गंगू दौलतपुर गाँव वैसे तो शांत और साधारण था, लेकिन उसकी खामोशी में भी कई अनकहे किस्से दबे थे। सुबह-सुबह खेतों से मिट्टी की खुशबू उठती और बैलों की घंटियों की टनटनाहट गूंजती, तो लगता जैसे जिंदगी हमेशा ऐसे ही चलती रहेगी। मगर उस दिन की सुबह ने मेरी जिंदगी का रास्ता बदल दिया। मैं, राघव, एक साधारण किसान परिवार का बेटा। मेरी दुनिया खेत, किताबें और गाँव की गलियों तक ही सीमित थी। लेकिन उस सुबह, डाकिया जब मेरे दरवाज़े पर आया, उसके चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान थी। “राघव, तेरे नाम की चिट्ठी आई है… पर भेजने वाले का नाम नहीं है,” उसने कहा और मेरे हाथ में एक पुराना, पीला लिफाफा थमा दिया।
खामोश चेहरों के पीछे - भाग 1
खामोश चेहरों के पीछे – पार्ट 1 : एक अनजान चिठ्ठीगंगू दौलतपुर गाँव वैसे तो शांत और साधारण था, उसकी खामोशी में भी कई अनकहे किस्से दबे थे। सुबह-सुबह खेतों से मिट्टी की खुशबू उठती और बैलों की घंटियों की टनटनाहट गूंजती, तो लगता जैसे जिंदगी हमेशा ऐसे ही चलती रहेगी। मगर उस दिन की सुबह ने मेरी जिंदगी का रास्ता बदल दिया।मैं, राघव, एक साधारण किसान परिवार का बेटा। मेरी दुनिया खेत, किताबें और गाँव की गलियों तक ही सीमित थी। लेकिन उस सुबह, डाकिया जब मेरे दरवाज़े पर आया, उसके चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान थी।“राघव, तेरे ...Read More
खामोश चेहरों के पीछे - भाग 2
खामोश चेहरों के पीछे भाग 2- अतीत का दरवाजाराघव को उस रात नींद नहीं आई। दादी की पुरानी बातों छुपे हुए इशारे अब उसकी सोच पर ताले की तरह लग गए थे। हर बार जब वह आँखें बंद करता, उसके कानों में वही शब्द गूंजते –"अतीत का दरवाज़ा एक बार खुल जाए, तो वापसी का रास्ता धुंधला हो जाता है..."सुबह होते ही वह खेतों के किनारे पुराने पीपल के पेड़ की ओर निकल पड़ा। गाँव में अफवाह थी कि इस पेड़ के नीचे कभी दौलतपुर के ठाकुर साहब का खजाना दबा हुआ था, लेकिन उससे भी डरावनी बात यह ...Read More