहब्बत कभी इजाज़त नहीं मांगती।" आपकी लेखिका की तरफ से:???? Diksha singhaniya"मिस कहानी" सब से पहले तो आप सभी का दिल से धन्यवाद ,जिन्होंने मेरी कहानी चुनी, अपने कीमती वक्त से समय निकाल कर।मैं इस प्लेटफॉर्म पर नई हूं,भूल चूक हो तो माफ करे। नोट:1.एक अध्याय को लिखने में दो से तीन दिन का वक्त लगता है,तो अगर आप समीक्षाएं न दे सके तो,कृपया रेटिंग्स जरूर दे!

1

हुक्म और हसरत - परिचय और ट्रेलर!

परिचय और ट्रेलर! हुक्म था — बचाओ, हसरत थी — छीन लो... और मोहब्बत कभी इजाज़त नहीं आपकी लेखिका की तरफ से: Diksha मिस कहानी सब से पहले तो आप सभी का दिल से धन्यवाद ,जिन्होंने मेरी कहानी चुनी, अपने कीमती वक्त से समय निकाल कर।मैं इस प्लेटफॉर्म पर नई हूं,भूल चूक हो तो माफ करे। नोट:1.एक अध्याय को लिखने में दो से तीन दिन का वक्त लगता है,तो अगर आप समीक्षाएं न दे सके तो,कृपया रेटिंग्स जरूर दे! जब ताज झुके मोहब्बत के आगे... और रक्षक बन जाए सबसे बड़ा ख़तरा! ,समर्पण️️ ...Read More

2

हुक्म और हसरत - 1

हुक्म और हसरत सिया+अर्जुन अर्सिया#ArSia“ताज पहनना आसान नहीं होता,जब हर नजर तुझसे हिसाब माँगती हो…”“महाराज साहब, फ्लाइट उतर चुकी के पुराने मंत्री ने धीमे स्वर में कहा।“मुझे बताओ नहीं, सीधा उससे कहो... कि वो अब इस घर में मेहमान नहीं, वारिस है।”राजा वीर सिंह राठौड़ ने अख़बार मोड़ा और चाय की प्याली आगे बढ़ाई। “मुझे लग रहा है, अब भी मैं किसी फ्लाइट में बैठी हूं...”सिया ने खिड़की की ओर देखते हुए धीरे से कहा। पांच साल बाद लौट रही हो, थोड़ा तो लगेगा, रानी मीरा ने अपनी बेटी के माथे पर हल्का सा चूमा।राजकुमारी सिया राठौड़ — जयगढ़ की सबसे चर्चित, सबसे ...Read More

3

हुक्म और हसरत - 2

हुक्म और हसरत “ये महल मेरी कैद बनता जा रहा है…” सिया ने आइने में खुद को हुए बुदबुदाया। लाल रंग की फ्लोरल लहंगे में, बालों को खोले वो जैसे किसी राजकुमारी की ही तरह लग रही थी। टकराव की दस्तक बाहर खड़ी थी। और उसका नाम था — अर्जुन। राजकुमारी जी, अर्जुन सर आपका इंतज़ार कर रहे हैं,” काव्या ने धीमे स्वर में कहा।काव्या उसकी असिस्टेंट थी। “इतनी सुबह? सिया ने कहा। आपकी सुरक्षा की मीटिंग है, मैम। सिया बाहर निकली तो मुख्य हॉल में अर्जुन पहले से खड़ा था। ...Read More

4

हुक्म और हसरत - 3

हुक्म और हसरत अध्याय3 #Arsia (सिया+अर्जुन) सिया बालकनी में बैठी अख़बार पढ़ रही जब अर्जुन सामने आया। “आज आपको फंक्शन में जाना है। मेरी टीम आपकी पूरी सुरक्षा की योजना बना चुकी है।” “मैं कोई बम नहीं हूँ, जिसे डिफ्यूज़ करना पड़े,” सिया ने आंखें तरेरते हुए कहा। “आप भावी रानी हैं। और ताज गिरने पर साज़िशें खड़ी होती हैं।” अर्जुन की आवाज़ सधी हुई थी। काव्या दोनों के बीच आई, “आप दोनों को देखकर ऐसा लगता है जैसे महल की दीवारें बोलने ...Read More