हवेली की आख़िरी रात

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कहानी की शुरुआत: बरसात का मौसम था और दरभंगा के एक पुराने गाँव के तालाब के किनारे खड़ी हवेली पर घने बादल छाए हुए थे। गाँव में हर कोई इस हवेली से दूर रहता था और इसे 'पानी वाली हवेली' कहते थे। ऐसा माना जाता था कि आधी रात को हवेली की टूटी खिड़कियों से पानी टपकने की आवाज़ आती है, लेकिन वहाँ दूर-दूर तक पानी का नामोनिशान नहीं था। बच्चों को डराने के लिए अक्सर औरतें कहती थीं—"सो जाओ नहीं तो हवेली की औरत आ जाएगी।" इसी गाँव से गुज़रते हुए शहर से आए छह दोस्तों ने इस हवेली में एक रात बिताने का फ़ैसला किया। उन्हें लगता था कि भूत-प्रेत सिर्फ़ कहानियों में होते हैं। वे सब रोमांच चाहते थे।

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हवेली की आख़िरी रात - 1

हवेली की आख़िरी रात - एपिसोड 1कहानी की शुरुआत:बरसात का मौसम था और दरभंगा के एक पुराने गाँव के के किनारे खड़ी हवेली पर घने बादल छाए हुए थे। गाँव में हर कोई इस हवेली से दूर रहता था और इसे 'पानी वाली हवेली' कहते थे। ऐसा माना जाता था कि आधी रात को हवेली की टूटी खिड़कियों से पानी टपकने की आवाज़ आती है, लेकिन वहाँ दूर-दूर तक पानी का नामोनिशान नहीं था। बच्चों को डराने के लिए अक्सर औरतें कहती थीं—"सो जाओ नहीं तो हवेली की औरत आ जाएगी।"इसी गाँव से गुज़रते हुए शहर से आए छह ...Read More