साइकिल वाला प्यार - एक आखिरी नज़र

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हम स्कूल में साथ थे। हर दिन की तरह मैं हमेशा उसके बगल वाली बेंच पर बैठता — वो मुस्कुराती थी, और मैं जी उठता था। वो पढ़ने में तेज थी, दिखने में बहुत खूबसूरत बेहद मासूम जिससे देख पत्थर भी पिघल जाए फिर मैं कहाँ इन मासूम निघाओ से बचने वाला था — जैसे उसे देखता तो कुछ देर ठहर सा जाता। और मैं? मैं बस एक आम सा लड़का था… पुरानी साइकिल, घिसे हुए जूते और कुछ ख्वाब। हम अच्छे दोस्त थे। वो मुझे हर बात बताती थी, अपने घर की परेशानियाँ, कॉलेज का टेंशन, टीचर्स की बोरियत — सब कुछ। पर एक बात जो मैं कभी नहीं बता पाया… वो ये थी कि मैं उससे बेपनाह मोहब्बत करता था। कभी-कभी जब हम स्कूल ग्राउंड साथ में बैठते, मैं चुपचाप उसकी बातों में खो जाता। मुझे लगता था — ये लम्हा कभी न खत्म हो। पर मेरे मन की बात जुबां पर कभी आई ही नहीं।

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साइकिल वाला प्यार - एक आखिरी नज़र - 1

Episode 1: Sirf Dost Ya Kuch Aur?हम स्कूल में साथ थे। हर दिन की तरह मैं हमेशा उसके बगल बेंच पर बैठता — वो मुस्कुराती थी, और मैं जी उठता था।वो पढ़ने में तेज थी, दिखने में बहुत खूबसूरत बेहद मासूम जिससे देख पत्थर भी पिघल जाए फिर मैं कहाँ इन मासूम निघाओ से बचने वाला था — जैसे उसे देखता तो कुछ देर ठहर सा जाता। और मैं? मैं बस एक आम सा लड़का था… पुरानी साइकिल, घिसे हुए जूते और कुछ ख्वाब।हम अच्छे दोस्त थे। वो मुझे हर बात बताती थी, अपने घर की परेशानियाँ, कॉलेज का ...Read More