अटारी में धूल के कण हवा में तैर रहे थे, मानो समय के साथ उलझी कोई पुरानी कहानी बुन रहे हों। नाना जी का बंगला, जो कभी किताबों की सौंधी खुशबू, कविताओं की गूंज, और ज्ञान की चर्चाओं से जीवंत था, अब विस्मृति की मोटी परतों तले दबा था। लकड़ी की सीढ़ियाँ चरमराईं, जब अनन्या ने अटारी में कदम रखा। उसकी माँ ने सफाई का जिम्मा उसे सौंपा था, यह जानते हुए कि उनकी बेटी पुरानी चीज़ों में छिपे इतिहास को सहेजने का जुनून रखती है। अनन्या के लिए यह बंगला केवल ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं था; यह यादों का खजाना था, जो उसे दादी माँ, राजेश्वरी देवी, के करीब ले जाता था।
चंद्रकांता: एक अधूरी विरासत की खोज - 1
भाग 1: विरासत की पहली कड़ीअटारी में धूल के कण हवा में तैर रहे थे, मानो समय के साथ कोई पुरानी कहानी बुन रहे हों। नाना जी का बंगला, जो कभी किताबों की सौंधी खुशबू, कविताओं की गूंज, और ज्ञान की चर्चाओं से जीवंत था, अब विस्मृति की मोटी परतों तले दबा था। लकड़ी की सीढ़ियाँ चरमराईं, जब अनन्या ने अटारी में कदम रखा। उसकी माँ ने सफाई का जिम्मा उसे सौंपा था, यह जानते हुए कि उनकी बेटी पुरानी चीज़ों में छिपे इतिहास को सहेजने का जुनून रखती है। अनन्या के लिए यह बंगला केवल ईंट-पत्थर का ढांचा ...Read More