बीस साल का अजय, दिल्ली के शोरगुल और भाग-दौड़ से दूर, कुछ दिनों की शांति और सुकून की तलाश में था। उसके माता-पिता ने सुझाव दिया था कि वो अपने ननिहाल, राजस्थान के पश्चिमी छोर पर बसे एक छोटे से गाँव वीरानगढ़ चला जाए। अजय को पहले तो कुछ खास उत्साह नहीं था। उसके लिए गाँव का मतलब था बिजली की कटौती, धूल भरी सड़कें, और इंटरनेट से दूरी। लेकिन उसकी माँ ने वीरानगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता, शांत माहौल और ताज़ी हवा के बारे में इतना कुछ बताया था कि अंततः अजय मान गया। उसे उम्मीद थी कि ये बदलाव शायद उसके शहरी जीवन की एकरसता को तोड़ देगा।
वीरानगढ़ की दहलीज पर - 1
Chapter No. 1 वीरानगढ़ की दहलीज पर ️"और बरखुरदार, कैसो है तू? और घर में सगळा राजी-खुशी ना?"(गर्मी की छुट्टियाँ)बीस साल का अजय, दिल्ली के शोरगुल और भाग-दौड़ से दूर, कुछ दिनों की शांति और सुकून की तलाश में था। उसके माता-पिता ने सुझाव दिया था कि वो अपने ननिहाल, राजस्थान के पश्चिमी छोर पर बसे एक छोटे से गाँव वीरानगढ़ चला जाए।अजय को पहले तो कुछ खास उत्साह नहीं था। उसके लिए गाँव का मतलब था बिजली की कटौती, धूल भरी सड़कें, और इंटरनेट से दूरी। लेकिन उसकी माँ ने वीरानगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता, शांत माहौल ...Read More