खून का टीका

(1)
  • 72
  • 0
  • 930

शादी... एक ऐसा बंधन जिसे हर लड़की सपनों में संजोती है। लेकिन क्या हो जब यही शादी एक जाल बन जाए? क्या हो जब सिंदूर के पीछे छुपा हो खून का व्यापार? और क्या एक सीधी-साधी लड़की, खुद को राजघराने की हवेली में कैद पाए — जहाँ प्यार नहीं, सिर्फ मौतें होती हैं? ये कहानी है अनन्या की। जिसने शादी तो की थी प्यार के नाम पर, लेकिन मिला उसे एक राक्षस पति, एक हवेली जहाँ हर कोना किसी लाश की कहानी कहता है। अब अनन्या को लेना है बदला... हर उस कत्ल का, हर उस धोखे का... जिसका शिकार वो भी बनी।

1

खून का टीका - परिचय

परिचय (Novel Introduction):शादी... एक ऐसा बंधन जिसे हर लड़की सपनों में संजोती है।लेकिन क्या हो जब यही शादी एक बन जाए?क्या हो जब सिंदूर के पीछे छुपा हो खून का व्यापार?और क्या एक सीधी-साधी लड़की,खुद को राजघराने की हवेली में कैद पाए —जहाँ प्यार नहीं, सिर्फ मौतें होती हैं?ये कहानी है अनन्या की।जिसने शादी तो की थी प्यार के नाम पर,लेकिन मिला उसे एक राक्षस पति,एक हवेली जहाँ हर कोना किसी लाश की कहानी कहता है।अब अनन्या को लेना है बदला...हर उस कत्ल का, हर उस धोखे का...जिसका शिकार वो भी बनी।---️ लेखक परिचय (Author Bio):प्रियंका कुमारी, एक ...Read More

2

खून का टीका - भाग 1

अध्याय 2 - ई खून का निशान"…और जब अन्नया ने सीढ़ियों से नीचे कदम रखा, उसकी नज़र दरवाज़े पर उस लाल धब्बे पर पड़ी। वह धब्बा ताज़े खून का था… और तभी पीछे से सरोज की दबे पांव आती परछाई दीवार पर उभरी।"रात के सन्नाटे में सिर्फ़ घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे रही थी। बाहर आकाश में बादल गरज रहे थे और हल्की-हल्की बारिश की बूँदें खिड़की से टकरा रही थीं। अन्नया की धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि उसे अपना सीना फटता हुआ महसूस हो रहा था।"ये… खून यहाँ कैसे आया?" अन्नया की आवाज़ काँप रही थी, आँखें चौड़ी ...Read More

3

खून का टीका - भाग 2

गाँव के पुराने चौक पर शाम की आरती खत्म हो चुकी थी। हवा में अब भी अगरबत्ती की खुशबू लेकिन अनन्या के दिल में डर और सवालों का तूफान मचा था। उसकी आँखों के सामने बार-बार वही मंजर घूम जाता – उसकी माँ सरोज का खून से लथपथ चेहरा और माथे पर लगा हुआ वो खून का टीका।उस रात के बाद से अनन्या की जिंदगी बदल गई थी। लोग कहते थे कि हवेली में आत्मा भटकती है, लेकिन अनन्या को लगता था कि ये सब किसी इंसान का खेल है। उसकी माँ की मौत एक हादसा नहीं, बल्कि किसी ...Read More

4

खून का टीका - भाग 3

रात का अँधेरा और हवेली में गूँजती गोली की आवाज़ – सब कुछ एक पल में थम गया। धुआँ ही अनन्या ने देखा – उसके पिता राघव जमीन पर पड़े थे, लेकिन उनकी साँसें अब भी चल रही थीं।पुलिस दौड़कर उनके पास पहुँची, हथकड़ी लगाई और उन्हें उठाने लगी। लेकिन अनन्या का ध्यान अब भी एक सवाल पर अटका था – पुलिस को यहाँ बुलाया किसने?---रहस्यमयी मददगारअनन्या ने चारों ओर नज़र दौड़ाई। हवेली का दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला और अंदर आया – विक्रम, अनन्या का मंगेतर।"अनन्या, मैं समय पर पहुँच गया। मैंने ही पुलिस को खबर दी थी," विक्रम ने ...Read More