अजय रात के ग्यारह बजे अपनी मेज पर बैठा पढाई कर रहे था बाहर पूरी गली में सनाटा पसरा हुआ था तभी उसे खिड़की के पास से हल्की-सी फुसफुसाहाट सुनाई दी अजय अजय ...अजय डर के मारे खिड़की की ओर झाँका लेकिन गली पूरी तरह से खाली थी उसने खुद से कहा शायद थकान होगी जैसे ही वह अपनी किताब की ओर लौटा उसने देखा कि किताब के पन्ने अपने आप पलट रहे हैं एक पन्ना रुक कर ठहर गया जिस पर लिखा था सावधान आधी रात से पहले तहखाने का दरवाजा मत खोलना |
राक्षवन - 1
अजय रात के ग्यारह बजे अपनी मेज पर बैठा पढाई कर रहे था बाहर पूरी गली में सनाटा पसरा था तभी उसे खिड़की के पास से हल्की-सी फुसफुसाहाट सुनाई दी अजय अजय ...अजय डर के मारे खिड़की की ओर झाँका लेकिन गली पूरी तरह से खाली थी उसने खुद से कहा शायद थकान होगी जैसे ही वह अपनी किताब की ओर लौटा उसने देखा कि किताब के पन्ने अपने आप पलट रहे हैं एक पन्ना रुक कर ठहर गया जिस पर लिखा था सावधान आधी रात से पहले तहखाने का दरवाजा मत खोलना अजय हैरानीमें पन्ना घुरता रहा वह ...Read More
राक्षवन - 2
अजय पीछे हटने लगा लेकिन परछाईयां और तेज़ी से पास आने लगीं हर परछाई का चेहरा उसका ही था समय की हर शक्ल उस पर टूट पडी हो वह चीख़ पड़ा तुम मुझसे क्या चाहते हो सभी परछाईयां एक साथ बोलींसच।।। नीली रोशनी अचानक लाल हो गईं अजय का दिल ज़ोर से धड़क रहा था तभी वहीं धुंधली आकृति प्रकट हुईं उसने हाथ उठा कर परछाई को रोका अजय वह बोलीं ये सब तेरे अलग-अलग समय के रुप है अगर तु सच जानना चाहते हैं तो इन परछाईयां को स्वीकार कर लेकिन याद रख हर सच की कीमत होती ...Read More