वाह ! बेटा वाह !

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घु मेरा गहरा मित्र था, वह एक सॉफ़्ट बेयर इन्जीनियर था ।हम दोनो ने मुरादाबाद जैसे महानगर के प्रसिध्द महा विद्यालय" हिन्दू कालिज" में एक साथ ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त ली थी।यह कालिज रूहेलखंड बिश्व विद्यालय के अन्तर्गत आता है। मेरी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं अपने पैतृक गाँव निजामुद्दींंन पुर शाह वापिस आ गया था ।और यहाँ घर पर कुछ् दिन यूँ ही भटकता रहा,।

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वाह ! बेटा वाह ! - भाग 1

कहानी:- ■■ वाह ! बेटा वाह ! ■■ भाग01 (कलियुगी बेटे की करतूत)_____________________________________________ रघु मेरा गहरा मित्र था, वह सॉफ़्ट बेयर इन्जीनियर था ।हम दोनो ने मुरादाबाद जैसे महानगर के प्रसिध्द महा विद्यालय" हिन्दू कालिज" में एक साथ ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त ली थी।यह कालिज रूहेलखंड बिश्व विद्यालय के अन्तर्गत आता है। मेरी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं अपने पैतृक गाँव निजामुद्दींंन पुर शाह वापिस आ गया था ।और यहाँ घर पर कुछ् दिन यूँ ही भटकता रहा,। गाँव मे अक्सर आय के स्रोत्र ना के बराबर होते है , अतः मैं एक ...Read More

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वाह ! बेटा वाह ! - भाग 2

■ वाह ! बेटा वाह! ■ भाग 02(एक कलियुगी बेटे की करतूत पिता के प्रति) ( भाग 02)------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------सानू के जबाब के प्रतियुत्तर में दीपा केबल कुछ पलों तक मुश्कराती रही थी ,पर वह बोली कुछ नहीं ।मैं सोच रहा था," कि दीपा अब शायद गुस्सा में भर कर कहीं शानू को खरी खोटी न सुना दे "।यही सोच कर मैं दीपा के मुहँ को ताकने लगा।संजना जो रघु की पुत्र वधु थी वह अब सानू के निकट सट कर ऐसे खड़ी हो गई थी, मानों वह कोई विशेष अवार्ड जीत ...Read More